छापे के बाद कंपनी मालिक व उनकी पत्नी ने ईडी को घरेा, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान व रिश्तेदारों का बताया षड़यंत्र

मध्य प्रदेश में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की कार्रवाई पर हाल के कुछ महीनों में दो घटनाओं से सवाल उठने लगे हैं। आष्टा के पास गुल्लक गैंग के कर्ताधर्ता ने जहां ईडी की कार्रवाई के बाद खुदकुशी कर ली थी तो अब चार दिन पहले भोपाल, सीहोर, मुरैना में पनीर उत्पाद वाली जयश्री गायत्री फूड्स कंपनी पर छापे के बाद मालिक की पत्नी व डायरेक्टर ने जहर खाकर जान देने की कोशिश की है। कंपनी मालिक ने पत्नी के खुदकुशी के प्रयास के बाद मीडिया के सामने खुलकर ईडी के खिलाफ बोला तो उनकी पत्नी ने कथित रूप से सुसाइड नोट लिखकर न केवल ईडी बल्कि केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान व उनके रिश्तेदारों के इशारे पर ईडी की कार्रवाई होने के आरोप लगा दिए हैं। जानिये आखिरी पूरा मामला क्या है।

ईडी ने चार दिन पहले जयश्री गायत्री फूड्स के भोपाल, सीहोर औऱ मुरैना के ठिकानों पर छापे मारे थे जिसमें करीब 66 करोड़ रुपए की संपत्तियां मिली हैं। इसके अलावा 6.26 करोड़ रुपए की एफडी व अन्य संपत्तियों के दस्तावेज भी मिले हैं। मगर ईडी की इस कार्रवाई के बाद गुरुवार की शाम से अचानक पूरे एक्शन पर सवालों की बौछार होने लगी क्योंकि जयश्री गायत्री फूड्स के मालिक किशन मोदी की पत्नी व कंपनी की डायरेक्टर पायल द्वारा कथित रूप से लिखा गया एक पत्र वायरल हुआ जिसमें केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान व उनके रिश्तेदारों के इशारों पर ई़डी के चलने व छापे मारने के आरोप लगाए। यह पत्र तथाकथित सुसाइड नोट कहा जा रहा है जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि उसने जहर खाने के पहले लिखा था। हालांकि इस पत्र की सत्यता की जांच के लिए शुक्रवार को पुलिस ने उसे जप्त कर लिया है।
पायल के पत्र के अलावा किशन ने मीडिया के सामने बयान में घेरा
वहीं, पायल के पति ने अपनी बीमार पत्नी के भर्ती होने पर अस्पताल में ही मीडिया से चर्चा करते हुए आरोप लगाए कि केंद्रीय मंत्री चिराग के जीजा चंद्रप्रकाश व उनके भाई वेदप्रकाश पांडे के साथ सुनील त्रिपाठी, भगवान सिंह मेवाड़ा व हितेष पंजाबी उनके परिवार को डरा-धमकाते रहे हैं। पांडे उनके पूर्व डायरेक्टर थे लेकिन 80 करोड़ रुपए के लेन-देन को लेकर दोनों में विवाद हुआ जिसमें मोदी ने हबीबगंज थाने में धोखाधड़ी की एफआईआर लिखाई। इसमें सुनील त्रिपाठी गिरफ्तार भी हो चुका है। अब मोदी का आरोप है कि गबन के मामले की रंजिश निकालने के लिए पांडे बंधु व सुनील त्रिपाठी अपने राजनीति प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं और उनके लायसेंस को निरस्त करा दिया है। एक साल में पांच छापे मारे जा चुके हैं जिससे उन्होंने अपनी जान को खतरा होने की आशंका जताई है।

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