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लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद सरकार बनाने में क्षेत्रीय दलों पर टिकी नजरें, एक्जिट पोल की विश्वसनीयता गिरी

लोकसभा चुनाव का महापर्व आज परिणामों की घोषणा के साथ समाप्त हो गया लेकिन इन परिणामों ने एक जून को आए एक्जिट पोल की विश्वसनीयता काफी गिरी है। इन परिणामों से एकबार फिर क्षेत्रीय दलों पर केंद्र में सरकार बनाने के लिए एनडीए-इंडिया गठबंधन की नजरें टिक गईं हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
देश में मार्च से शुरू हुआ लोकसभा चुनाव का महापर्व आज मतगणना के साथ समाप्त हो गया और जीत के आंकड़ों के हिसाब से भाजपा के खुद के दम पर सरकार बनाने का सपना टूट गया है। मगर एनडीए को मिली सीटों के आधार पर अभी तक सरकार बनाने की उम्मीद है लेकिन गठबंधन में प्रधानमंत्री पद को लेकर चर्चाओं की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एकबार फिर एनडीए की सरकार बनती है या किसी अन्य के नेतृत्व में एनडीए तैयार होता है, इसको लेकर आने वाले दिनों में तस्वीर साफ होगी।
क्षेत्रीय दलों पर टिकी नजरें
एनडीए की नई सरकार बनाने में एकबार फिर गठबंधन के क्षेत्रीय दलो की ओर भाजपा को नजरें टिकाना पड़ेंगी। चंद्रबाबू नायडू की पार्टी हो या बिहार के नीतिश कुमार या पासवान के दल, एकनाथ शिंदे की शिवसेना-अजीत पवार की एनसीपी जैसी राजनीतिक पार्टियों की इस बार एनडीए में भूमिका अहम हो गई है। इन सब में नीतिश कुमार की भूमिका को अहम माना जा रहा है क्योंकि दलबदल के उनके पिछले रिकॉर्ड से सभी असमंजस में हैं और इस बार एनडीए की सरकार में उनका अहम रोल रहने वाला है।
एक्जिट पोल की विश्वसनीयता धड़ाम से गिरी
लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण के मतदान के समाप्त होने के बाद देर शाम से आए एक्जिट पोल ने भाजपा को जिस ढंग से बहुमत के आंकड़ों तक पहुंचाने का भरोसा दिया था, वह चुनाव नतीजों में बुरी तरह फेल हुआ है। दैनिक भास्कर, आज तक, एक्सेस माय इंडिया, इंडिया टीवी, सीएनएक्स, रिपब्लिक टीवी, पीएमएआरक्यूस, एबीपी और सी वोटर के एक्जिट पोल में भाजपा के एनडीए गठबंधन को साढ़े तीन सौ सीटें दी गई थीं जिसके करीब चुनाव नतीजों में एनडीए पहुंच नहीं पाया है। यूपी, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, बिहार के नतीजों ने एक्जिट पोल को बुरी तरह धराशायी किया है।
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