41 दिन फरारी में काटने के बाद 24 घंटे भोपाल में रहकर सौरभ शर्मा फिर पहुंचा अदालत, जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल

करोड़ों रुपए नकद राशि रखने और कई किलोग्राम सोना, अरबों की संपत्ति, सैकड़ों किलो चांदी, विदेशी मुद्रा का भंडार रखने वाले सौरभ शर्मा पर छापे के बाद जांच एजेंसियों की लापरवाह विवेचना से वह 41 दिन फरार रहा और एक दिन पहले अदालत में पहुंचकर फिर गुम होकर अगले दिन अदालत के सामने प्रकट हुआ। इतनी बड़ी बड़ी एजेंसियों के इनवेस्टिगेशन से जुड़े होने के बाद भी उसके छापे के बाद से सवालों के घेरे में फंसी लोकायुक्त पुलिस और केंद्रीय जांच एजेंसी 41 दिन तक देश-विदशे में खोजने के नाम पर कागजी घोड़े दौड़ती रहीं और फिर कल से आज तक 24 घंटे में उसे भोपाल के भोपाल में नहीं ढूंढ पाई। सौरभ ने जब चाहा तब यानी अदालत के बाहर प्रकट होकर लोकायुक्त पुलिस को गिरफ्तारी का मौका दिया। इससे लोकायुक्त पुलिस की कार्यप्रणाली पर फिर सवाल खड़े होने लगे हैं।

मध्य प्रदेश का परिवहन विभाग सरकार के लिए जितना राजस्व देता है, उससे कई गुना वहां के अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए रूपयों की खदान साबित हो रहा है। पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के यहां 19 दिसंबर 2024 को लोकायुक्त पुलिस की टीम द्वारा मारे गए छापे और उसके बाद उसके नजदीकियों के नाम पर मिले संपत्तियों के दस्तावेज, सोने-चांदी, नकदी के भंडार से यह साबित हो गया है। सौरभ शर्मा केस के उजागर होने के बाद विपक्षी दल कांग्रेस तो परिवहन विभाग के भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े कर ही रहा है लेकिन भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इसे मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले से बड़ा कांड करार दिया है। उन्होंने यहां तक कह दिया है कि जब एक आरक्षक 1000-1200 करोड़ रुपए की संपत्ति का मालिक निकल रहा है तो फिर परिवहन के अधिकारियों व नेताओं के बारे में अंदाज लगाना मुश्किल बात है।
वाकई में क्या जांच एजेंसियों की पल-पल की सूचना सौरभ को रही…
अरबों की संपत्ति का मालिक सौरभ शर्मा के सूचना तंत्र को लेकर अब चर्चाएं हैं। सौरभ शर्मा के यहां लोकायुक्त पुलिस के छापे की सूचना उसे तीन दिन पहले मिल जाने की चर्चा अब आम हो गई है और उसका उसने पूरा फायदा भी उठाया। उसके यहां छापे में जो मिला वह अलग मगर वह पत्नी संग फरारी काटता रहा। लोकायुक्त पुलिस के बाद उसके मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी का प्रवेश हुआ तो उसने भी छापा मारा और उसके छापे में वहां और भी काफी चल-अचल संपत्ति मिली। इससे लोकायुक्त पुलिस की कार्यप्रणाली पर फिर सवाल खड़े हुए क्योंकि उसकी पहले दिन की कार्रवाई को लेकर यह भी कहा गया था कि तीन दिन बाद जिस लावारिस गा़ड़ी में मेंडोरी के जंगल के फार्म हाउस में आयकर टीम को 54 किलोग्राम सोना मिला था, वह छापा मारने वाली टीम के सामने से ही वहीं से निकली थी। यानी छापे मारने वाली टीम की चूक से या कहें टालने के अंदाज से सोने का भंडार लेकर निकली गाड़ी वहां से निकल गई।
जांच एजेंसियां देश-विदेश में ढूंढती रहीं, कैसे अदालत पहुंच गया सौरभ
जांच एजेंसियां कागजी घोड़े दौड़ाते हुए सौरभ शर्मा को देश-विदेश में ढूंढ रही थीं जबकि वह मध्य प्रदेश में ही कहीं कहीं छिपता रहा। यह चर्चाएं हैं। मतलब लोकायुक्त पुलिस और ईडी जैसी इवेस्टिगेशन करने वाली एजेंसियों को भ्रम में डालकर उसके सूचना तंत्र ने उसे सुरक्षित यहां छिपाए रखा। सौरभ की मां और उसके करीबियों ने भी जांच एजेंसियों को उसके बारे में जानकारियां शेयर नहीं कीं या कहें कि जांच एजेंसियों ने उनसे वैसी पूछताछ नहीं की जैसी दूसरे आरोपियों के साथ आमतौर पर की जाती है।
अदालत में लगातार दो दिन पहुंचा, जब मर्जी हुई तब आया सामने
सौरभ शर्मा 41 दिन तो भूमिगत रहा लेकिन सोमवार को अचानक भोपाल अदालत में प्रकट हुआ और जांच एजेंसियों की नजर उस पर नहीं पड़ी। मगर सोमवार को वह अदालत से चला गया तो उस पकड़ने के लिए फिर वही ढीला रवैया अपनाया गया। न तो कहीं के सीसीटीवी फुटेज देखे गए कि वह किसके साथ आया था और न ही उसके परिजनों-मित्रों से वैसी पूछताछ की जैसी जांच एजेंसियां अपने आरोपी को पकड़ने के लिए करती हैं। सौरभ की मर्जी हुई तब जांच एजेंसियों के सामने वह मंगलवार को प्रकट हुआ। भोपाल अदालत में कथित रूप से वह विशेष न्यायालय में समर्पण करने जा रहा था कि उसके पहले ही अदालत के सामने लोकायुक्त पुलिस ने उसे पकड़ लिया। हालांकि उसे शाम को ही पुलिस रिमांड के लिए पेश कर दिया गया और अदालत ने चार दिन के पुलिस रिमांड पर लोकायुक्त पुलिस के हवाले कर दिया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Khabar News | MP Breaking News | MP Khel Samachar | Latest News in Hindi Bhopal | Bhopal News In Hindi | Bhopal News Headlines | Bhopal Breaking News | Bhopal Khel Samachar | MP News Today