सहारा ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी मध्य प्रदेश की अपनी संपत्तियों को बेचकर सेबी में राशि जमा करने के बजाय अपनी दूसरी संस्था के खाते में जमा कर ली। मध्य प्रदेश की आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) जांच एजेंसी ने अब सहारा परिवार के दो सदस्यों सहित तीन लोगों पर 72 करोड़ से ज्यादा की राशि की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। पढ़िये रिपोर्ट।
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा ग्रुप को देशभर में स्थित समूह की संपत्तियों को बेचने पर शर्तों के साथ जनता को उस राशि को लौटाने के लिए सेबी खाते में उसे जमा कराने के आदेश दिए थे। अदालत ने संपत्तियों को औने-पौने दामों में बेचने पर रोक लगाने के लिए कोर्ट में मूल्यांकनकर्ता द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में दर्शाई गई कीमत से कम पर विक्रय से रोका था। साथ ही जिस संपत्ति को बेचा जाए उसकी राशि को सेबी के खातों में जमा करने को कहा गया था, जिससे जनता की राशि को उसमें से लौटाया जा सके मगर सहारा ग्रुप ने मध्य प्रदेश की संपत्ति को औने-पौने दामों में बेचकर समूह की एक अन्य संस्था हमारा इंडिया और सहारा क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के खातों में जमा कर उपयोग कर लिया।
मध्य प्रदेश के पांच शहरों में संपत्ति को बेचा
मध्य प्रदेश में सहारा ग्रुप की भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, सागर व कटनी शहरों में करीब 508 एकड़ जमीन थी जिसकी विक्रय कीमत 123 करोड़ 98 लाख रुपए रही। भोपाल की 110.10 एकड़ जमीन 47.73 करोड़ तो सागर की 99.76 एकड़ 14.79 करोड़ रुपए में ग्रुप ने बेचकर सेबी के खातों में एक रुपया भी जमा नहीं किया। वहीं, कटनी की 99.43 एकड़ 22 करोड़ में बेची लेकिन 14.85 करोड़ और इसी तरह जबलपुर की 99.49 एकड़ 20.60 करोड़ रुपए में बेची मगर कटनी की जमीन का 7.15 करोड़ और जबलपुर की जमीन का 3.53 करोड़ का दुरुपयोग किया गया। ग्वालियर की 99.76 एकड़ जमीन को 18.60 करोड़ रुपए में बेचा गया जिसमें से 1.22 करोड़ का ग्रुप ने दुरुपयोग किया।
इन लोगों पर एफआईआर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध जमीनों को बेचकर राशि का दुरुपयोग किए जाने के मामले में ईओडब्ल्यू ने सहारा ग्रुप के कारपोरेट कंट्रोल मैनेजमेंट प्रमुख सीमांतो रॉय, डीएमडब्ल्यू के डीजीएम जेबी रॉय और सहारा लैंड डिवीजन प्रमुख डिप्टी मैनेजिंग वर्कर ओपी श्रीवास्तव के खिलाफ धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज की गई है।
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