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बैतूल लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस में तीन दावेदार तो भाजपा में चर्चा में सांसद-विधायक के दावेदारों में नाम
मध्य प्रदेश की अनुसूचित जनजाति की बैतूल लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ बन चुकी है लेकिन विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस को यहां लोकसभा चुनाव 2019 में मिले वोट से करीब सवा दो लाख मत ज्यादा मिले हैं। भाजपा के पास यहां मौजूदा सांसद के अलावा एक विधायक का नाम भी विकल्प के रूप में है तो कांग्रेस के पास पूर्व प्रत्याशी के अलावा दो पूर्व विधायकों का मन भी लोकसभा चुनाव लड़ने को बावला जैसा हो रहा है। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश की आदिवासी आरक्षित लोकसभा सीट बैतूल में करीब साढ़े 18 लाख से ज्यादा मतदाता हैं जो इस बार अपने सांसद का चुनाव करेंगे। बैतूल जिले में बैतूल, हरदा जिले की आठ विधानसभा सीटें मुलताई, घोड़ाडोंगरी, आमला, भैंसदेही, बैतूल, हरदा, टिमरनी, हरसूद आती हैं। इनमें से केवल दो सीटों हरदा व टिमरनी में ही कांग्रेस विधायक हैं और शेष छह में भाजपा विधायक हैं लेकिन कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में छह लाख 66041 वोट हासिल किए हैं जो लोकसभा चुनाव 2019 में मिले मतों की तुलना में करीब सवा दो लाख ज्यादा हैं। वहीं भाजपा को सात लाख 79 हजार करीब वोट विधानसभा चुनाव 2023 में मिले हैं जो लोकसभा चुनाव 2019 से करीब 32 हजार कम हैं।
कांग्रेस में रामू टेकाम को दो पूर्व विधायकों से चुनौती
लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस के लिए बैतूल लोकसभा सीट पर प्रत्याशियों के बीच एक-दूसरे के लिए चुनौती की स्थिति नजर आ रही है। 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ चुके आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामू टेकाम इस बार भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं लेकिन उनके लिए दो पूर्व विधायक ब्रह्मा भलावी और धरमू सिंह की चुनौती बाधा के रूप में खड़ी है। ब्रह्मा भलावी का कहना है कि 18 हजार वोट से जीतने के बाद भी विधानसभा चुनाव 2023 में टिकट काट दिया गया था तो लोकसभा चुनाव में साढ़े तीन लाख से ज्यादा वोट से हारने वाले को पार्टी टिकट देगी तो यह गलत होगा।
भाजपा में भी सांसद के सामने विधायक
इधर, भाजपा में बैतूल सीट के लिए मौजूदा सांसद दुर्गादास उइके डीडी की इस बार भी लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी है लेकिन उनके सामने भैंसदेही से विधायक चुने गए महेंद्र सिंह चौहान की दावेदारी चुनौती है। दुर्गादास उइके का टिकट बदला जाता है तो महेंद्र सिंह चौहान का नाम दूसरे नंबर है। दो बार की सांसद ज्योति धुर्वे के जाति प्रमाण पत्र का मामला अब तक विवादित है और उन्हें टिकट दिए जाने का कोई सवाल नहीं उठता है। इसलिए दुर्गादास उइके या महेंद्र सिंह चौहान में से एक को ही टिकट मिलने की संभावना दिखाई दे रही है।
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