मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन तो भाजपा में सीएम चेहरे पर चर्चा

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद अब कांग्रेस में हार से निराश नेताओं और कार्यकर्ताओं में नेतृत्व परिवर्तन तो भाजपा में प्रदेश में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। पढ़िये रिपोर्ट।

विधानसभा चुनाव परिणामों को आए दो दिन हो चुका है और जीते हुए प्रत्याशियों के विजयी जुलूस तो हारे हुए प्रत्याशी थकान मिटाने के लिए आराम के बाद हार के कारणों पर मंथन में जुट गए हैं। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दलों में प्रचंड बहुमत और करारी हार के बाद अपने नेताओं के चयन की कवायद तेज हो गई है। भाजपा में मुख्यमंत्री पद की दौड़ को लेकर चर्चाएं हैं और पार्टी के अकल्पनीय फैसलों की परंपरा व एकबार फिर शिवराज सिंह चौहान को सत्ता की चाबी सौंपे जाने पर चर्चा है तो कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट है।
कौन बनेगा मुख्यमंत्री
अभी सबसे बड़ा सवाल यह है कि मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर सबकी निगाह है और पार्टी के बाहर कई तरह की चर्चाएं हैं। भाजपा के अकल्पनीय फैसले लेने की कुछ समय से चली आ रही परंपरा को ध्यान में रखकर कहा जा रहा है कि सीएम कुर्सी पर एक कदम अकल्पनीय फैसले के साथ कोई नया चेहरा लाया जा सकता है। इसमें आदिवासी चेहरे की चर्चा है जिसमें हारे हुए प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम लिया जा रहा है। उनकी हार के बाद केंद्रीय नेताओं से मुलाकात भी हुई है। इस कड़ी में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय के नाम भी लिए जा रहे हैं। मगर जिस ढंग से शिवराज सिंह चौहान बिना तनाव के सोमवार को भोपाल में एक रेस्टोरेंट में परिवार के साथ लजीज खाने का आनंद लेते हुए दिखाई दिए थे, उससे लगता है कि उन्हें अपनी कुर्सी बरकरार रहने के संकेत मिल चुके हैं। लेकिन राजनीति में ऊंट कब किस करवट बैठ जाए, यह कहना अंसभव है।
कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन तो कौन पीसीसी चीफ
दूसरी ओर कांग्रेस करारी हार से ऊबर नहीं पाई है और मंगलवार को पीसीसी में जीते-हारे प्रत्याशियों की बैठक में जिस तरह नेता मायूस चेहरों के साथ बैठे दिखे, वह उनके भीतर भरे दुख के गुबार का हिस्सा है। यह गुबार अब कभी भी फूट सकता है। वैसे, यह चर्चा आम हो गई है कि प्रदेश में नए नेतृत्व के आने की संभावना है जो युवा चेहरा हो सकता है। राहुल गांधी के करीबी किसी युवा नेता को यह कमान मिलने की संभावना जताई जा रही है। इसमें हारे हुए प्रत्याशियों में से जीतू पटवारी या किसी ऐसे ही चेहरे यह कमान दी जा सकती है या फिर पीसीसी की कमान संभाल चुके अरुण यादव जैसे अनुभवी को भी यह जिम्मेदारी फिर मिल सकती है।

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