नक्सल प्रभावित बालाघाट में हॉकफोर्स कैम्प में DGP को पहचान देना पड़ी, ट्राय जंक्शन सीमा के कैम्प में डेढ़ घंटे

मध्य प्रदेश के डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना नक्सल प्रभावित महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित मुरकुटडोल कैम्प में अचानक पहुंचे और डेढ़ घंटे तक वहां रहे। कैम्प में प्रवेश के लिए डीजीपी को अपनी पहचान बताना पड़ी तब उन्हें प्रवेश मिल सका। पढ़िये नक्सल प्रभावित क्षेत्र और ट्राय जंक्शन कैम्प में डीजीपी ने कैसे बिताया समय।

12 अक्टूबर की रात को डी.जी.पी भोपाल से गोंदिया पहुंचे जहां से लगभग डेढ़ घंटे चलकर मुरकुटडोह ज्वाइंट टॉस्क फोर्स कैम्प का भ्रमण किया। ऑपरेशनल कारणों से इस दौरे को पूर्णतः गोपनीय रखा गया था। मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ के ट्राय जंक्शन सीमा क्षेत्र में स्थापित मुरकुटडोह सुरक्षा कैम्प महाराष्ट्र के गोंदिया जिले में है। कैंप में महाराष्ट्र पुलिस की C-60 फोर्स, छत्तीसगढ़ की DRG फोर्स एवं मध्यप्रदेश की हॉक फोर्स तैनात है। इसका निर्माण अबूझमाड से आने वाले नक्सलियों को रोकने के लिए किया गया है। भ्रमण के दौरान उन्होने समन्वय एवं संयुक्त अभियानों की समीक्षा की तथा उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन दिया । सभी जवानों से सामुहिक तथा व्यक्तिगत चर्चा कर उनके द्वारा किये जा रहे नक्सल विरोधी अभियानों तथा समस्याओ के बारे में विस्तृत चर्चा की। उन्होने विषम परिस्थितियों में रहकर भी साहस तथा समर्पण के साथ कार्य करने वाले इन जवानों की प्रशंसा की तथा मनोबल बढाया ।
थम लगाया… परिचयन दिया….फिर प्रवेश मिला
डीजीपी सक्सेना को हॉकफोर्स के कैम्प में प्रवेश के पहले अपना परिचय देना पड़ा और थम लगाकर कैम्प में उन्होंने प्रवेश किया। डीजीपी ने बालाघाट जिले में स्थापित हॉकफोर्स कैम्प पितकोना, डाबरी, सोनगुड्डा, डोरा एवं सीआरपीएफ के कैम्प बिठली का औचक भ्रमण किया। जब डीजीपी हॉक कैम्प पर पहुंचे वहां संतरी द्वारा सुरक्षा प्रोटोकाल के तहत उनसे परिचय पूछा एवं पासवर्ड बताने को कहा। जब तक पासवर्ड नहीं बताया गया तब तक कैम्प में डीजीपी. का प्रवेश नही हुआ। डीजीपी द्वारा वहां पदस्थ जवानों को केन्द्रीय गृह मंत्री तथा मुख्य मंत्री के निर्देश तथा भावनाओ से अवगत कराया।
मनोबल बढ़ाने नए भत्ते-आउट ऑफ टर्न प्रमोशन
डीजीपी द्वारा जवानों से कहा कि आपके मनोबल में वृद्धि हेतु नवीन भत्ते तथा अभियानों में उल्लेखनीय कार्य करने पर क्रमपूर्व पदोन्नतियाँ की गई है। डीजीपी के दवारा जवानों के साथ सघन अभियानों की जानकारी ली गयी। उनके दवारासचिंग, एरिया डॉमिनेशन तथा इंट बेस्ड ऑपरेशन की समीक्षा कर नक्सल मूवमेंट के चिन्हित क्षेत्रों में अभियानों में और अधिक गति लाने के निर्देश दिये। इस दौरान उनके द्वारा कैम्पों में स्थित बैरकों का निरिक्षण कर आवश्यक साफ़ सफाई रखने के लिए भी कहा । जवानों से चर्चा के दौरान उनकी समस्याओ को जाना एवं त्वरित निराकरण के लिए अधिकारियों को निर्देश दिये।
हॉक कैम्प में जवानों के साथ बितायी रात
सक्सेना रात को हॉक कैम्प डोरा पहुंचे जहां पर उन्होने जवानों के साथ भोजन कर बैरक में रात्रि विश्राम किया। इस दौरान उन्होने जवानों के साथ अनौपचारिक चर्चा की एवं नक्सल समस्या को खत्म करने के लिए उनके सुझाव लिए। हॉकफोर्स कैम्प में रात्रि के समय की जाने वाली सुरक्षा ड्रिल में भी डी.जी.पी. शामिल रहे जिससे जवानों के मनोबल में आशातीत वृ‌द्धि हुई। डीजीपी द्वारा अधिकारियों को नवीन नक्सल आत्मसमर्पण नीति रणनीति के प्रावधानों का प्रचार स्थानीय निवासियों के माध्यम से करने तथा नक्सलियों को आत्मसमर्पण हेतु प्रोत्साहित किये जाने के भी निर्देश दिये है ।
वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ली संयुक्त बैठक
पुलिस महानिदेशक सक्सेना ने डीजी CRPF के साथ नक्सल समस्या के खात्मे एवं आगे की रणनीति तैयार करने के लिए बैठक की। इस बैठक में IB एवं CRPF के वरिष्ठ अधिकारी, IG बालाघाट, IG तथा DIG नक्सल विरोधी अभियान, DIG बालाघाट रेंज कलेक्टर बालाघाट, पुलिस अधीक्षक बालाघाट, मंडला, डिण्डौरी, कान्हा फिल्ड डायरेक्टर, DFO, के अलावा जिला बालाघाट के अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। बैठक में विशेष रुप से पुलिस अधीक्षक गोंदिया (महाराष्ट्र), कबीरधाम (छत्तीसगढ़) तथा खैरागढ़ (छत्तीसगढ़) भी आमंत्रित किये गये। इस बैठक में सामूहिक रणनीति के तहत आपसी समन्वयन स्थापित कर नक्सल अभियान में तेजी लाने एवं नक्सलवाद के खात्मे हेतु विस्तार से चर्चा की गई। नक्सल अभियान में अपनायी जाने वाली रणनीति, सीमावर्ती जिलों में आपसी समन्वय तथा संयुक्त अभियानों को और प्रभावी तथा कारगर बनाये जाने के संबंध में कार्ययोजना पर विचार किया गया। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संचालित विकास संबंधी योजनाओं के जैसे सड़क, सम्पर्क, पर्यावरण, दूरसंचार से संबंधित विकास कार्यों को समयावधि में पूर्ण करने हेतु चर्चा की गई, जिससे सामान्य जन में विश्वास बढे।
नक्सल उन्मूलन के लिए मध्यप्रदेश पुलिस की कार्यवाही
मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा पिछले पांच वर्षों में उल्लेखनीय सफलताए प्राप्त की है जिसमे पिछले दो वर्ष अभूतपूर्व रहे है । पिछले पांच वर्षों में 3.31 करोड़ के ईनामी 20 हार्डकोर नक्सली मारे गए, जो उससे पिछले 30 वर्षों में मारे गए कुल नक्सलियों से अधिक है तथा पिछले 2 वर्षों में जितने नक्सली मारे गए हैं उनकी संख्या उससे पिछले 25 वर्षों में मारे गए कुल नक्सलियों से भी अधिक है। पहली बार डिवीजनल कमेटी मेम्बर स्तर के नक्सलियों को मारा गया है तथा पहली बार इनसे ए.के.-47 रायफल भी बरामद की गई है। इसी दौरान 1 करोड़ 52 लाख के ईनामी 6 नक्सलियों को भी गिरफ्तार किया है। मध्यप्रदेश में पहली बार स्पेशल जोनल कमेटी मेम्बर स्तर के नक्सली अशोक रेड्डी, जिस पर 82 लाख रुपये का ईनाम था, को भी गिरफ्तार करने में मध्यप्रदेश पुलिस को सफलता प्राप्त हुई है। दिसम्बर 2023 से लेकर अभी तक 4 मुठभेड़ों में 4 नक्सली मारे गये है एवं 1 नक्सली को गिरफ्तार किया गया है। नक्सलियों के वित्त पोषण को रोकने के लिए भी प्रभावी कार्यवाही की गई है जिसमें तेन्दूपत्ता तुड़ाई के सीजन के दौरान की जाने वाली अवैध वसूली पर भी रोक लगाने में मध्यप्रदेश पुलिस सफल रही है। विगत तीन वर्षों में लगभग 8 करोड की राशि नक्सलियों तक पहुंचने से रोकी गई है। इस बात की पुष्टि मुठभेड़ में मिले पत्र तथा गिरफ्तार नक्सली से भी हुई है।

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