मध्य प्रदेश में आम जनता तो दूर सत्ता पक्ष के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से भी नौकरशाही का समन्वय नहीं बैठ पा रहा है। तीन दिनों के भीतर राजधानी में ही दो ऐसी घटनाओं ने प्रशासनिक अमले की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पहले जनपद सदस्य ने बिजली कंपनी के एक अधिकारी के रवैये पर नाराजगी जताई थी तो अब भोपाल के सांसद आलोक शर्मा ने नौकरशाही के कामकाज के तरीके पर विधायक-महापौर की मौजूदगी में सवाल खड़े किए हैं। यह महज इत्तफाक माना जा सकता है कि भोपाल के दोनों मामलों में प्रशासनिक अफसर यादव है। जानिये नौकरशाही के रवैये पर सांसद ने क्या कहा और इसके लिए उन्होंने कैसी चेतावनी दी।
आम जनता को समस्याओं को सुनाने के लिए कई किलोमीटर दूर का सफर तय करने के बाद जनसुनवाई में आना होता है और कई बार तो उन्हें एक समस्या के लिए जनसुनवाई में एक नहीं कई मर्तबा चक्कर लगाना होते हैं। तब कोई यह नहीं पूछता कि आखिर उसकी जो समस्या स्थानीय स्तर पर हल हो सकती थी उसका निराकरण करने में किस स्तर पर कमी रही और शिकायतकर्ता को उतनी दूर क्यों आना पड़ा। यह बात तो आम जनता की है और वह किसी स्तर की पहुंच नहीं होने से भटकता रहता है मगर जब बात निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की आती है और वह भी सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि की तो प्रशासनिक अमले के बेलगाम होने का अहसास नेताओं को आता है। वही जनप्रतिनिधि नौकरशाहों के रवैये पर बिफरते हैं लेकिन आम जनता की समस्या के निराकरण में लापरवाही बरतने वाले किसी भी मामले में कभी भी उनका ऐसा व्यवहार न तो दिखाई दिया और न ही कभी सुना है। खैर छोड़िये, फिलहाल सत्तापक्ष के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के दो ऐसे ताजे मामले हमारे सामने हैं जो राजधानी भोपाल के ही हैं जिनमें जनप्रतिनिधियों का पारा गरम हुआ।
पहला मामला, बिजली कंपनी के अफसर का
दो दिन पहले गुरुवार को जिला पंचायत की एक बैठक में बिजली कंपनी के कार्यपालन इंजीनियर पंकज यादव पर जनपद अध्यक्ष प्रमोद सिंह राजपूत ने जमकर क्लास ली। उन्होंने बकाया राशि का कारण बताकर पूरे गांव की बिजली काट देने पर बिजली कंपनी अधिकारी को फटकारा और कहा कि आप यादव होने का फायदा उठा रहे हैं। आपको फोन लगाओ तो पहले यादव बताते हैं और फिर नाम पंकज बताते हैं।
दूसरा मामला, सांसद की बैठक का
एक दिन पूर्व शुक्रवार को सांसद आलोक शर्मा ने विकास कार्यों को लेकर बैठक बुलाई थी जिसमें न तो नगर निगम आयुक्त हरेंद्र नारायण पहुंचे और न ही उनका कोई प्रतिनिधि ही। जब बैठक से ही उनकी महापौर मालती राय ने फोन लगाया तो उसे भी नहीं उठाया और न ही विधायक का फोन उठाया। नगर निगम आयुक्त के इस रवैये पर सांसद ने बैठक में तीखी नाराजगी जताई और चेतावनी दे डाली की इसकी शिकायत उचित फोरम पर करेंगे।
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