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भारत न्याय यात्रा से दूरी की चर्चा, भाजपा से नजदीकियों की अफवाहों के पीछे कौन….सवालों का जवाब नहीं मिल रहा

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस हाईकमान ने नेतृत्व परिवर्तन कर तो दिया है लेकिन राज्य के दिग्गज नेताओं को यह स्वीकार हुआ है या नहीं, अब तक कोई अंदाज नहीं लगा पा रहा है। भारत न्याय यात्रा से राज्य के वरिष्ठ नेताओं की दूरी से लेकर भाजपा से कुछ नेताओं की नजदीकियों की अफवाहें जोर-शोर से राजनीतिक गलियारों में तैर रही हैं जिनका केंद्र भोपाल है या दिल्ली, अब तक कोई जान नहीं सका है। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में भाजपा की पांचवीं बार सरकार बन चुकी है और कांग्रेस हाईकमान इस करारी हार की वजह जानने की कोशिश कर रहा है क्योंकि प्रदेश के जिम्मेदार नेताओं ने चुनाव के अंतिम समय तक उसे पार्टी के सत्ता में वापस लौटने की खबरें दी थीं। हाईकमान ने इस हार के लिए जिम्मेदार नेताओं को दूर करने के लिए युवा नेतृत्व के हाथों में कमान सौंपने के लिए कुछ कड़वे फैसले लिए जिससे वरिष्ठ नेता भी अंचभित हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हो या दिग्विजय सिंह या फिर उन जैसे ही दूसरे दिग्गज, युवा नेतृत्व के चेहरों को पसंद करते हैं या नहीं, यह जानने की हाईकमान ने कोशिश तक नहीं की। हालांकि इन दिग्गजों में से कुछ युवा नेतृत्व के आगे नतमस्तक होने जैसे दिखावा करता दिख रहा है तो कुछ उसे स्वीकार करने का स्वांग भी नहीं कर पा रहा है।
भारत न्याय यात्रा से दिग्गजों की दूरी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मणिपुर से शुरू हुई भारत न्याय यात्रा में इस बार मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं को दूर करके रखा गया है। यात्रा के पहले दिन कुछ नेता राहुल गांधी की टीम के साथ हवाई जहाज में सुर में सुर मिलाते नजर आए लेकिन इसके बाद फिर यात्रा से दूर ही हैं। कमलनाथ जहां विदेश में चले गए तो दिग्विजय सिंह हवाई जहाज में साथ मणिपुर पहुंचने के बाद उसी रात वापस लौट आए। मध्य प्रदेश में नौ जिलों में यात्रा आने वाली है तो उसके रूट की रैकी के लिए भी राहुल गांधी की यात्रा मैनेजमेंट देख रही टीम पर ही पीसीसी की निगाहें हैं।
हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व की दिग्गजों पर नजरें
विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस हाईकमान की मध्य प्रदेश के दिग्गज नेताओं पर नजरें टिकी हैं जिसकी वजह से नेता और उनके समर्थक भी हर छोटी-बड़ी खबर पर सफाई देते नजर आ रहे हैं। कमलनाथ के भाजपा में जाने की खबरें जब राजनीतिक गलियारों में फैली तो उनके निकटवर्ती लोगों ने उनका खंडन किया। वहीं, उनके एक विश्वस्त गैर राजनीतिक व्यक्ति ने खुद को आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित बताने की खबरें मीडिया व सोशल मीडिया पर चलवाईं। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से स्वयं की तुलना करने से भी वे पीछे नहीं रहे हैं। हार के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस में जिस तरह खामोशी दिखाई दे रही है, वह किसी बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रही है। दिल्ली में पार्टी के नेता आलोक शर्मा द्वारा कमलनाथ पर सीधा हमला किए जाने के बाद उन्हें कारण बताओ नोटिस तो जारी कर दिया गया लेकिन उनके आरोपों का जवाब अभी तक किसी स्तर पर सामने नहीं आया है।
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