कांग्रेस से भाजपा में जाने की होड़, कमलनाथ-दिग्विजय अपनी राजनीति में व्यस्त, जीतू के पास रणनीति नहीं

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद भाजपा में नेताओं के जाने की होड़ लगी है। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी अब तक अपनी कार्यकारिणी नहीं बना पाए हैं और भगदड़ को रोकने की उनके पास अब तक कोई रणनीति नजर नहीं आई है। वहीं, पार्टी के बुजुर्ग अनुभवी नेता कमलनाथ-दिग्विजय सिंह अपनी राजनीतिक जमीन को पकड़ को हिलते देखकर उसे बचाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। पढ़िये रिपोर्ट।

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस में नेता-कार्यकर्ताओं में ऊहापोह की स्थिति है। हाईकमान ने परिणामों के बाद प्रदेश को युवा नेतृत्व देते हुए विधानसभा चुनाव में हारे पूर्व मंत्री जीतू पटवारी को कमान सौंप दी तो विधानसभा में भी युवा नेतृत्व देने के लिए पूर्व मंत्री उमंग सिंगार को नेता प्रतिपक्ष की भूमिका सौंपी। युवा नेतृत्व के रूप में कांग्रेस को मिले प्रदेश अध्यक्ष पटवारी की अब तक छाप संगठन पर दिखाई नहीं दी है जिसके कारण विधानसभा चुनाव में हार से टूटे हुए नेता-कार्यकर्ताओं को नेतृत्व की तरफ से कोई जिम्मेदारी नहीं दिए जाने से उन्हें संबल नहीं मिल पा रहा है। असमंजस में फंसे नेता-कार्यकर्ता भाजपा की ओर नजरें गड़ाये हैं।
जा रहे महापौर, जिला पंचायत पदाधिकारी, पूर्व विधायक, जिला अध्यक्ष
कांग्रेस में असमंजस में फंसे नेताओं का रुख भाजपा की तरफ हो रहा है जिसमें कई अहम पदों पर निर्वाचित जन प्रतिनिधि से लेकर संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर बैठे नेता भी पार्टी छोड़ रह रहे हैं। पिछले दिनों महापौर, पार्षद, जिला पंचायत, जनपद, संगठन के जिला अध्यक्ष भाजपा में पहुंचे हैं। जबलपुर जैसे शहर के जिला अध्यक्ष व महापौर जगतबहादुर अन्नू से लेकर मुरैना के राकेश मावई-विदिशा के जिला अध्यक्ष राकेश कटारे शामिल हैं। सोमवार को भाजपा का दामन थामने वाले कांग्रेस नेताओं में विदिशा के कटारे के अलावा टीकमगढ़ के पूर्व विधायक दिनेश अहिरवार, गौरीहर की जनपद अध्यक्ष तुलसी अनुरागी, उज्जैन के युवा कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष हटेसिंह पटेल, उमरिया पंचायत के सरपंच त्रिभुव त्रिवेदी, हमीरखेड़ी उज्जैन के सरपंच सिंगाराम, शहर कांग्रेस के महामंत्री मनीष अग्रवाल सहित कई नेता शामिल हैं।
पीसीसी चीफ का आदेश नहीं माना जा रहा
एकतरफ जहां कांग्रेस से छोड़कर भाजपा में नेता-कार्यकर्ता जा रहे हैं, वहीं जो निष्कासन के बाद भी कांग्रेस में बने रहने को तैयार हैं, उनके लिए प्रदेश कांग्रेस में रास्ते नहीं खुल पा रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देशों के बाद भी ऐसे नेताओं की पार्टी में वापसी नहीं हो पा रही है। सिवनी का एक ताजा उदाहरण सामने आया है जिसमें बताया जा रहा है कि एक नेता राजा बघले को प्रदेश अध्यक्ष पटवारी के बहाली के निर्देशों के बाद भी पीसीसी से उन्हें आदेश नहीं मिल पा रहा है।
पटवारी कह रहे डर या भाजपा विचारधारा वाले जा रहे
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पास पार्टी छोड़ने वालों को रोकने की रणनीति अब तक नजर नहीं आई है। ऐसे नेताओं से किसी तरह का संपर्क करने के लिए किसी भी जिम्मेदार नेता को कमान नहीं दी गई। उलटा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पार्टी छोड़ने वालों को लेकर मीडिया से कहा कि वे लोग पार्टी से जा रहे हैं जो डरे हैं या फिर जिनकी विचारधारा भाजपा की है। कई ऐसे नेता पार्टी छोड़ रहे हैं जिन्हें पहले ही संगठन से निकाला जा चुका है।

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