व्यंग्य की शुरुआत 14वीं शताब्दी में कबीर ने दोहों के माध्यम से कीः खैरा

दुष्यंत कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय में रविवार को मध्यप्रदेश लेखक संघ की मासिक गोष्ठी में वरिष्ठ व्यंग्यकार एवं भोजपाल साहित्य परिषद के अध्यक्ष प्रियदर्शी खैरा ने बताया कि चौदहवी शताब्दी में कबीर ने अपने दोहों के माध्यम से व्यंग्य की शुरुआत की। लेखक संघ की यह मासिक गोष्ठी हास्य-व्यंग्य विधा पर थी।

कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि राजकुमार वर्मा, युवा व्यंग्य कवि / प्रधान न्यायाधीश जिला एवं सत्र न्यायालय धार ने आते ही गुदगुदाया.. कौवा जब कोयल की बोली बोलने लगे और कोयल, कौवे की भाषा बोलने लगे तो समझ लेना चुनाव होने वाले हैं। ” उन्होंने आगे कृष्ण और नेता में समानता बताते हुए कहा, “कृष्ण माखन के चोर थे, ये लाखन के चोर हैं”।

मध्यप्रदेश लेखक संघ के संरक्षक, वरिष्ठ साहित्यकार एवं, विशिष्ट अतिथि डॉ राम वल्लभ आचार्य ने समाज में फैले भ्रष्टाचार पर सभी विभागों पर करारा व्यंग्य किया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए अनिल शर्मा मयंक ने व्यंग्य में सुनाया कि कैसे उनकी कविता सुनकर दो पुलिस वाले बेहोश हो गये। सुनील चतुर्वेदी की पैरोडी- “डकारता चला हूँ मैं, मनी सभी उधार की” ने लोगों को ख़ूब हँसाया। खंडवा से आये सुनील उपमन्यु ने हास्य व्यंग्य सुनाया – हे भगवान अगले जनम में मोहे विधायक पति ही दीजो। देवास से आये, सुरेंद्र सिंह हमसफ़र ने सुनाया “जब दिल की उमंगों से रीति हो झोली तब तुम ही बताओ कैसे खेले हम होली”। पिपरिया से पधारे ओम भार्गव ने एनजीओ के नाम पर हो रहे लूट खसोट पर करारा व्यंग्य करते हुए “गब्बर का नया धंधा” विषय पर बहुत शानदार हास्य व्यंग्य सुना कर कटाक्ष किया।

अशोक व्यास ने मोबाइल से बातें करते हुए परोडी सुनाई, “मैं और मेरा मोबाइल अक्सर और दिन भर क्या, हमारा बस चले तो रात भर बातें करते हैं, मोबाइल और मुझमें मुहब्बत है, मुहब्बत है, मुहब्बत है।” डॉ गिरीश दुबे बेधड़क ने अपनी कविता से खूब हँसाया, “मनाने को होली का त्यौहार, गये ससुराल हम सपरिवार”। वरिष्ठ हास्य व्यंग्य साहित्यकार मलय जैन ने हास्य रचना”बॉस की नाक पर मक्खी” सुनाकर श्रोताओं को ख़ूब गुदगुदाया। गोकुल सोनी ने सुनाया, “फागुन में फगुना गये मनवा देखो ख़ूब मची हुड़दंग” कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मध्यप्रदेश लेखक संघ के अध्यक्ष राजेंद्र गट्टानी ने अपने व्यंग्य के माध्यम से सबको हँसाया और सोचने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने सुनाया, नैतिकता सत्य और धर्म में रही है तगड़ी यारी और तीनों में लग गई ‘अ’ नाम की बीमारी “..स्वागत वक्तव्य वरिष्ठ गीतकार ऋषि शृंगारी ने दिया एवं वरिष्ठ साहित्यकार अशोक निर्मल ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम कक संचालन मनीष बादल और गोकुल सोनी ने किया।

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