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राहुल की पसंद मीनाक्षी होने के बाद भी क्या वाकई नाथ-दिग्विजय ने अशोक सिंह को राज्यसभा भिजवाया, चर्चा में सवाल

कांग्रेस के कमलनाथ की नाराजगी की वजह आज भी एक अबूझ पहेली बना हुआ है और कांग्रेस नेता से लेकर राजनीति में रुचि रखने वाला हर व्यक्ति इसका जवाब तलाश रहा है। विधानसभा चुनाव में हार, प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी का मामला पुराना हो चुका है तो इसकी वजह राज्यसभा चुनाव के ईर्दगिर्द घूम रही है लेकिन इसमें भी राहुल गांधी की पसंद से मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की पसंद का टकराव पूरे घटनाक्रम की वजह होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
कमलनाथ की भाजपा में जाने की चर्चाएं, उनके स्पष्ट तौर पर खंडन नहीं किए जाने और समर्थकों के लगातार पार्टी छोड़ने से जुड़े सवालों पर दिए जाने वाले जवाबों से घटनाक्रम के तीन-चार दिन खींच गया। हालांकि राहुल गांधी को एकबार फिर पार्टी के बुजुर्ग नेताओं ने झुकाकर अपने दबाव में ले लिया और संकट को फिलहाल टाल दिया है। राहुल गांधी को बुजुर्ग नेताओं ने दबाव में लाकर अपने निर्णय को पहली बार मनवाने में कामयाबी हासिल नहीं की है बल्कि इसके पहले भी कुछ बड़े फैसलों में राहुल गांधी को अकेले ही फैसले लेने पड़े थे।
राज्यसभा के लिए राहुल की पसंद मीनाक्षी थी तो अशोक सिंह का नाम कैसे आया
यह सवाल अब चर्चा में है कि राहुल गांधी की पसंद मीनाक्षी नटराजन थीं और वे राज्यसभा चुनाव के माध्यम से उन्हें मध्य प्रदेश से उच्च सदन भेजना चाहते थे तो दूसरा नाम ओबीसी नेता पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव का नाम था। मगर राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि अशोक सिंह को राज्यसभा पहुंचाने के लिए कमलनाथ-दिग्विजय सिंह एक हो गए और हाईकमान को अपनी बात पहुंचाई कि अशोक सिंह यादव समाज से आते हैं, ग्वालियर में काफी लंबे समय से ज्योतिरादित्य सिंधिया से लड़ाई लड़ रहे हैं, पीसीसी के कोषाध्यक्ष, उपाध्यक्ष, अनुशासन समिति के अध्यक्ष, लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। इसके बाद अशोक सिंह का नाम फाइनल हो गया मगर कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष से हटाए जाने की प्रक्रिया को लेकर अपनी नाराजगी को नहीं भूला सके। 15 फरवरी को नामांकन पर्चा भरे जाने की तारीख निकलने के बाद उन्होंने फिर दबाव बनाने के लिए छिंदवाड़ा के कार्यक्रम निरस्त कर दिल्ली की उड़ान भर ली। तीन-चार दिन तक पॉलीटिकल ड्रामा चला। कमलनाथ घुमाफिर कर पार्टी छोड़ने के सवालों को टालते रहे तो उनके सर्मथक खुलकर पार्टी छोड़ने को लेकर बयानबाजी करते रहे और हाईकमान पर फिर उनका दबाव काम कर गया। राहुल गांधी ने उन्हें फोन किया और कमलनाथ-उनके समर्थकों ने पार्टी छोड़ने की खबरों को मीडिया की उपज बताकर ठीकरा उस पर फोड़ दिया। इतना सब होने के बाद भी कमलनाथ को लेकर कांग्रेस में उच्च स्तर पर अभी भी असमंजस की स्थिति है। राहुल गांधी की पसंद को हाईकमान से दरकिनारे कराने के बाद भी कमलनाथ की नाराजगी पर बनी इस स्थिति से उनका पार्टी जो स्थान था, वह बुरी तरह हिल चुका है और अब उस स्थान को पाने के लिए कमलनाथ को बहुत मेहनत करना होगी।
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