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कांग्रेस की कार्यकारिणी में दलबदलुओं, वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ अनर्गल बयान देने वालों की भरमार, विरोध का सिलसिला जारी
मध्य प्रदेश कांग्रेस की नई कार्यकारिणी को लेकर विरोध का सिलसिला लगातार जारी है। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी जहां नेताओं को दिलासा दे रहे हैं तो मीडिया विभाग से जुड़े नेता अनौपचारिक रूप से सोशल मीडिया पर कार्यकारिणी की खूबियों को गिनाकर संतुलित बताने की कोशिशें की जा रही हैं। विरोध करने वालों को राज्यसभा सदस्य अशोक सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं द्वारा चेतावनी दी जा रही है। पढ़िये रिपोर्ट में कि कार्यकारिणी में किन दलबदलुओं, नेताओं के खिलाफ अनर्गल बयान देने वालों को जगह मिली।
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी अपनी कार्यकारिणी को दस महीने में बना पाए हैं लेकिन इस कार्यकारिणी को लेकर पूरे प्रदेश में विरोध का सिलसिला जारी है। भोपाल से लेकर मालवा-ग्वालियर-चंबल में नेताओं के इस्तीफे हो रहे हैं। मालवा में प्रमोद टंडन ने कार्यकारिणी की घोषणा के कुछ घंटे बाद ही जो इस्तीफा देने का साहस दिखाया था वह अमन बजाज, मोनू सक्सेना, यासिर हसनात, रामलखन दंडोतिया तक चल रहा है। रामलखन ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इस्तीफा दिया तो राज्यसभा में पार्टी द्वारा भेजे गए ग्वालियर के नेता और पीसीसी कोषाध्यक्ष अशोक सिंह ने उन्हें प्रभारी महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह का संदेश भेजकर चेतावनी दे डाली है।
सोशल मीडिया पर यूं गिनाई जा रहीं खूबियां
सोशल मीडिया पर पीसीसी के मीडिया विभाग द्वारा अनौपचारिक ढंग से राजनीतिक जानकारों का हवाला देकर कार्यकारिणी की खूबियां गिनाई जा रही हैं। इस कार्यकारिणी को सख्ती से सहमति वाला बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर यह बातें सोशल मीडिया के राज्य समन्वयक अभिनव बरोनिया ने वायरल की है।
जंबो कार्यकारिणी को यू बताया जा रहा सबसे छोटा
खूबियां गिनाते हुए कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष-महामंत्री-सचिव-संयुक्त सचिव को ही वास्तविक पदाधिकारी बताया जा रहा है। इस तरह विशेष आमंत्रित, स्थायी आमंत्रित, एक्जीक्यूटिव कमेटी, पॉलीटिकल अफेयर्स कमेटी, परिसीमन कमेटी, अनुशासन समिति को कार्यकारिणी का हिस्सा ही नहीं बताया जा रहा है। यानी अब तक स्थायी आमंत्रित और विशेष आमंत्रित ही झुनझुना माने जा रहे थे लेकिन सोशल मीडिया पर चार पद ही वास्तविक बताए जाने से एक्जीक्यूटिव कमेटी, पॉलीटिकल अफेयर्स कमेटी, अनुशासन समिति जैसी वरिष्ठ व अनुभवी नेताओं की कमेटियों भी उसी लाइन में खड़ी कर दी गई हैं।
दलबदलु-वरिष्ठों के खिलाफ बयान देने वालों को जगह
जिस तरह सोशल मीडिया पर सकारात्मक प्रतिक्रियाओं को हवाला देकर कार्यकारिणी में दलबदलुओं को जगह नहीं देने, वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ अनर्गल टिप्पणी करने वालों को दूर रखने की बातें कहीं गईं जबकि वास्तविकता कुछ और है। दलबदलुओं में दिग्विजय सिंह के अनुज लक्ष्मण सिंह, मुकेश नायक, चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी, प्रमोद टंडन जैसे नेताओं को कार्यकारिणी में शामिल किया गया है। वहीं वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी करने वाले मुकेश नायक, उमंग सिंगार, राजा बघेल, सिद्धार्थ कुशवाह, सुनील सर्राफ जैसे नेता इस कार्यकारिणी में हैं जिन्होंने सोनिया गांधी से लेकर दिग्विजय सिंह-कमलनाथ-अजय सिंह राहुल के खिलाफ अनर्गल बयान दिए हैं।
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