भाजपा के मध्य प्रदेश में आदिवासी चेहरा सात बार के विधायक मंत्री विजय शाह इस बार नहीं बचेंगे क्योंकि उन्होंने देश का गौरव सेना की मुस्लिम महिला अधिकारी पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी है। उनकी टिप्पणी पर अदालत तो अपना काम कर चुकी है, अब भाजपा की बारी है कि वह अपने आदिवासी नेता पर कितना सख्त फैसला लेती है। वहीं, मंत्री शाह की टिप्पणी का राजनीतिक फायदा लेने के लिए कांग्रेस भी मैदान में उतर आई है और भाजपा इसी राजनीतिक फायदे-नुकसान का आकलन करके अपना निर्णय लेने के लिए समय लगा रही है। पढ़िये रिपोर्ट।
देश में पहलगाम में धर्म पूछ-पूछकर हिंदुओं की हत्या करने की आतंकी हमले की घटना के बाद पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए चलाए गए भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर की अधिकृत जानकारी देकर चर्चा में आई कर्नल सोफिया कुरेशी पर मोहन सरकार के मंत्री और वरिष्ठ भाजपा विधायक विजय शाह ने दो दिन पहले इंदौर की महू तहसील में बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की। पूरा देश जहां सोफिया कुरेशी की बहादुरी पर फक्र महसूस कर रहा था तो मंत्री विजय शाह ने उन्हें मुस्लिम समाज की बताते हुए उनके माध्यम से पहलगाम के विधवाओं का बदला लेने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उन्हें उनके समाज को नंगा करने के लिए चुनने की टिप्पणी की। उनके भाषण में कर्नल सोफिया कुरेशी को लेकर काफी बेहूदा टिप्पणी की गईं और उनके बॉडीलैंग्वेज में भी बेहूदा कटाक्ष को देखा गया।
न्यायालय ने मीडिया-सोशल मीडिया के आधार पर लिया संज्ञान
मंत्री विजय शाह के इस भाषण को लेकर सोशल मीडिया पर तो उनकी निंदा जमकर वायरल हुई मगर हाईकोर्ट ने भी अपनी तरफ से इस अमर्यादित टिप्पणी का संज्ञान लेकर प्रशंसनीय आदेश किया है। हाईकोर्ट ने पुलिस को आदेशित किया है कि मंत्री विजय शाह की टिप्पणी के साक्ष्यों को जुटाए और उनकी उचित जांच करे। साथ ही मंत्री के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
भाजपा के पाले में गेंद
मंत्री विजय शाह की टिप्पणी पर अदालत के आदेश के बाद अब भाजपा के पाले में गेंद पहुंच गई है क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर मोदी सरकार और भाजपा काफी संवेदनशील है। वह इस ऑपरेशन को पाकिस्तान को सबक सिखाने वाला बता रही है। हालांकि आदेश के बाद भी समाचार लिखे जाने तक मंत्री विजय शाह की कुर्सी सही सलामत थी। विजय शाह ने पार्टी हाईकमान और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के दबावों के बाद अपने बयान का गलत अर्थ निकाले की बात कहते हुए सफाई का वीडियो बयान वायरल किया है जिसमें वे अपने शब्दों के लिए माफी भी मांग रहे हैं। मगर उनकी इस माफी से इस बार मंत्री विजय शाह की मंत्री की कुर्सी बचने वाली नहीं लग रही है क्योंकि पहले के मामले उनकी अपनी पार्टी या अन्य पक्षों से जुड़े थे और सेना से उनका कोई संबंध नहीं था। इस बार मंत्री ने कर्नल सोफिया कुरेशी पर टिप्पणी कर सेना पर अप्रत्यक्ष रूप से विपरीत टिप्पणी कर दी है और यह पार्टी भी बर्दाश्त नहीं कर सकती क्योंकि उसे राजनीतिक नुकसान पहुंचने की आशंका ज्यादा लग रही है।
विवादों से पुराना नाता है मंत्री विजय शाह का
पहले भी विजय शाह कई बार विवादित बयान देकर चर्चा में रहे हैं। जब पहली बार 1998 में विधायक चुनकर आए थे तो उन्होंने खंडवा में हत्या के एक मामले को लेकर प्रदर्शन के दौरान पुलिस से विवाद किया था। तब उन्होंने टीआई को भी थप्पड़ मार दिया था और इसके बाद पुलिस ने उन्होंने जमकर पीटा था। तब उनके पैर की हड्डी टूट गई थी। इसके डेढ़ दशक बाद उन्होंने अपनी पार्टी के सीएम के परिवार अमर्यादित टिप्पणी कर दी थी लेकिन तब पार्टी ने सीएम व शाह को समझाइश देकर मामला शांत कर दिया था। उस समय उनका मंत्री पद चला गया था मगर कुछ महीने बाद उन्हें फिर मंत्री बना दिया गया था। इसी तरह फिल्म अभिनेत्री विद्या बालन से भी डिनर का ऑफर ठुकराने पर विवाद होने पर उन्होंने बालन की फिल्म की शूटिंग को रुकवा दिया था।
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