कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अहमदाबाद के बाद भोपाल में भी बारात के घोड़े और रेस के घोड़ों के बारे में अपनी बात रखी मगर इस बार उन्होंने यह किससे सीखा उसका नाम मंच से दोहराया। इस रिपोर्ट में आपको बता रहे हैं कि राहुल गांधी को किस नेता की यह बात समझ आई और वे उसे बार-बार दोहरा रहे हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
राहुल गांधी कई सालों से कांग्रेस की खामियों को लेकर अपने भाषणों में तंज कसते रहे हैं। कुछ महीने पहले अहमदाबाद में हुए कांग्रेस के महाधिवेशन में जिस तरह उन्होंने कहा था कि कांग्रेस में बारात के घोड़ों को रेस में इस्तेमाल करने की तरह फैसले होते हैं और रेस घोड़ों को बारात के घोड़ों में उपयोग में लाया जाता है। उनके इस तंज का वीडियो भी वायरल हुआ था और उसको लेकर कांग्रेस में होने वाले गलत फैसलों पर कई टीवी डिबेट भी हुईं थीं। राहुल गांधी ने अपनी पार्टी की इस खामी को एकबार फिर दोहराया और भोपाल में अपनी सोच के संगठन सृजन अभियान की शुरुआत कार्यक्रम में उसे रखा मगर इस बार जो बात कही, उससे प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में कई मायने निकाले जा रहे हैं।
राहुल गांधी ने इस नेता से सुनी थी घोड़ों के गलत इस्तेमाल की बात
राहुल गांधी ने भोपाल में पीसीसी नेताओं के सामने इस आश्य की बात रखी कि कांग्रेस पार्टी में गलत फैसले होते हैं और जो बारात के घोड़े होते हैं उन्हें रेस में इस्तेमाल किया जाता है और जो रेस के घोड़े होते हैं, उनका उपयोग बारात में इस्तेमाल किया जाता है। उनका मतलब यह था कि सही व्यक्ति को सही काम नहीं दिया जाता है। राहुल गांधी ने यह बात कहते हुए मंच पर मौजूद प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को लेकर कहा कि उनसे ही यह बात सुनी थी। अब प्रदेश कांग्रेस में उनके इस वाक्य के कई मायने निकाले जा रहे हैं जिसमें बुजुर्ग कांग्रेस नेताओं को मैदानी जिम्मेदारी से दूर रखे जाने के फैसले की गंध आने की बात कही जा रही है। राहुल गांधी के इशारे को कमलनाथ व दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं के लिए बताया जा रहा है। जो भी हो, राहुल गांधी के लगातार दूसरी बार इस तरह की बात कहे जाने को कांग्रेस पार्टी की खामियों को जानने के बाद भी उन्हें खत्म नहीं करने पाने की उनकी पीड़ा भी कहा जा रहा है।
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