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MP उपचुनाव में विरोध के बीच एकजुटता दिखाती BJP तो कांग्रेस दिग्विजय के ईर्द-गिर्द

मध्य प्रदेश के बुदनी-विजयपुर उपचुनाव में मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा और कांग्रेस दोनों में ही टिकट दिए जाने से नाराजगी दिखाई दे रही है जिस पर भाजपा ने काबू पाने के लिए दावेदारों को नामांकन पर्चा दाखिल कराने के लिए आयोजित रैली में एक मंच पर लाकर एकजुटता का परिचय दिखाया है। कांग्रेस में बुदनी और विजयपुर उपचुनाव दिग्विजय सिंह के ईर्दगिर्द ही घूमते नजर आ रहे हैं जिससे कई नेताओं में नाराजगी नजर आ रही है। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश में बुदनी-विजयपुर विधानसभा के उपचुनाव लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्रीय मंत्री बने शिवराज सिंह चौहान और लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए वन मंत्री रामनिवास रावत के इस्तीफे की वजह से हो रहे हैं। इन उपचुनाव में कांग्रेस नेता पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मुख्य केंद्र में हैं। विजयपुर उपचुनाव में उनके पुत्र जयवर्धन सिंह को एक तरह से प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव प्रचार की बागडोर तक का जिम्मा सौंप दिया गया है जिसके पीछे दिग्विजय की पुत्र को ग्वालियर-चंबल संभाग में स्थापित करने की राजनीति मंशा मानी जा रही है। विजयपुर में पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह और विधायक पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह नामांकन पर्चा भरने वाली रैली में नहीं दिखाई दिए।
बुदनी में दिग्विजय ने फिर पटेल परिवार को दिलाया टिकट
वहीं, बुदनी उपचुनाव में दिग्विजय सिंह ने अपने समर्थक पटेल परिवार को एकबार फिर टिकट दिला दिया है जबकि उनका वहां एक तरह से विरोध हो रहा था। बुदनी में प्रत्याशी चयन के पहले बनाई गई कमेटी में शामिल पूर्व पीसीसी अध्यक्ष अरुण यादव थे जो नामांकन दाखिल करने वाले दिन महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में एक प्रत्याशी के प्रचार के लिए चले गए। प्रत्याशी चयन की कमेटी ने तो हाईकमान को अपनी अनुशंसा के साथ 2009 लोकसभा चुनाव के विदिशा सीट के घटनाक्रम का हवाला तक देकर उनके नाम को पैनल में भेजा था।
भाजपा में विरोध को एकजुटता में बदलने की कोशिश
इधर, भाजपा में बुदनी-विजयपुर उपचुनाव में टिकट नहीं मिलने से जो विरोध की स्थितियां नजर आ रही हैं, वे बदलने के लिए नेता जुट गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय हो या पूर्व मंत्री रामपाल सिंह या फिर सीताराम आदिवासी या दूसरे दावेदार, सभी को प्रदेश के प्रमुख नेता एक मंच पर ले आए हैं। बुदनी और विजयपुर की नामांकन रैलियों में अधिकांश नाराज नेताओं की मौजूदगी से एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की गई।
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