मध्य प्रदेश सरकार अब प्रदेश के 40 फीसदी जंगलों को निजी हाथों में सौंपने जा रही है। यह जमीन लगभग 37 लाख हेक्टेयर है। इसमें छोटे निवेशकों को 10 हेक्टेयर और बड़े निवेशकों को 1000 हेक्टेयर तक की जमीन पर जंगल विकसित करने के लिए आमंत्रित किया गया है। निजी कंपनियों को यह जमीन 60 साल की लीज पर दी जा रही है। इस योजना का मास्टरमाइंड इंदौर का कारोबारी है, जो अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल का नजदीकी बताया जाता है।
राज्य सरकार का दावा है कि जो बिगड़े हुए वन हैं जिन्हें निजी निवेश से सुधारने की कोशिश की जाएगी। एसीएस ने वन विभाग की वेबसाइट पर ‘सीएसआर, सीईआर और अशासकीय निधियों के उपयोग से वनों की पुनर्स्थापना की नीति’ जारी की है। इसमें बताया गया है कि मध्य प्रदेश में लगभग 95 लाख हेक्टेयर में जंगल हैं। इनमें से 37 लाख हेक्टेयर जंगल बिगड़े हुए वनों की स्थिति में है। इन जंगलों को राज्य सरकार अपने संसाधनों से पुनर्स्थापित नहीं कर पा रही है।
सीएसआर फंड का इस्तेमाल
राज्य सरकार ने अपनी नीति में लिखा है कि वह इन जंगलों को निजी हाथों में देने जा रहे हैं. इन जंगलों को फिर से हरा भरा करने के लिए बड़ी कंपनियों के कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी और कॉर्पोरेट एनवायरमेंटल रिस्पांसिबिलिटी के फंड का इस्तेमाल किया जाएग. दरअसल बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों को इन दोनों मदों में अपनी कुल कमाई का 3 फीसदी देना होता है।
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