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BJP और कांग्रेस में अंतर, कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष नहीं बदले तो सुर्खियां BJP प्रदेश अध्यक्ष पर चर्चा तक नहीं

भाजपा और कांग्रेस में इन दिनों साफ अंतर समझ आ रहा है जो मीडिया की सुर्खियों के लिहाज से दिखाई देता है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष को लेकर जब तब मीडिया के हेडलाइन बनती रहती हैं कि वरिष्ठों की नाराजगी या फैसलों की खामियों के विश्लेषण में बदलाव की चर्चा अवश्य होती है। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव दिसंबर तक होने के दावों को तीन महीने से ज्यादा हो जाने के बाद भी इसकी चर्चा दबी जुबान से भी मीडिया के किसी कोने में दिखाई या सुनाई नहीं देती है। हालांकि मध्य प्रदेश भाजपा नए अध्यक्ष को लेकर जो अब तक चर्चाएं हुईं उनसे यह जरूर कहा जा सकता है कि विश्व की सबसे बड़ी पार्टी को मध्य प्रदेश में नया अध्यक्ष चुनने में मुश्किलें जरूर आ रही हैं। जानिये हमारी विशेष रिपोर्ट में इससे जुड़े कुछ तथ्यों को।
मध्य प्रदेश, भाजपा के लिए हिंदी भाषी राज्यों में काफी महत्वपूर्ण राज्य बन चुका है और यहां लोकसभा हो या विधानसभा लोगों ने भाजपा पर बेहद भरोसा दिखाया है। भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए चुनाव प्रक्रिया 2024 में जिस तेजी से शुरू हुई थी, वह जिला अध्यक्षों तक आते-आते धीमी होती गई और फिर प्रदेश अध्यक्ष के लिए तय की गई समय सीमा को गुजरे तीन महीने से ज्यादा समय हो गया है। ज्ञात हो कि दिसंबर 2024 तक प्रदेश भाजपा को नया अध्यक्ष मिलने के पार्टी की ओर से दावे किए जाते रहे थे। मध्य प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में भी यही स्थिति है जिसके चलते पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में भी देरी हो रही है।
युवा, महिला, आदिवासी नामों की चर्चा
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के लिए युवा, महिला, आदिवासी के साथ कुछ ऐसे चेहरों के नामों की चर्चा है जिन्हें संगठन की बागडोर देकर संतुलन बनाया जा सके। ऐसे चेहरों में पूर्व गृह मंत्री व 2023 में विधानसभा चुनाव हारे नरोत्तम मिश्रा और मोहन यादव सरकार में मंत्री और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में प्रभारी रह चुके कैलाश विजयवर्गीय के नाम प्रमुख हैं। कुछ समय पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रदेश दौरे के दौरान इन दोनों ने नेताओं की उनसे मुलाकात को इसी से जोड़ा गया था। मगर उस मुलाकात को भी लंबा समय हो गया है और फैसला अभी तक अटका है। इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दिल्ली की यात्राओं को लेकर भी कई बार इसी तरह के अटकलें लगाई जाती रही हैं जिनके नतीजों का अब तक इंतजार ही किया जा रहा है। उपरोक्त दो चेहरों के अलावा जिन युवा, महिलाओं व आदिवासी नेताओं के नामों की चर्चा रही उनमें हिमाद्री सिंह, दुर्गादास उइके, अर्चना चिटनिस, सुमेर सिंह सोलंकी, फग्गन सिंह कुलस्ते, हेमंत खंडेलवाल, आलोक शर्मा व रामेश्वर शर्मा शामिल हैं। हिमाद्री महिला के साथ युवा व आदिवासी चेहरा हैं तो सुमेर सिंह सोलंकी, फग्गन सिंह कुलस्ते व दुर्गादास उइके आदिवासी होने की वजह से राजनीतिक समीकरण में फिट बैठ रहे हैं। वहीं, सामान्य वर्ग के चेहरों में हेमंत खंडेलवाल का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है लेकिन आलोक शर्मा व रामेश्वर शर्मा की चर्चा भी है।
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