Daughters को पढ़ाने के नारा नारे तक सिमटा, Bhopal में ही एक Faimly बेटी को पढ़ाई से दूर करने वाला निकला

दस साल पहले जिस बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारे के साथ भारत सरकार ने योजना को लांच किया था, उसकी जमीनी हकीकत को भोपाल में एक परिवार ने आईना दिखाया है। यहां के परिवार ने एक मेधावी छात्रा को पढ़ाई से रोकने के लिए शादी की ऐसी जिद्द पकड़ी कि उसने परिवार को छोड़ने का फैसला ले दिया और चोरी-छिपे घर से दूर रहकर पढ़ाने करने निकल गई। इस नाबालिक छात्रा को जब पुलिस ने बरामद किया तब उसके सपनों को तोड़ने वाले परिवार की सच्चाई सामने आई। पढ़िये रिपोर्ट।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे के साथ दस साल पहले भारत सरकार ने हरियाणा से बच्चियों को बचाने के लिए योजना की शुरुआत की थी। इस नारे को मूर्तरूप देने के लिए प्रदेश सरकारों ने भी अपने स्तर पर काम किए और बजट के प्रावधान किए। सरकार फाइलों में इस योजना के कागजों के पुलिंदे बने और प्रदेश से जिलों को खूब राशि पहुंची मगर बेटियों को बोझ समझकर उनकी शादी कर दायित्व से मुक्त होने की परिवारों की मानसिकता को सरकारें बदल नहीं पाई हैं। इसका जीता जागता उदाहरण मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पुराने शहर के एक परिवार की बेटी के घर से लापता होने के बाद बरामद होने पर सामने आया है।
पिता के हाईकोर्ट पहुंचने पर पुलिस ने तलाशा
भोपाल की इस होनहार बेटी को पुलिस ने हाईकोर्ट के आदेश देने पर कई जगह तलाशा और उसके मोबाइल-आधार की निगरानी की। हाईकोर्ट ने पुलिस को उस समय आदेश दिए जब हायर सेकंडरी में 92 फीसदी अंक लाने वाली बेटी के पिता ने वहां आवेदन देकर तलाशी की गुहार लगाई। हाईकोर्ट के आदेश पर पुलिस ने जो निगरानी का जाल बिछाया था उसमें छात्रा की लोकेशन इंदौर की मिली क्योंकि उसने वयस्क होने के बाद अपना आधार अपडेट कराया था और उसके आधार अपडेट कराते ही पुलिस को उसकी लोकेशन मिल गई। इसके बाद पुलिस ने उसे इंदौर से बरामद किया और हाईकोर्ट के सामने पेश किया। पुलिस के बरामद करने के बाद छात्रा ने अपने घर छोड़ने की जो कहानी बताई वह बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे से बिलकुल उलट निकली।
पढ़ाई की जगह शादी पर जोर
पुलिस के बरामद किए जाने पर छात्रा ने जो कहानी बताई उसके अनुसार वह आगे और पढ़ाई करना चाहती थी लेकिन परिवार वाले उसे शादी करने के लिए दबाव बना रहे थे। उसका सपना था कि पढ़ाई कर वह यूपीएससी पास करके आईएएस अधिकारी बने लेकिन परिवार की जिद्द के कारण उसे अपना सपना पूरा होता नहीं दिख रहा था तो उसने घर छोड़कर पढ़ाई करने की ठानी। साथ ही उसने संकल्प लिया था कि जब वह आईएएस अधिकारी बन जाएगी तभी घर लौटेगी। हालांकि उसे पुलिस ने अदालत में पेश करके हाईकोर्ट के आदेश पर कुछ दिन परिवार के साथ रहने और घर के माहौल को समझने को कहा है। दो दिन बाद अदालत में पेशी पर उसे फिर पेश किया जाएगा और वहां उससे परिवार के माहौल के बारे में पूछने के बाद कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है।

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