ईसाई मिशनरी की पचमढ़ी की एक बेशकीमती जमीन की हेराफेरी, पूर्व बिशप व सतपुड़ा रिसोर्ट के मालिक पर आरोप

पचमढ़ी अंग्रेजों की पसंदीदा जगह थी और उन्होंने मध्य प्रदेश में वहीं कैंप लगाया था। आज भी वहां अंग्रेजों के समय के बंगले जिनमें राजभवन शामिल है, मौजूद हैं। अंग्रेजों की इस पसंदीदा स्थान पर करीब ढाई एकड़ बेशकीमती जमीन ईसाई मिशनरी की थी जिसे जबलपुर के एक पूर्व बिशप ने मिशनरी संस्था के नागपुर मुख्यालय के सेक्रेटरी व एक रिसोर्ट के मालिक के साथ मिलकर हेराफेरी करते हुए सस्ती दरों पर लीज पर दे दी। जानिये कौन हैं ईसाई मिशनरी की जमीन की हेराफेरी करने वाले और उनके क्या हैं संबंध।

मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटनस्थल पचमढ़ी में ईसाई मिशनरी की कुछ जमीन हैं जिनमें से एक जमीन नागपुर की संस्था नागपुर डायोसेशन ट्रस्ट एसोसिएशन एनडीटीए की भी है। यह जमीन करीब ढाई एकड़ है जिसमें भवन भी हैं। यह जमीन पचमढ़ी के मुख्य मार्ग के व्यावसायिक क्षेत्र में हैं जहां मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम की एक होटल ग्लेन व्यू भी है। इस जमीन को कुछ साल पहले सतपुड़ा रिसोर्ट प्रा.लिमि. के प्रमोद पुरी को लीज पर दे दी गई थी। उस समय जबलपुर डायोसेशन ट्रस्ट एसोसिएशन के सचिव एमके सिंह जीवित थे और उनके साथ मिलकर जबलपुर के बिशप और एऩडीटीए के मॉडरेटर पीसी सिंह ने प्रमोद पुरी को करीब 14 हजार रुपए की लीज पर सौंप दिया था जबकि इसके अधिकार न तो एमके सिंह को थे और न ही पीसी सिंह को। पहले यह जमीन एमके सिंह के नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कराई गई और फिर लीज पर उसे पुरी को दे दी गई थी।
एनडीटीए के पूर्व सचिव प्रशांत सत्रालकर ने की थी शिकायत
एनडीटीए की जमीन को बिना अधिकार के सस्ती दरों पर लीज पर दे दिए जाने का मामला उस समय सामने आया जब संस्था के पूर्व सचिव प्रशांत सत्रालकर और नितिन लॉरेंस ने आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ ईओडब्ल्यू में शिकायत की। जांच के दौरान यह पाया गया कि चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के अंतर्गत आने वाले एनडीटीए में डायोसेशन ऑफ जबलपुर व डायोसेशन ऑफ भोपाल गठित हुए थे। मगर इनकी संपत्तियों का अधिकार एनडीटीए नागपुर को ही था और पॉवर ऑफ अटार्नी भोपाल-जबलपुर को दी गई थी। डायोसेशन ऑफ जबलपुर के तत्कालीन सचिव एमके सिंह जो अब जीवित नहीं हैं तथा मॉडरेटर पीसी सिंह ने पॉवर ऑफ अटार्नी का दुरुपयोग कर पचमढ़ी की जमीन एमके सिंह के नाम करा ली।
ढाई एकड़ जमीन का 12500 रुपए महीने किराया
एनडीटीए की ढाई एक़ड़ जमीन को पीसी सिंह व एमके सिंह ने मिलकर 12500 रुपए के मासिक किराये पर सतपुड़ा रिसोर्ट प्रा.लिमि. के प्रमोद पुरी को 14 साल की लीज पर दे दी। ईओडब्ल्यू ने जांच के दौरान शिकायत में धोखाधड़ी, अपराधिक षड़यंत्र के साक्ष्य पाते हुए मृत एमके सिंह, पीसी सिंह व प्रमोद पुरी के खिलाफ धारा 406, 420 व 120 बी का अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
दो साल पहले यह भी मामला बना था
चर्च ऑफ नार्थ इंडिया की अरबों की बेशकीमती जमीनों की हेरा फेरी के घोटाले में भी बिशप पीसी सिंह की गिरफ्तारी हुई ती। उसे तब कई दिन फरार रहने के बाद नागपुर एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था। नागपुर से हिरासत में लेने के बाद बिशप से मिशनरी स्कूल फीस के करीब 2 करोड़ 70 लाख रुपए के गबन के मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने पूछताछ की थी। तब यह संभावना जताई गई थी कि ईओडब्ल्यू के शिकंजे में फंसे बिशप पीसी सिंह से जमीनों की हेराफेरी, फीस के गबन, करोड़ों की रकम के दुरुपयोग, फर्जी संस्थाओं के संचालन के अलावा खुद को द बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के चेयरमैन बनने जैसे अहम मसलों पर सवाल कर कई साक्ष्य जुटाने की कोशिश की गई थी।

नागपुर में भी 18 लाख की हेराफेरी का लगा था आरोप
यहां उल्लेखनीय है कि नागपुर की नागपुर डायोसेशन ट्रस्ट एसोसिएशन में 2012 में भी हेराफेरी का आरोप मॉडरेटर पीसी सिंह पर लग चुका है। तब उनके खिलाफ 18 लाख से ज्यादा की आर्थिक गड़बड़ी के आरोप लगे थे और महाराष्ट्र विधानसभा में भी 2018 में उक्त मामले में विधायकों ने सवाल किए थे।

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