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राहुल के कमलनाथ के बंगले पहुंचने से MP के बदलेंगे समीकरण, जीतू की कार्यकारिणी का रास्ता होगा साफ

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति में दिल्ली के एक घटनाक्रम से समीकरण बदलने के आसार चर्चा में आ गए हैं। राहुल गांधी जब अचानक कमलनाथ के दिल्ली के बंगले पर पहुंच गए और दो घंटे चर्चा की। इस घटनाक्रम से मध्य प्रदेश कांग्रेस में जीतू पटवारी अटकी कार्यकारिणी का रास्ता भी साफ होने की संभावना दिखाई दे रही है तो महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में कमलनाथ नई भूमिका में भी नजर आ सकते हैं । पढ़िये हमारे लिए वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कैलासिया की रिपोर्ट।
कांग्रेस को मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में मिले झटकों के बाद यहां के नेताओं की दिल्ली में पूछपरख कम होने लगी थी जिसका नतीजा पीसीसी के बदलाव के नौ महीने बीत जाने पर कार्यकारिणी को लेकर कोई फैसला नहीं किया जा रहा है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज कमलनाथ हो या दिग्विजय सिंह एक समय दिल्ली में कांग्रेस की केंद्रीय राजनीति के ध्रुव हुआ करते थे लेकिन करीब छह साल से दिल्ली में उनकी पूछपरख कम होती गई। 2023 विधानसभा चुनाव के बाद तो कमलनाथ-दिग्विजय दिल्ली नेतृत्व की तरफ से बिलकुल उपेक्षित से नजर आ रहे थे।
प्रदेश के युवा नेतृत्व का ग्राफ भी नीचे
ऐसा नहीं है कि दिल्ली के कांग्रेस हाईकमान के सामने मध्य प्रदेश के दिग्गज नेता कमलनाथ-दिग्विजय की पूछपरख पर ही असर पड़ा है बल्कि जिस अंदाज में हाईकमान ने इन नेताओं के आगे युवा नेतृत्व के रूप में जीतू पटवारी, उमंग सिंगार, हेमंत कटारे को लाया था, उनका ग्राफ भी अब कम होता दिखाई दे रहा है। हरियाणा-जम्मू कश्मीर के चुनाव में इन युवा नेताओं को हाईकमान ने किसी भी तरह की जिम्मेदारी नहीं दी जिसको लेकर यह चर्चा होने लगी कि इन नेताओं की चमक दिल्ली में कम होने लगी है। अब महाराष्ट्र-झारखंड के विधानसभा चुनाव में उमंग को झारखंड में सह प्रभारी होने के बावजूद वहां की जिम्मेदारी नहीं देकर महाराष्ट्र के विदर्भ नागपुर-अमरावती में सीमित क्षेत्र का चुनाव प्रभारी बना दिया गया है।
राहुल-कमलनाथ मुलाकात, नए संकेत
महाराष्ट्र्र और झारखंड विधानसभा चुनाव घोषित होते ही दिल्ली में कांग्रेस के समीकरण में तेजी से बदलाव होता दिखाई दे रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बंगले पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के पहुंचते ही मध्य प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में सुगबुगाहट तेज हो गई। दो घंटे तक दोनों नेताओं की चर्चा से उनकी हाईकमान से नजदीकी के संकेत बताए जा रहे हैं जो महाराष्ट्र-झारखंड विधानसभा चुनाव में उनकी नई भूमिका की ओर इशारा करते नजर आ रहे हैं। वहीं, मध्य प्रदेश की राजनीति उन्हें कांग्रेस के कुछ नेताओं द्वारा उपेक्षित किए जाने के बाद इस मुलाकात से यहां उनके समर्थकों में नई ऊर्जा का संचार होता दिखाई दिया। अब जीतू पटवारी की कार्यकारिणी की तारीखों का सिलसिला थम सकता है और उसमें कमलनाथ समर्थकों को उचित स्थान मिलने की संभावना जताई जा रही है।
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