कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में संगठन की कमान चुनाव में हारे हुए प्रत्याशियों को सौंपने की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है। प्रदेश कांग्रेस की कमान हारे हुए जीतू पटवारी को देने के दो साल बाद महिला कांग्रेस की कमान भी हारी हुई नेता रीना बौरासी को सौंप दी है। वहीं, पूर्व कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी समर्थक भोपाल ग्रामीण के पूर्व अध्यक्ष अवनीश भार्गव को भी सेवादल प्रमुख बनाकर पचौरी के साथ नहीं जाने का तोहफा दिया गया है। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश कांग्रेस में दो साल पहले जिस तरह से विधानसभा चुनाव परिणाम में भाजपा के पक्ष में जाते ही नेता परिवर्तन हुआ था और युवा नेताओं को आगे लाने की शुरुआत करते हुए हाईकमान ने उसी चुनाव में 35 हजार वोटों से हारे जीतू पटवारी को अध्यक्ष बनाकर भेजा था। संभवतः पटवारी उस समय अपनी हार की निराशा में डूबे थे और उसी दौरान ऐसी बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने के फैसले से उतने उत्साहित भी नहीं हुए होंगे। मगर हाईकमान के सपोर्ट से वे अपने हिसाब से संगठन में पकड़ बनाने के फैसले करते-कराते रहे जिसमें प्रदेश के दिग्गज नेताओं की दखलदांजी को रोकने के लिए भी हाईकमान से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से दबाव बनता रहा। संगठन सृजन कार्यक्रम में अपने हिसाब से जिला अध्यक्षों की नियुक्ति कराने में पटवारी कामयाब रहे तो अब कांग्रेस के मुख्य घटक सेवादल व महिला कांग्रेस में भी अपने मनमुताबिक नियुक्तियां करा ली हैं। हालांकि महिला कांग्रेस में इंदौर की रीना बौरासी सेतिया की नियुक्ति को लेकर आलोचना भी हो रही है कि डेढ़ लाख वोटों से विधानसभा चुनाव हारने वाली नेता को महिला नेताओं का मुखिया बनाया जाना कहां का सही फैसला है।
बौरासी को कमान सौंपकर एक तीन से दो निशाने
महिला कांग्रेस अध्यक्ष बनाई गई रीना बौरासी को नई जिम्मेदारी देकर पटवारी ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। उन्होंने सांवेर विधानसभा सीट पर बौरासी की दावेदारी को कमजोर करने के साथ अपने समाज से आने वाले विपिन वानखेड़े के लिए रास्ता साफ कर दिया है। वानखेड़े को वे पहले ही इंदौर ग्रामीण कांग्रेस का अध्यक्ष बना चुके हैं जिसका तब विरोध भी हुआ था। वानखेड़े के आगर सीट से चुनाव लड़ने की वजह से उन्हें इंदौर ग्रामीण अध्यक्ष बनाए जाने पर विरोध हुआ था, मगर तब किसी को यह अंदाज नहीं था कि पटवारी किस फैसले के लिए वह जिम्मेदारी दे रहे हैं। साथ ही रीना बौरासी को महिला कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर उन्होंने उनके राजनीतिक गुरू कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समर्थक पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू को भी झटका दिया है। रीना उनकी बेटी हैं लेकिन पिछले चुनाव में उन्हें टिकट दिए जाने का उन्होंने विरोध किया था।
पचौरी समर्थक फिर भरोसेमंद बने
वहीं, कांग्रेस से तीन दशक तक उपकृत होने के बाद एक झटके में पार्टी छोड़कर भाजपा में जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी के समर्थक रहे नेताओं पर भरोसे को लेकर भी पार्टी के कुछ दिग्गज नेता आलोचना करते नजर आते हैं। जिला अध्यक्षों के पचमढ़ी प्रशिक्षण कार्यक्रम में पचौरी समर्थक और दो बार विधानसभा चुनाव हार चुके महेंद्र जोशी को पूरी तरह से जिम्मेदारी देकर पटवारी ने दिग्गज नेताओं को राहुल गांधी के स्वागत करने तक से रोक दिया तो वहीं पचौरी के दूसरे समर्थक अवनीश भार्गव को प्रदेश सेवादल का मुख्य संगठक बना दिया है। हालांकि अवनीश भार्गव का भोपाल के ग्रामीण क्षेत्र में काफी प्रभाव है मगर बैरसिया आरक्षित सीट होने की वजह से उनकी विधानसभा टिकट की दावेदारी नहीं बनी थी और हुजूर से उन्हें टिकट मांगने पर टिकट नहीं दिया गया था।
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