BJP में जाने की चर्चाएं भले ही थम गईं मगर प्रदेश कांग्रेस की बैठकों से अब भी दूर कमलनाथ, कद-रुतबे पर असर

मध्य प्रदेश कांग्रेस में वरिष्ठ नेता कमलनाथ की पार्टी के फैसलों के प्रति नाराजगी को भले ही नकारा जा रहा है लेकिन उनके भाजपा में जाने की चर्चाओं के थम जाने के बाद भी जो दूरियां बन चुकी हैं वे कम होती नहीं दिखाई दे रही हैं। हाईकमान के फैसलों को अभी भी वे नजरअंदाज कर रहे हैं, आज उन्हें भोपाल में होना था लेकिन कर्नाटक चले गए और वहां से वे अब तक के कार्यक्रम के मुताबिक छिंदवाड़ा जाएंगे। वैसे एक सप्ताह के घटनाक्रम से कांग्रेस के भीतर उनके कद व रुतबे पर असर भी दिखाई देने लगा है। पढ़िये रिपोर्ट।

मध्य प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में विधायकों और सांसदों की एक महत्वपूर्ण बैठक हो रही है जिसमें एआईसीसी के प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह भी शामिल हो रहे हैं। भंवर जितेंद्र सिंह ने सोमवार को दिल्ली में आज की बैठक के बारे में बताया था और इसमें कमलनाथ के भाजपा में जाने की चर्चाओं को भाजपा व मीडिया की कहानी बताते हुए नाथ के बैठक में शामिल होने की जानकारी दी थी। वे तो यहां पहुंच गए और उनका प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी व नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार, उपनेता हेमंत कटारे ने स्वागत भी किया मगर बड़े नेता नहीं दिखाई दिए।
कमलनाथ ने फिर हाईकमान को ताक पर रखा
कमलनाथ जब से प्रदेश अध्यक्ष बने थे तब से एआईसीसी के महासचिव दीपक बाबरिया, मुकुल वासनिक, जयप्रकाश अग्रवाल, रणदीप सिंह सुरजेवाला और भंवर जितेंद्र सिंह बने। बाबरिया से लेकर वासनिक, जयप्रकाश अग्रवाल व सुरजेवाला तक के मध्य प्रदेश से अच्छे अनुभव नहीं रहे। सूत्रों के मुताबिक इन प्रदेश प्रभारियों ने मध्य प्रदेश में अपने साथ होने वाले व्यवहार की रिपोर्ट हाईकमान को समय-समय पर दी। अभी भी भंवर जितेंद्र सिंह ने हाईकमान की इच्छा के मुताबिक कमलनाथ को आज की बैठक में शामिल होने का बयान दिया था जो गलत साबित हो गया। उन्हें संगठन की महत्वपूर्ण बैठक के बजाय कर्नाटक में निजी कार्यक्रम में शामिल होना ज्यादा जरूरी लगा और वे भोपाल के स्थान पर बंगलुरू पहुंच गए। अब तक के कार्यक्रमों के मुताबिक कमलनाथ बंगलुरू से भी भोपाल नहीं आएंगे बल्कि छिंदवाड़ा पहुंचेंगे। वहां रुकेंगे।
नाथ को आईना दिखाने लगे छुटभैये नेता
पिछले एक सप्ताह के घटनाक्रम ने कमलनाथ को कांग्रेस पार्टी के छुटभैये नेताओं को यह हिम्मत तक दे दी है कि वे उन्हें अपने पोस्टर व बैनर से ही गायब करने लगे। भोपाल शहर जिला कांग्रेस कमेटी के जिस नेता प्रवीण सक्सेना को कमलनाथ ने चुनावी समझौते के तहत नियुक्ति दी थी, उन्होंने ही धरने के बैनर से कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को गायब कर दिया। वहीं, विधानसभा टिकट काटे जाने से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़े पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू ने भी उन्हें लोकसभा चुनाव 2019 व विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा से सौदेबाजी करने का आरोप लगाया है।

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