धर्म पूछकर हत्या की घटना जैसा इटावा में कथावाचकों का मुंडन, हिंदुओं के बंटवारे की आहट

आतंकियों की घटनाओं को तो सरकार कूटनीति-हथियार से नियंत्रित कर सकती है मगर जब देश के भीतर हिंदुओं के बंटवारे की आहट देने वाली इटावा जैसी घटनाएं सामने आती हैं तो उन्हें काबू में लाने के लिए सरकार को ऐसी मानसिकता वाले लोगों की पहचान कर उन्हें समाज से बहिष्कृत कराना होगा। हालांकि इटावा की घटना के बाद अब दूसरे पक्ष के लोग कथावाचकों की चरित्र हत्या करने के लिए अपने ही घर परिवार की महिलाओं का सहारा लेने से नहीं चूक रहे हैं और इसे रोकने के लिए राजनीति से ऊपर उठकर काम करने की जरूरत है। इटावा जैसी घटनाओं पर नियंत्रण की देश में बहुत ज्यादा जरूर है। पढ़िये इटावा की घटना का सच बताने वाले आरोप-प्रत्यारोप वाले बयान और मामले में य़ूपी के दूसरे नंबर के सबसे बढ़े दल के मुखिया की प्रतिक्रियाओं पर आधारित रिपोर्ट।

उत्तर प्रदेश के इटावा में ग्राम दान्दरपुर में जयप्रकाश तिवारी ने भागवत कथा का आयोजन किया था जिसे दो युवा कथावाचक मुक्त मणि और उनके सहयोगी संत कुमार कथा का वाचन कर रहे थे। इस कथा के दौरान मुक्त मणि और संत कुमार का गांव में ही कथित रूप से यादव समाज के होने पर लोगों ने उनका अपमान किया और सिर का मुंडन कर दिया। इस बात का जब हंगामा हुआ तो दूसरे दिन भागवत कथा के आयोजन करने वाले जयप्रकाश तिवारी ने अपनी पत्नी के साथ भागवत कथा करने वाले नौजवानों पर छेड़छाड़ का आरोप लगा दिया जबकि इन आरोपों के पहले ही पुलिस भागवत कथा करने वालों की शिकायत करने वालों को सही तरह नहीं पढ़ाने का आरोप लगा दिया है।
मुंडन कर अपमान
दान्दरपुर गांव में 21 जून से 27 जून तक भागवत कथा का आयोजन किया गया था लेकिन भागवत कथा के दौरान जब दोनों भागवत कथावाचकों की जाति यादव पता लगा तो लोगों ने न केवल उनका अपमान किया बल्कि दोनों का मुंडन कर दिया। मगर दूसरे पक्ष की मानें तो भागवत कथा वाचकों ने अपनी जाति छिपाई थी क्योंकि जब उनके पास दो आधार कार्ड निकले तो एक में अग्निहोत्री और दूसरे में यादव उपनाम लिखा पाया। यह देखने के बाद ग्रामीणों को गुस्सा आया था।
कथावाचकों के अपमान पर सपा मैदान में
कथावाचकों के अपमान को लेकर समाजवादी पार्टी ने मोर्चा खोल लिया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा से कहा है कि वह यह कानून बना दे कि भागवत केवल ब्राह्मण समाज के लोग करेंगे तो ठीक है। उन्होंने कहा कि दूसरे हिंदुओं के कथा वाचन करने से ब्राह्मण समाज का एकाधिकार टूटने की संभावना से इटावा की घटना हुई है।

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