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फर्जी एनकाउंटर की साजिश में न मरकर भी “मरा” अफीम तस्कर बंशी गुर्जर जेल के भीतर से भी चला चुका अपनी गैंग

मध्य प्रदेश के अफीम उत्पादक जिले नीमच में फर्जी एनकाउंटर की साजिश में शामिल रहा अफीम तस्कर नहीं मरकर भी मरा बंशी गुर्जर एकबार जेल के भीतर से भी अपनी गैंग का संचालन कर चुका है। यह मामला किस जेल का था और किस तरह उसने गैंग को जेल के भीतर से चलाया, जानिये हम आपको बता रहे हैं।
नीमच का अफीम तस्कर बंशी गुर्जर ने जिस तरह पुलिस के साथ मिलकर अपनी मौत की साजिश रची थी और किसी अज्ञात व्यक्ति को पुलिस की गोलियों से मरवा कर खुद करीब तीन साल अंडरग्राउंड होकर गैंग चलाता रहा था। बुंशी गुर्जर और पुलिस की मिलीभगत के एनकाउंटर में जो व्यक्ति मरा, उसका आज तक पता नहीं चला क्योंकि वह विक्षिप्त था और उसके घर वाले पहले ही छोड़ चुके थे। उसकी खैर-खबर लेने वाला कोई नहीं होने से फर्जी एनकाउंटर में उसकी मौत पर आज तक पर्दा डला हुआ है और अब तक उसकी अज्ञात व्यक्ति के रूप में भी हत्या जैसा अपराध दर्ज नहीं हुआ है। तीन साल तक बंशी गुर्जर अपनी तथाकथित मौत के पुलिसिया रिकॉर्ड के आधार पर जिंदा होने के बाद भी मरा हुआ रहा और इस दौरान उसने पुलिस-प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर अपनी गैंग को ऑपरेट किया।
नौ साल पहले जेल के भीतर से चलाई गैंग
जब 2012 में फर्जी एनकाउंटर की पोल खुली और बंशी गुर्जर को उज्जैन पुलिस ने गिरफ्तार किया तो वह जेल में बंद हुआ था। उज्जैन जेल में वह बंद किया गयाथा। उसके बाद 2016 में जब वह रतलाम जेल में बंद हुआ तो यह खुलासा हुआ कि वह जेल के भीतर से अपनी गैंग का संचालन कर रहा था। उसके द्वारा गैंग को चलाने के लिए अपना मोबाइल या लैंड लाइन फोन की जरूरत नहीं पड़ी बल्कि उसने जेल के ही लैंड फोन से यह करिश्मा कर दिखाया था।
ऐसे जेल के फोन को इस्तेमाल किया गया
अफीम तस्कर ने मरने की साजिश के पर्दाफाश होने के बाद अपनी गैंग को संचालित करने के लिए 2016 में रतलाम जेल से जिस तरह फोन का इस्तेमाल किया वह सरकारी तंत्र की खामियों को उजागर करती है। जेल में कैदियों को अपने नजदीकियों से बातचीत करने के लिए हर सप्ताह दो फोन कॉल करने की अनुमति होती है। बंशी गुर्जर ने सरकार की जेल में बंद कैदियों को मिलने वाली सुविधा का गैंग की गतिविधियों को चलाने के लिए इस्तेमाल किया।
एक महीने में 95 कॉल बंशी ने किए
जानकार सूत्रों के मुताबिक बंशी गुर्जर ने एक महीने में जब करीब 95 टेलीफोन कॉल किए थे लेकिन जेल विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी और एक लूट की योजना बना रहे एक गिरोह के पकड़े जाने पर इसका खुलासा हुआ। उन्होंने बंशी गुर्जर को अपना मास्टर माइंड बताया तो उसके फोन कॉल रिकॉर्ड की तलाश की गई। पता चला कि उसने एक महीने दूसरे कैदियों के कोटे के फोन कॉल भी अपने लिए इस्तेमाल किए। इस शातिर अफीम तस्कर की फर्जी एनकाउंटर की साजिश में मुख्य भूमिका रही थी जिसको लेकर सीबीआई उसकी तलाश कर रही है और वह इन दिनों एकबार फिर लापता बताया जा रहा है।
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