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सरकार के खिलाफ कांग्रेस का विधानसभा घेराव आंदोलनः पार्टी एक मगर नेताओं के इंद्रधनुषी रंग

मध्य प्रदेश में भाजपा की मोहन सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने विधानसभा घेराव आंदोलन का ऐलान किया है लेकिन पार्टी के नेता के रंग-ढंग अलग-अलग दिखाई दे रहे हैं। आंदोलन को सफल बनाने के लिए सोशल मीडिया पर अपीलें की जा रही हैं जिनसे बड़े नेता अब तक दूर हैं तो संगठन प्रमुख और विधायक दल के नेता की अलग-अलग चाल नजर आ रही है। पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कैलासिया की रिपोर्ट।
भाजपा की मोहन यादव सरकार को एक साल पूरे हो गए हैं और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस सरकार की कथित विफलताओं को लेकर विधानसभा घेराव आंदोलन करने जा रहा है। विधानसभा घेराव का मामला है लेकिन विधानसभा में पार्टी के विधायक दल के नेता उमंग सिंगार इस आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने से लेकर सफलता की रणनीति बनाए जाने तक दूर रखे जाने की वजह से अपनी अलग लाइन पर चल रहे हैं। आंदोलन की रणनीति के लिए पार्टी ने जहां भोपाल में पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन की प्रेस कांफ्रेंस शनिवार को तय की तो उसी दिन पर्यटन विकास निगम की एक होटल में उमंग सिंगार ने पत्रकारों को लगभग उसी समय आमंत्रित कर मीडिया को असमंजस में डाल दिया है। मीडिया विधानसभा में सरकार के खिलाफ कांग्रेस की रणनीति जानने सिंगार के बुलावे को प्राथमिकता देगा तो पार्टी के आंदोलन के मुद्दों के प्रचार प्रसार की प्रेस कांफ्रेंस विफल हो जाएगी। हालांकि मीनाक्षी नटराजन की पत्रकारवार्ता को लेकर संगठन का तर्क है कि उसकी तारीख 13 दिसंबर थी लेकिन उसे आगे बढ़ाकर 14 दिसंबर किया गया और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार की पत्रकारवार्ता की जानकारी नहीं थी।
आंदोलन की सफलता के लिए सोशल मीडिया का सहारा
विधानसभा घेराव आंदोलन की सफलता को लेकर पीसीसी द्वारा सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है। पार्टी के नेताओं से आंदोलन को सफल बनाने के लिए पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं से अपील करने के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो रिकॉर्डेड बयान दिए जा रहे हैं। मगर इस माध्यम से आंदोलन के प्रचार प्रसार में अब तक प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता कमलनाथ-दिग्विजय सिंह-अरुण यादव की दूरी बनी हुई है तो नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार भी गुरुवार को पत्रकारों से चर्चा करते हैं लेकिन विधानसभा घेराव का जिक्र तक नहीं करते हैं। उसमें वे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के खिलाफ चुनावी वादों को नहीं निभाने के लिए घेरते नजर आते हैं और मौन यादव संज्ञा भी देते हैं लेकिन पार्टी के आंदोलन पर कुछ नहीं बोलते हैं। फिर शुक्रवार को विधानसभा घेराव आंदोलन की एक्स पर अपील करते नजर आते हैं लेकिन शनिवार को फिर पत्रकारों को होटल में गेट टू गेदर के बहाने मुलाकात के लिए बुलाते हैं।
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