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अहमदाबाद अधिवेशनः राहुल गांधी की सोच के अनुरूप क्या रेस को छोड़ने, बारात के घोड़ों को बांधने का होगा फैसला

मध्य प्रदेश में जिस तरह कांग्रेस 2003 से सत्ता से बाहर है, उसी तरह गुजरात में 1990 से सत्ता में नहीं आ पा रही है और शायद वहां वापसी के लिए पार्टी ने छह दशक बाद 84वें अधिवेशन के लिए अहमदाबाद को चुना है। मगर राहुल गांधी ने इस अधिवेशन के एक महीने पहले अहमदाबाद में ही जिस तरह से रेस और बारात के घोड़ों को लेकर बयान दिया था, क्या दो दिन के अधिवेशन में उसी दिशा में पार्टी आगे बढ़ने का एजेंडा तैयार करने जा रही है। जानिये हमारी रिपोर्ट में, इस अधिवेशन में मध्य प्रदेश के नेताओं की कैसी स्थिति है।
कांग्रेस का 84वां अधिवेशन आज मंगलवार को गुजरात के अहमदाबाद में शुरू हुआ जिसके पहले दिन सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई और बुधवार को एआईसीसी की बैठक होगी। इस अधिवेशन के करीब एक महीने पहले जिस तरह से राहुल गांधी ने अहमदाबाद में ही कांग्रेस पार्टी की नीति पर तंज कसते हुए उसे अव्यवहारिक बताने की कोशिश की थी, अब उनके विचारों के अनुरूप एआईसीसी के पदाधिकारियों को रणनीति तैयार करना होगा जिसका खुलासा बुधवार को बैठक में हो सकता है। गौरतलब है कि राहुल गांधी ने अहमदाबाद में एक महीने पहले यह कहा था कि कांग्रेस पार्टी में रेस के घोड़ों को बांध दिया जाता है और बारात के घोड़े मैदान में छोड़ दिए जाते हैं। उनका इशारा युवा टीम को आगे करने का था और इस दिशा में उन्होंने मध्य प्रदेश में सवा साल पहले प्रयोग भी किया था। मध्य प्रदेश में यह प्रयोग, वरिष्ठ नेताओं के साथ तालमेल की कमी और पीसीसी चीफ-नेता प्रतिपक्ष के बीच सामंजस्य नहीं होने के कई उदाहरण से, फ्लॉप साबित होता दिखाई दे रहा है।
कमलनाथ ग्रुप फोटो सेशन से रहे दूर
अहमदाबाद के अधिवेशन के पहले दिन सीडब्ल्यूसी की बैठक में मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं कमलनाथ व दिग्विजय सिंह की मौजूदगी दिल्ली के नेताओं के लिए भले ही महत्वपूर्ण नहीं रही हो मगर प्रदेश की राजनीतिक समीकरणों से महत्व रखती है। मगर सामूहिक फोटो सेशन से कमलनाथ ने दूरी बनाई तो दिग्विजय सिंह सबसे अंतिम पंक्ति में नजर आए। राहुल गांधी की मध्य प्रदेश कांग्रेस की युवा टीम की अगुवाई करने में ग्रुप फोटो सेशन में भी पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल आगे रहे और प्रथम पंक्ति में खड़े होकर एमपी के दूसरे नेताओं को पीछे यहां छोड़ दिया। उमंग सिंगार नेताओं की भीड़ में पहुंच गए मगर जीतू पटवारी नेताओं की इस फोटो फ्रेम से दूर रहे।
रेस व बारात के घोड़ों पर फैसला संभव
अधिवेशन के दूसरे दिन एआईसीसी पार्टी के रेस और बारात के घोड़ों के लिए कोई रणनीति बना सकती है जिसका खुलासा अधिवेशन के बाद मीडिया के सामने फैसलों को बताते समय नजर आ सकता है। मध्य प्रदेश के संदर्भ में देखा जाए तो रेस और बारात के घोड़ों की रेखा सवा साल पहले खींची जा चुकी थी जिसमें जीतू पटवारी, उमंग सिंगार, हेमंत कटारे, कमलेश्वर पटेल जैसे युवा तथा कमलनाथ-दिग्विजय जैसे वरिष्ठों को बांट दिया गया था। मगर इसके बाद भी मध्य प्रदेश में वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी के चलते युवा टीम सवा साल में कई बार संकट में फंस चुकी है। ऐसी परिस्थितियों को अधिवेशन में ध्यान रखकर रेस और बारात के घोड़ों को अलग-अलग दायित्व देने की रणनीति बनाई जा सकती है।
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