भगवान भरोसे वाहनों की फिटनेस, नौ दिन में दूसरी स्कूल-कॉलेज बस का हादसा, इस बार पिछले पहिये निकले

मध्य प्रदेश में परिवहन विभाग के भ्रष्टाचार की पोल खोलने वाला सौरभ शर्मा कांड की सुर्खियां बनने के बाद वहां आंख मूंद कर काम होने की चर्चाएं होने लगी थीं और विभाग की इस कार्य़प्रणाली का खुलासा 12 मई को स्कूल बस के ब्रेक फेल होने की घटना से हो भी गया जिसका फिटनेस 2024 में खत्म होने के बावजूद परिवहन विभाग ने सुध ही नहीं ली। अब ऐसी ही एक अनफिट बस के अयोध्या नगर बायपास रायसेन रोड पर पिछले हिस्से के पहिये ही निकल गए। बस में बैठे छात्रों को तो चोटें आईं लेकिन यह गनीमत रही कि गर्मी के मौसम की वजह से सड़क पर यातायात कम चल रहा था, नहीं तो हादसे में दूसरी गाड़ियों के चपेट में आने से बड़ी घटना हो सकती थी। वहीं, इन घटनाओं से जुड़ी एक खबर यह है कि स्कूल बस के ब्रेक होने वाली घटना के बाद जिन आरटीओ जितेंद्र शर्मा को निलंबित किया गया था, उन्हें अदालत से राहत मिली है और उन्हें फिर से आरटीओ की जिम्मेदारी देने के आदेश किए गए हैं। देखिये यह रिपोर्ट।

सड़कों पर वाहनों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है मगर मोटरयान अधिनियम में बनाए गए नियमों के मुताबिक गाड़ियों के पंजीयन, परमिट, फिटनेस आदि का पालन कराने में जहां जिम्मेदार परिवहन विभाग व पुलिस नाकाम साबित हो रहा है तो वाहन मालिक और चालक उनका पालन करने में भारी कोताही बरत रहे हैं। 12 मई 2025 को रोशनपुरा ढलान पर जिस तरह से स्कूल बस ब्रेक फेल होने पर लुढ़कते हुए लालबत्ती सिंगल पर खड़े वाहनों को रौंदते हुए निकल गई थी, उसी तरह आज भी रायसेन रोड अयोध्या नगर बायपास पर सेम यूनिवर्सिटी की बस हादसा हो गया। सेम यूनिवर्सिटी की बस के पिछले पहिये अचानक निकल गए और स्पीड ज्यादा होने से कई मीटर तक बस अगले पहियों पर घसीटती हुई चली गई। बस में बैठे छात्र हादसे के बारे में कुछ समझ पाते इसके पहले ही वे गाड़ी के भीतर सीटों से टकराकर जख्मी हो गए।
निलंबित आरटीओ को राहत
रोशनपुरा हादसे के बाद संभागायुक्त भोपाल ने जिस आरटीओ जितेंद्र शर्मा को लापरवाह कार्यप्रणाली पर निलंबि किया था, उन्हें हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा कि शर्मा के पहले भोपाल आरटीओ रहे संजय तिवारी ने दिसंबर 2026 तक का परमिट दुर्घटना में शामिल बस के लिए जारी किया था और माना कि उसका फिटनेस दिसंबर 2024 में खत्म हो चुका था मगर इसके लिए वाहन मालिक को जिम्मेदार बताया। अदालत ने याचिका पर अगली सुनवाई में राज्य को अपना पक्ष रखने के आदेश देते हुए शर्मा को उनके पिछले पद पर काम करने की अनुमति दिए जाने के निर्देश दिए हैं।

बदनाम के बाद भी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं

सड़क पर गाड़ी चलाना और चलना जोखिम भरा हो गया और आप-हम सही सलामत अपने गंतव्य तक पहुंच रहे हैं तो इसमें भगवान का ही योगदान है क्योंकि परिवहन विभाग सरकारी खजाने और अपने व अपनों के लिए प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से वसूली करने के बदनाम हो चुका है। इसी तरह यातायात पुलिस भी चैकिंग के नाम हेलमेट या सीट बेल्ट ही देखती है और वह भी परिवहन विभाग की तरह अपने व अपनों के लिए प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से वसूली के लिए बदनामी झेल रही है। गाड़ियों के नंबर प्लेट का स्टेंडर्ड अक्षर व अंकों में उपयोग नहीं किया जाता है तो गाड़ियों पर अभद्र भाषा के वाक्यांश लिखे जाते हैं। यही नहीं, गाड़ियों में यलो लाइट की जगह व्हाइट लाइट का प्रचलन उसी तरह हो गया है जिस तरह वाहनों व सड़क पर चलने वालों को सांकेतिक हार्न से सचेत करने के बजाय हूटर, तेज आवाजों के हार्न लगाए जा रहे हैं जिनका उपयोग मोटरयान अधिनियम में रोका गया है। मगर इस तरफ जिम्मेदारों का कोई ध्यान ही नहीं होता है।

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