मध्य प्रदेश में इंदौर के बाद अब राजधानी भोपाल की नगर निगम में भी बड़ा घोटाला सामने आया है जिसमें लोकायुक्त ने आठ जोनल अधिकारियों-छह वार्ड प्रभारियों सहित 17 लोगों पर एफआईआर दर्ज की है। मजदूरों की मौत बताकर इन लोगों ने कैसे घोटाला किया, जानिये इस रिपोर्ट में।
इंदौर नगर निगम के करीब 100 करोड़ के ड्रेनेज स्कैम के बाद अब भोपाल नगर निगम ने पंजीकृत मजदूरों की मौत बताकर उन्हें मिलने वाली विभिन्न सहायता की राशि का बड़ा घोटाला कर दिया है। भोपाल नगर निगम ने इस घोटाले में करीब सवा एक सौ पंजीकृत मजदूरों की मौत की फाइलें तैयार की और उन्हें भवन संनिर्माण एवं कर्मकार मंडल को भेजकर उन्हें मिलने वाली सहायता राशि का भुगतान कराया। इसके लिए मृत्यु प्रमाण पत्र से लेकर बैंक खातों के रिकॉर्ड भी फाइलों में प्रस्तुत किए गए। जानकारी के मुताबिक ऐसे प्रकरणों में मजदूरों के परिजनों को लाखों रुपए की सहायता मंडल से प्रदान की जाती है।
मजदूर के एक प्रकरण की जांच में खुलासा
बताया जाता है कि कम्मू का बाग का एक पंजीकृत मजदूर अब्दुल सबूर की शिकायत पर इस मामले का पर्दाफाश हुआ। अबुद्ल सबूर ने लोकायुक्त में इस तरह की शिकायत की थी कि उसे मृत बताकर नगर निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों ने किसी सैयद मुस्तफा के बैंक खाते में दो लाख रुपए की राशि डाल दी है। लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले की जांच की तो 118 प्रकरणों को संदिग्ध पाया था।
लोकायुक्त को नहीं दी गईं 95 फाइलें
लोकायुक्त पुलिस ने जब जांच की तो 118 संदिगध मामलों की फाइलें भोपाल नगर निगम से मांगी गईं लेकिन 23 प्रकरणों की फाइलें ही लोकायुक्त पुलिस को उपलब्ध कराई गईं। अन्य 95 प्रकरणों की फाइलें नगर निगम के रिकॉर्ड से ही गायब बताई गईं जबकि यह सभी रिकॉर्ड नगर निगम का था और उन फाइलों के गायब होने के आधार पर संबंधित संदेहीजनों के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने एक्शन लिया।
लोकायुक्त में इनके खिलाफ एफआईआर
जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है, उनमें जोनल अधिकारी सत्यप्रकाश बड़गैया, परितोष रंजन, अवधनारायण मकोरिया, मयंक जाट, अभिषेक श्रीवास्तव, सुभाष जोशी, मृणाल खरे और अनिल कुमार शर्मा, वार्ड प्रभारी अनिल प्रधान, चरण सिंह खगराले, शिवकुमार गोफनिया, सुनील सूर्यवंशी, मनोज राजे और कपिल कुमार बंसल, कंप्यूटर ऑपरेटर सुधीर शुक्ला, नगर निगम कर्मचारी नवेद खान व 29 दिवसीय कर्मचारी रफत अली शामिल हैं।
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