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कांग्रेस में नेतृत्व बदलने के साथ निष्ठाओं का परिवर्तन, पढ़िये रिपोर्ट

मध्य प्रदेश कांग्रेस कई दशकों से गुटीय राजनीति से घिरी हुई है जिसमेें कई नेता अपने आकाओं को नेतृत्व बदलने के साथ बदलते आए हैं। इस बार भी विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद हाईकमान ने प्रदेश नेतृत्व की कमान बुजुर्ग कमलनाथ से युवा जीतू पटवारी को सौंपी तो निष्ठाओं को बदलने वाले नेता भी उसी रफ्तार के साथ परिवर्तित होते नजर आए। हमारे लिए वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कैलासिया की रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति के ध्रुव कभी अर्जुन सिंह, श्यामाचरण शुक्ल, मोतीलाल वोरा, माधवराम सिंधिया रहा करते थे जो बाद में अर्जुन सिंह के साथ मोतीलाल वोरा, सिंधिया, कमलनाथ, सुरेश पचौरी के ईर्दगिर्द टिक गई। 1990 के बाद इसमें दिग्विजय सिंह का नाम जुड़ा और 2000 के बाद प्रदेश कांग्रेस में माधवराव सिंधिया की जगह उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ले ली लेकिन उनके विरोधी दिग्विजय सिंह बने रहे। सुरेश पचौरी व कमलनाथ भी गुटीय राजनीति के केंद्र बने रहे लेकिन 2010 के बाद पचौरी का दबदबा केंद्र में कम हुआ। मगर प्रदेश में उनकी गुटीय राजनीति में हिस्सेदारी बनी रही और 2010 के बाद इसमें अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह व सुभाष यादव के पुत्र अरुण यादव का नाम भी जुड़ गया। कमलनाथ के प्रदेश में सक्रिय राजनीति में उतरने के बाद अजय सिंह, अरुण यादव सहित पचौरी की प्रदेश में गुटीय राजनीति को धक्का लगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद तो मध्य प्रदेश कांग्रेस में राजनीति के केवल दो ध्रुव रह गए कमलनाथ व दिग्विजय सिंह। विधानसभा चुनाव तक इन लोगों का दबदबा ऐसा रहा कि बाकी नेता मूकदर्शकों जैसी स्थिति में रहे लेकिन चुनावी हार ने इन दोनों नेताओं को हासिये पर लाकर खड़ा कर दिया है। हाईकमान ने उनके दबदबे को लगभग समाप्त कर दिया और जीतू पटवारी जैसे नेता को युवा नेतृत्व सौंपकर नए सिरे से प्रदेश में शुरुआत की कोशिश तेज कर दी है।
नेतृत्व बदलने के बाद नेताओं के ठिकाने बदले
हाईकमान ने विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद जीतू पटवारी को नया प्रदेश अध्य़क्ष बनाने का ऐलान किया तो चुनावी हार पर पार्टी नेताओं ने कमलनाथ-दिग्विजय सिंह की खुलकर आलोचनाएं शुरू कर दीं। वे ही नेता जो एक समय कांग्रेस की जय के बजाय जय-जय कमलनाथ के नारे लगाया करते थे अब पटवारी के सामने उनके उद्घोष करते नजर आने लगे हैं। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में तीन मंजिलों पर कक्षों में बैठने वाले नेताओं में से कमलनाथ की कोर कमेटी के सदस्यों ने पद की लालसा में काम दिखाने बैठकों का सिलसिला शुरू कर दिया। नए अध्यक्ष पटवारी ने कमलनाथ की तरह पहले ही कार्यकारिणी भंग कर प्रमुख पदों पर अपनी टीम के लोगों की नियुक्ति के बजाय काम कर रहे नेताओं को फिलहाल काम करने के संकेत दिए तो इन नेताओं ने निष्ठा परिवर्तन के इस मौके का पूरा फायदा उठाया। इनमें कभी अर्जुन सिंह तो कभी सुरेश पचौरी तो कभी अरुण यादव और कमलनाथ के गुणगान करने वाले नेता अब नए प्रदेश अध्यक्ष के गुणगान करने में लगे हैं। 2018 के बाद से कमलनाथ के बंगले पर काम करने वाले कुछ नेता हाईकमान के जीतू पटवारी को अध्यक्ष बनाने के फैसले के बाद प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में दिखाई देने लगे तो कुछ नेता प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से अपना सामान समेटकर ही चले गए। मगर कुछ नेता पीसीसी में ही निष्ठा बदलकर बैठकर जय जय कमलनाथ के नारों से जीतू पटवारी की जिंदाबाद के नारे लगाने लगे हैं। हालांकि ये नेता न कमलनाथ के दिल से रहे न किसी दूसरे के, क्योंकि उनकी निष्ठाएं भोपाल संभाग से जुड़े एक नेता के खूंटे से तब से ही जुड़ी रही हैं। कुछ ऐसे भी नेता हैं जिनका लंबे समय तक कोई एक आका नहीं रहा क्योंकि समय के साथ नेता का दामन से उन्होंने कभी परहेज नहीं किया और इस बार फिर आखिरी वाली श्रेणी के दोनों नेता जीतू पटवारी को घेरने की कोशिश में हैं।
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