मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले के बाद दूसरे सबसे बड़े शिक्षा घोटाले नर्सिंग स्केम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के स्ख्ती के निर्देशों के बाद अब राजस्व विभाग के 14 नायब तहसीलदारों व तहसीलदारों पर एक्शन शुरू हुआ है। मगर सीएम की सख्ती के बाद भी घोटाले के मुख्य सूत्रधार वाले चिकित्सा शिक्षा विभाग के नेता-अफसरों पर कोई एक्शन होता नजर नहीं आ रहा है। पढ़िये रिपोर्ट।
प्रदेश में नर्सिंग घोटाले में कई कॉलेजों को निर्धारित मापदंड के विपरीत संचालन करते पाए जाने के बाद भी मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन कौंसिल, चिकित्सा शिक्षा विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों और कॉलेज संचालकों के गठजोड़ के साथ मिलकर सीबीआई की जांच में भी उन्हें सूटेबल कॉलेज बता दिए जाने का बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। अदालत की निगरानी में नर्सिंग घोटाले से जुड़े सभी कॉलेजों की दोबारा जांच करने के आदेश हुए हैं जिसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी सख्ती से जांच करने के निर्देश दिए हैं। इस तरह के दबावों के बाद अब नर्सिंग घोटाले में प्रशासनिक गड़बड़ियों पर एक्शन की शुरुआत हुई मगर चिकित्सा शिक्षा विभाग अभी इससे अछूता ही प्रतीत हो रहा है।
14 नायब तहसीलदार-तहसीलदारों को नोटिस जारी
मध्य प्रदेश में संचालित नर्सिंग कॉलेजों में से घोटाले में शामिल 169 कॉलेजों की दोबारा जांच के लिए अदालत ने आदेश दिए हैं जिसमें पहली बार राज्य शासन ने अपने राजस्व विभाग के उन 14 नायब तहसीलदारों व तहसीलदारों को नोटिस जारी किया है जिन्होंने उनके निरीक्षण के बाद रिपोर्ट दी थी। जिन नायब तहसीलदार-तहसीलदारों को नोटिस जारी किया गया है, उनमें इंदौर में पदस्थ रही पल्लवी पौराणिक, विदिशा की अंकिता यदुवंशी, नर्मदापुरम की ज्योति ढोके, आलीराजपुर की रानू माल, झाबुआ के अनिल बघेल, देवास के सुभाष कुमार सुनेरे, बुरहानपुर के जगदीश बिलगावे, रीवा के यतीश शुक्ला, छिंदवाड़ा की छवि पंत, धार के सत्येंद्र सिंह गुर्जर, बुरहानपुर के रामलाल पगोर, झाबुआ के जितेंद्र सोलंकी, सीहोर के अतुल शर्मा और खरगोन की कृष्णा पटेल शामिल हैं।
अभी 19 जिलों के राजस्व व चिकित्सा विभाग के जिम्मेदार बचे
सीएम के सख्त निर्देशों के बाद भी नर्सिंग घोटाले में जिम्मेदारों को बचाये की कवायद अभी भी जारी है। 31 जिलों के 66 कॉलेजों की मान्यता को राज्य शासन ने निरस्त किया है लेकिन गुरुवार को राजस्व विभाग के 14 नायब तहसीलदार-तहसीलदारों को ही नोटिस जारी हुआ है। जिन तहसीलदारों को नोटिस जारी किया गया वे भी केवल 12 जिलों के ही हैं। यानी अभी 19 जिलों के राजस्व अधिकारियों के खिलाफ एक्शन होना बचा है। चिकित्सा विभाग के जिम्मेदारों को अभी तक गड़बड़ियों के बाद भी एक्शन से दूर रखा गया है। वहीं, आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय व नर्सेज रजिस्ट्रेशन कौंसिल के जिम्मेदारों पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
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