मध्य प्रदेश कांग्रेस की नई कार्यकारिणी के ऐलान से मचा बवाल अभी थमा नहीं है और संगठन प्रभारी उपाध्यक्ष के बदले जाने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। जिस तरह नई कार्यकारिणी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की बताई जा रही है, उसी तरह अब संगठन प्रभारी उपाध्यक्ष में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव विरोधी या भाजपा में चले गए सुरेश पचौरी समर्थक को बनाए जाने की चर्चा शुरू होने से इसके ऐलान के पहले कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूटने की आशंकाएं दिखाई देने लगी हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश कांग्रेस में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में हार के बाद भी नेताओं को साथ लेकर चलने की जगह प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की छाया में काम करने की छाप लगती जा रही है। नई कार्यकारिणी में जो नाम शामिल किए गए हैं, उनमें से अब संगठन प्रभारी के नामों की चर्चा शुरू हो गई है और यह कहा जा रहा है कि राजीव सिंह के स्थान पर पटवारी दूसरा संगठन प्रभारी बना सकते हैं। इसमें संगठन का बेहतर ढंग से काम देख चुके मानक अग्रवाल, चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी, प्रकाश जैन, गोविंद गोयल जैसे नेताओं को स्थायी आमंत्रित या विशेष आमंत्रित में शामिल कर इस जिम्मेदारी से दूर कर दिया गया है।
दो जोशी में से एक को संगठन प्रभारी की मिल सकती है कमान
अभी जो नाम चर्चा में आए हैं, उऩमें रवि जोशी और महेंद्र जोशी हैं। रवि जोशी पूर्व पीसीसी अध्यक्ष अरुण यादव के विरोधी हैं और इसका उन्हें पटवारी की टीम में इसीलिए तवज्जोह मिलने की संभावना है क्योंकि नई कार्यकारिणी में यादव के विरोधियों को शामिल करने के साथ उनके समर्थकों को दूर रखा गया है। दूसरा नाम महेंद्र जोशी का है जो सुरेश पचौरी समर्थक रहे हैं और उन्हें पचौरी के साथ नहीं जाने की इनाम दिए जाने की चर्चा है। हालांकि महेंद्र जोशी जब इंदौर के जिला प्रभारी थे तब जीतू पटवारी से उनकी पटरी खास नहीं बैठी थी और पटवारी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पीसीसी में उनकी आवाजाही भी कम हो गई थी। बहरहाल संगठन प्रभारी बदले जाने की स्थिति में दो जोशी में से एक जोशी को यह जिम्मेदारी मिलने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।
कार्यकारिणी से कुछ नाराज बोले तो कुछ की चुप्पी में छिपा विरोध
नई कार्यकारिणी में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की तीखी प्रतिक्रिया ने ऐसी स्थिति में लाने वालों नेताओं के इशारे पर फैसले लेने के आरोप लगाते हुए पार्टी के भविष्य को भगवान भरोसे कहा है। वहीं, ग्वालियर-चंबल में जहां अभी विजयपुर उपचुनाव हैं, वहां भी नई कार्यकारिणी से इसी तरह की नाराजगी है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह के किसी भी समर्थक को शामिल नहीं किए जाने से उनकी चुप्पी नाराजगी के संकेत दे रही है तो अरुण यादव के विरोधियों को कार्यकारिणी मेें खूब जगह मिली है। इंदौर में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक रहे प्रमोद टंडन को जीतू पटवारी ने प्रदेश अध्य़क्ष बनने के बाद कांग्रेस में वापसी कराई थी, मगर नई कार्यकारिणी घोषित होने पर नाराज नेताओं में से सबसे पहला इस्तीफा सोशल मीडिया पर उनका ही वायरल हुआ है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में व्यस्त हैं और अभी तक नई कार्यकारिणी को लेकर उनकी किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं आई है। विंध्य में अजय सिंह के अलावा कमलेश्वर पटेल समर्थकों को भी नई कार्यकारिणी में जगह नहीं दी गई है जबकि विरोधियों को भरपूर तवज्जोह मिली है। पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह की नई कार्यकारिणी पर चुप्पी है मगर उन्होंने संगठन में सक्रिय लोगों को बाहर किए जाने पर उन नेताओं को दिलासा जरूर दी है और कहा कि आप लोगों को शामिल किया जाना था।
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