जब महाभारत के युद्ध के बाद ये प्रश्न उठा कि युद्ध में सबसे अधिक योगदान किसका रहा, तो इसका उत्तर पूरा युद्ध देखने वाले बर्बरीक से पूछा गया। उनका जवाब था कि युद्ध के मैदान में मुझे चारों ओर सिर्फ सुदर्शन चक्र ही घूमता नजर आया। हर तरफ श्री कृष्ण ही युद्ध लड़ते दिखे। कुछ ऐसा ही मंजर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा के चुनावी रण में भी दिखने की उम्मीद है। जहां श्रीकृष्ण की भूमिका में पीएम मोदी होंगे और सुदर्शन चक्र के रूप में उनकी बेमिसाल वाक्पटुता कार्य करते दिखेगी। लेकिन इस चुनावी महाभारत में फिर अन्य योद्धाओं की क्या भूमिका होगी? चूंकि एक तरफ केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी की सुगबुगाहट के साथ मध्य प्रदेश में बीजेपी के चुनावी बैनर-पोस्टर से 18 साल मुख्यमंत्री का सुख भोगने वाले शिवराज जी गायब नजर आने लगे हैं, और दूसरी तरफ प्रह्लाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र सिंह तोमर, गणेश सिंह या रमेश सिंह जैसे 60 पार वाले केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों और चर्चित चेहरों को जंग में हिस्सा लेना का आदेश जारी हुआ है। हालांकि इनके बीच एक दिलचस्प नाम सांसद रीति पाठक का भी है, लेकिन भले इन नामों को मुख्यमंत्री की रेस में दौड़ाने के हिसाब से भी देखा जा रहा हो लेकिन इनमें से किसी का भी मुख्यमंत्री बनने का सपना तभी पूरा हो सकेगा, जब भाजपा प्रदेश में वापसी करेगी। कुछ ऐसा ही हाल राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे चुनावी राज्यों में भी देखने को मिल रहा है, वहीं टी राजा सिंह जैसे नामों के साथ तेलंगाना भी इससे अछूता नहीं रहा है।
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