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मोहन यादव सरकार-कांग्रेस के सामने चुनौतियां, पुराने चेहरों से चलाएंगे काम या नए से बनाएंगे टीम

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा और कांग्रेस में युवा नेतृत्व को आगे लाने के फैसलों से डॉ. मोहन यादव सरकार और कांग्रेस में जीतू पटवारी के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो गईं हैं। यादव सरकार में मंत्रियों की टीम में नए और पुराने चेहरों के मिश्रण के समीकरण बैठाने पर मंथन जारी है तो जीतू पटवारी को महत्वपूर्ण पदों पर अनुभवी तो कदम मिलाकर काम करने के लिए युवाओं की टीम खड़ी करना है। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश की राजनीति में विधानसभा चुनाव के बाद नई पीढ़ी को आगे लाने के लिए हार के बाद कांग्रेस ने बड़ा फैसला लिया तो भाजपा ने सत्ता में आने के बावजूद मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. मोहन यादव की ताजपोशी कर नया चेहरा लाकर नई टीम बनाने के संकेत दिए हैं। हालांकि मोहन यादव की टीम को बनाने के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने कई पुराने चेहरों को मंत्रिमंडल में लेने न लेने की दुविधा बनी हुई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर केंद्रीय नेतृत्व ने एक सीढ़ी पार कर ली है लेकिन 47 ऐसे विधायक हैं जो चार से लेकर नौ बार विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं।
इन सीनियर-जूनियर के नाम पर मंथन से निकलेगा अमृत
इनमें गोपाल भार्गव, जयंत मलैया, विजय शाह, करण सिंह वर्मा, कैलाश विजयवर्गीय, बिसाहूलाल सिंह, मीना सिंह, नागेंद्र सिंह, तुलसीराम सिलावट, डॉ. सीतासरन शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भूपेंद्र सिंह, एंदल सिंह कंसाना, गोविंद सिंह राजपूत, गिरीश गौतम, संजय पाठक, अजय विश्नोई, ओमप्रकाश धुर्वे, डॉ. प्रभूराम चौधरी, निर्मला भूरिया, महेंद्र हार्डिया, ओमप्रकाश सकलेचा, प्रद्युमन सिंह तोमर, नारायण सिंह कुशवाह, बृजेंद्र सिंह यादव, प्रदीप लारिया, शैलेंद्र जैन, हरिशंकर खटीक, बृजेंद्र प्रताप सिंह, सुरेंद्र पटवा, विश्वास सारंग, अर्चना चिटनीस, रमेश मेंदोला, मालिनी गौड़, उषा ठाकुर व हरदीप सिंह डंग के नाम प्रमुख हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व सांसद राकेश सिंह भी वरिष्ठ नेता हैं। इन वरिष्ठों के बीच नए चेहरों विष्णु खत्री, सुदेश राय, चैतन्य कश्यप, अशोक रोहाणी, सुशील तिवारी, चिंतामणि मालवीय, संपतिया उइके, रीति पाठक, सिद्धार्थ तिवारी, प्रियंका पैंची, अंबरीश शर्मा जैसे तीन से लेकर पहली बार के विधायकों को भी मौका देने की कवायद में भाजपा नेतृत्व को हल निकालना है।
कांग्रेस चेहरों पर सवाल की लकीरें, कैसी होगी जीतू की टीम
दूसरी तरफ कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद प्रदेश नेतृत्व में बदलाव से अब कांग्रेस नेताओं के चेहरों पर इस सवाल को आसानी से पढ़ा जा सका है कि नेता जीतू की टीम का जवाब तलाश रहे हैं। कमलनाथ ने जिस तरह एक मई 2018 को पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद रात को पांच पदाधिकारियों का ऐलान कर दिया था, वैसे मंगलवार 19 दिसंबर 2023 को जीतू पटवारी ने नहीं किया। बल्कि सभी को यह संकेत दे दिया कि अभी जो जिस काम को कर रहा है, वह करता रहे। मगर यह तय माना जा रहा है कि कुछ दिन में ही जीतू अपने सारथी यानी संगठन प्रभारी को लेकर आएंगे जिसको लेकर पार्टी नेताओं में बुधवार को उत्सुकता बनी रही। मौजूदा पदाधिकारियों की आपस में बैठकें भी होती रहीं और उनके चेहरों पर अजीब से डर नजर आया। यह कहा जा रहा है कि जीतू पटवारी मीडिया प्रभारी के रूप में अपने किसी विश्वस्त साथी को लाएंगे। वहीं, प्रकोष्ठों के कामकाज की समीक्षा भी पटवारी द्वारा की जा सकती है क्योंकि कमलनाथ के कार्यकाल में जो प्रकोष्ठ बने थे, उनको लेकर वे ही कई बैठकों में असंतोष जाहिर कर चुके थे।
भूतल पर कक्षों में सन्नाटा, तीसरी मंजिल पर रौनक
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के भूतल के कक्षों में जहां मंगलवार को मीडिया प्रभारी केके मिश्रा की नाम पट्टिका नहीं दिखी तो शोभा दिन में अपने कक्ष में बैठी नजर आईं। प्रदेश अध्यक्ष के मीीडिया सलाहकार पीयूष बवेले का कक्ष भी बंद रहा था तो आज भी ये तीनों कक्ष बंद नजर आए। तीसरी मंजिल पर प्रशासन प्रभारी महामंत्री राजीव सिंह, महेंद्र जोशी, महेंद्र सिंह चौहान, चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी, विधायक राजेंद्र सिंह के कक्ष खुले रहे जहां प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी से मिलने पीसीसी पहुंचने वाले बाहर से आने वालों का आना-जाना लगा रहा।
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