सिंहस्थ 2028 के स्थाई प्रकृति के कार्य 31 दिसंबर 2027 तक करें पूर्ण_डॉ.राजेश राजौरा

अपर मुख्य सचिव डॉ.राजेश राजौरा ने सिंहस्थ विकास कार्यों की समीक्षा बैठक में निर्देश दिए कि सिंहस्थ मेला क्षेत्र में स्थाई प्रकृति के निर्माण कार्यों की सभी साधु-संतों के साथ चर्चा कर कार्य योजना बनाई जाए। स्थाई संरचनाओं में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए आश्रम, पार्किंग, धर्मशाला, भोजनशाला, प्रवचन हॉल, सीवरेज लाईन, रोड़ और वॉटर सप्लाई कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जाए। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में नगर विकास योजना की कार्य योजना तैयार कर कार्य की शुरूआत जून 2025 से युद्ध स्तर पर की जाए।

बैठक में सिंहस्थ में वॉटर सप्लाई नेटवर्क की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि 200 एमएलडी पेयजल क्षमता का मेला क्षेत्र में विकास किया जाएगा। सीवर नेटवर्क डिजाईन के अंतर्गत सिंहस्थ के दौरान मेला क्षेत्र में 160 एमएलडी का सीवरेज जनरेशन होगा जिसमें 100 एमएलडी क्षमता के स्थाई एसटीपी निर्माण किए जाएंगे और अस्थाई रूप से 60 एमएलडी क्षमता के सीवरेज का निष्पादन किया जाएगा। मेला क्षेत्र के विकास के लिए आगामी 15 अप्रैल तक डीपीआर तैयार कर ली जाएगी। भवन अनुज्ञा का कार्य आगामी 15 जून तक कर लिया जाएगा और कार्य प्रारंभ आगामी 25 जून से होगा।

जल संसाधन विभाग के सिंहस्थ 2028 के अंतर्गत किए जाने वाले कार्यों की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि कान्ह क्लोज डक्ट परियोजना का 15.50 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। इसकी लागत लगभग 919.94 करोड़ रूपये है तथा वर्तमान में कुल लागत की 14.57 प्रतिशत वित्तीय प्रगति हो चुकी है। सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना के अंतर्गत डिजाईन और सर्वे का कार्य पूर्ण हो चुका है एवं खुदाई का कार्य जारी है। इसे मई 2027 तक पूर्ण करने के निर्देश दिए। सिंहस्थ महापर्व 2028 के मद्देनजर 778.91 करोड़ रूपये की लागत से 29 घाटों का निर्माण किया जाएगा तथा स्नान के लिए 03 वेंटेड कॉसवे का निर्माण किया जाएगा। डॉ.राजौरा ने इसे 24 माह में पूर्ण करने के निर्देश दिए। डॉ.राजौरा ने डब्ल्यूआरडी की समस्त परियोजनाओं की प्रगति पर विशेष ध्यान दिए जाने के निर्देश दिए।

क्षिप्रा नदी को प्रवाहमान बनाए रखने के लिए क्षिप्रा नदी पर बेराजों की श्रंखला का निर्माण किया जा रहा है। देवास, इंदौर और उज्जैन में बेराजों की श्रंखला बनाई जाएगी। डॉ.राजौरा के द्वारा एनवीडीए के अंतर्गत नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना एवं उज्जैन उज्जैयनि परियोजना, नर्मदा-मालवा गंभीर लिंक परियोजना, नर्मदा-क्षिप्रा बहुउदेशीय परियोजना की भी समीक्षा की गई।

पीएचई/नगर निगम के अंतर्गत पेयजल उपलब्धता की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि वर्तमान में उज्जैन शहर की जनसंख्या लगभग 8.65 लाख है। इसमें प्रतिदिन पेयजल की मांग 178.28 एमएलडी है। वर्तमान में अम्बोदिया, गऊघाट, साहिबखेड़ी और उंडासा के जलाशयों को मिलाकर कुल पानी की क्षमता 151.01 एमएलडी है। प्रस्तावित सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना से 51 एमसीएम, नर्मदा-गंभीर लिंक परियोजना से 58.34 एमसीएम पेयजल की सप्लाई की जा सकेगी। इसके अलावा न्यू अम्बोदिया की 68 एमएलडी पेयजल क्षमता की परियोजना प्रस्तावित है। साथ ही 860 करोड़ रूपये की लागत से हरियाखेड़ी परियोजना पर 100 एमएलडी पेयजल क्षमता की परियोजना का विकास भी किया जा रहा है।

डॉ.राजौरा ने निर्देश दिए कि समस्त कार्यों में गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाए एवं निर्धारित समयावधि में पूर्ण हो। संरचनाओं की डिजाईन इंजीनियरिंग पर विशेष ध्यान दिया जाए ताकि वह सालों साल सतत रूप से क्रियाशील रहे। पेयजल की गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया जाए तथा गुणवत्ता परीक्षण का कार्य भी सतत रूप से किया जाए। नल के पानी की शुद्धता ऐसी रहे कि सीधे नल से पानी पीने योग्य रहे।

बैठक में स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि बीडीसी के द्वारा मेडिसिटी का निर्माण किया जा रहा है। इसकी लागत कुल 592.3 करोड़ रूपये है तथा कुल निर्मित क्षेत्र का क्षेत्रफल 1, 42, 034.06 स्के.मीटर है। इसमें 550 बिस्तर की क्षमता होगी। सिंहस्थ में स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ मैनेजमेंट प्लान की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि यह जनसंख्या पर आधारित होगा। सिंहस्थ में जनसंख्या के पीक लोड वाले दिनों में विस्तार योग्य क्षमता जोड़ी जाएगी तथा सामान्य दिनों में स्वास्थ्यकर्मियों और संसाधनों की क्षमता के अनुरूप कार्य योजना बनाई जाएगी। इसके अंतर्गत 500 अस्थाई अस्पताल और केम्प लगाए जाएंगे। स्वास्थ्य सुविधाओं को सिंहस्थ मेला क्षेत्र के अनुसार 6 झोन में बांटा जाएगा। स्वास्थ्य सेवाओं का डिजीटल रिकॉर्ड मेंटेन किया जाएगा। डॉक्टर और पेरामेडिकल स्टॉफ की ट्रैनिंग आयोजित की जाएगी। सिंहस्थ के गर्मी के मौसम में आयोजन को दृष्टिगत रखते हुए इलेक्ट्रोलाईट की उपलब्धता समस्त मेला क्षेत्र में जगह-जगह सुनिश्चित की जाएगी।

डॉ.राजौरा ने निर्देश दिए कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा आपदा की स्थिति में कार्ययोजना स्टेट यूनिट के साथ मिलकर बनाई जाए। मेले के दौरान बर्न यूनिट, एम्बुलेंस की सुविधा, ब्लड बैंक, ट्रॉमा सेंटर आदि की सम्पूर्ण तैयारी रखे। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग का विशेष ध्यान हैजा और अन्य मौसम जनित बिमारियों और आपदा प्रबंधन के रिस्पांस पर रहे। स्वास्थ्य प्लान में आयुष विभाग को भी जोड़ा जाए।

डॉ.राजौरा ने कहा कि स्वच्छता और पेयजल के कार्य सिंहस्थ 2028 के अंतर्गत अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे। सिंहस्थ में साफ-सफाई व्यवस्था की कार्ययोजना की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि सड़क एवं अन्य सफाई कर्मियों को मिलाकर कुल 11 हजार 220 सफाई कर्मियों की आवश्यकता होगी। इसके अलावा कचरा संग्रहण के लिए लगभग 5 हजार सफाई कर्मियों की आवश्यकता होगी। कुल मिलाकर 16 हजार 220 सफाई कर्मियों की आवश्यकता सिंहस्थ में होगी। पीक लोड पर सॉलिड वेस्ट उत्पादन लगभग 577 एमएलडी होगा। इसके लिए 379 कचरा गाड़ियों की आवश्यकता होगी जो कि कचरा संग्रहण कर सके। डॉ.राजौरा ने निर्देश दिए कि इस दौरान ऑउटसोर्स एजेंसी के कार्यों की मॉनिटरिंग की जाए तथा इसका समय-समय पर फॉलोअप लिया जाए। वही एजेंसी कार्य करें जिसके पास कचरा प्रबंधन और स्वच्छता के लिए पर्याप्त अनुभव हो तथा जो सिंहस्थ महापर्व 2028 के अनुरूप कार्य कर सकें। सुखा कचरा और गीला कचरा अलग-अलग करने के लिए स्थानीय स्तर पर जागरूकता शिविर लगाए जाए।

स्मार्ट सिटी के कार्यों की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि वर्तमान में आईटीएमएस जंक्शन सिस्टम सिंहस्थ को दृष्टिगत रखते हुए डेवलप किया जा रहा है। डॉ.राजौरा ने इसके सर्विलांस और फॉलोअप पर ध्यान देने के निर्देश दिए तथा सिंहस्थ के समय आईटीएमएस पुलिस विभाग को सौंपने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के निर्देशानुसार सिंहस्थ में फेस रिकग्नीशन, एलर्ट सिस्टम, फायर अलार्म के सभी सॉफ्टवेयर एमपीएसईडीसी के द्वारा विकसित किए जाएंगे। यह कार्य 31 दिसंबर 2025 तक पूर्ण किया जाना निर्धारित है। इसके अलावा सिंहस्थ 2028 के लिए ऑल इन वन ऐप भी बनाया जाएगा जिसमें ड्रोन सर्विस, यातायात और वाहन प्रबंधन, मानव संसाधन और कार्य प्रगति की जानकारी की सुविधा मिल सकेगी। सिंहस्थ में वाहनों की पार्किंग की उपलब्धता के लिए ऑनलाईन डाटा तैयार किया जाएगा। इसके अलावा जीआईएस आधारित उपयोगिता सिस्टम बनाया जाएगा। सिंहस्थ मेला क्षेत्र का वर्चुअल टूर ऐप के माध्यम से कराया जाएगा।
सिंहस्थ में पर्यटन की दृष्टि से किए जाने वाले विकास कार्यों की समीक्षा में महाराजवाड़ा हेरिटेज होटल, ओमकार सर्किट, ग्रांड होटल उज्जैन का उन्नयन एवं नवीन कक्षों का विस्तार होटल क्षिप्रा रेसीडेंसी के उन्नयन कार्य, देवी अहिल्या लोक महेश्वर, गंभीर डेम में जलक्रीडा सुविधाएं, बोट क्लब व रेस्टोरेंट, 10 करोड़ रूपये की लागत से पंचक्रोशी यात्रा मार्ग के पडावों का विकास, सिंहस्थ टेंट सिटी विकास, अष्ट भैरव मंदिरों के विकास कार्यों की समीक्षा भी की गई।

श्रीकृष्ण पाथेय न्यास अंतर्गत नारायणा धाम के श्रीकृष्ण सुदामा मंदिर के विकास पर चर्चा की गई। डॉ.राजौरा ने निर्देश दिए कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए श्री महाकाल लोक की मुर्तियों के नीचे पौराणिक कथाओं का वर्णन किया जाना सुनिश्चित करें। इस दौरान क्यूआर कोड से क्केन कर ऑडियो गाईड की सुविधा का सुचारू रूप से संचालन हो। डॉ.राजौरा के द्वारा श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में स्टोन क्लेडिंग और न्यू वेटिंग हॉल, श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रवेश टनल मार्बल क्लेडिंग और फ्लोरिंग कार्य, आपातकालिन निर्गम, पालकी हॉल, मार्बल क्लेडिंग और फ्लोरिंग के कार्य, विजिटर फेसिलिटेशन सेंटर और श्री महाकालेश्वर भक्त निवास निर्माण कार्य की समीक्षा की गई। बैठक में संभागायुक्त श्री संजय गुप्ता, एडीजीपी श्री उमेश जोगा, कलेक्टर श्री नीरज कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री प्रदीप शर्मा एवं संबंधित विभागों के अधिकारीगण मौजूद थे।

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