परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता का तबादला सौरभ शर्मा या लोकायुक्त में शिकायत….

मध्य प्रदेश के परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता को सरकार ने गुरुवार को हटा दिया और उनकी जगह विवेक शर्मा की पदस्थापना कर दी गई है। डीपी गुप्ता को ऐसे समय हटाया गया है कि जब पूर्व आऱक्षक सौरभ शर्मा और उससे जुड़े लोग लोकायुक्त-आयकर-ईडी के छापों में एक अरब यानी सौ करोड़ के करीब की संपत्ति के आसामी निकले हैं। परिवहन आयुक्त पद ऐसी काजल की कोठरी है जहां लगभग हर अधिकारी बाहर निकलता है तो उसके कालिख की छाप दिखाई देने ही लगती है। पढ़िये रिपोर्ट।

मध्य प्रदेश का परिवहन विभाग और उसमें परिवहन आयुक्त का पद ऐसी जगह हैं जहां कई अधिकारी जुगाड़ बैठकर जाने की फिराक में रहते हैं। कहा भी जाता है कि इस पद के लिए सूटकेस के सूटकेस के साथ अधिकारी सफेद पोश लोगों या नेताओं के चक्कर लगाते हैं मगर सीट उसे मिलती है जो मुख्यमंत्री और सत्ताधारी दल के प्रभारी नेताओं के संपर्क में रहता है। कुछ अपवाद छोड़ दें तो अमूमन परिवहन आयुक्त पद समझौता वादी अफसर ही लंबी पारी खेल पाते हैं क्योंकि यहां से सत्ताधारी दल को भीड़ जुटाने से लेकर तमाम तरह की मदद मिलती रहती है।
डीपी गुप्ता की कुर्सी जाने के पीछे ये हो सकते हैं कारण
डीपी गुप्ता को परिवहन आयुक्त बने अभी 11 महीना हुआ था। परिवहन के चेक पोस्ट पर वसूली को लेकर विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी कराने की गारंटी लेकर काम कराने वाले सौरभ शर्मा के लोकायुक्त पुलिस के छापे व फिर उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर की कार से 11 करोड़ व 52 किलो सोना मिलने से पूरे महकमे में हड़कंप मचा हुआ था। डीपी गुप्ता के पहले परिवहन की नौकरी छोड़ चुके सौरभ की उसके बाद भी विभाग में दखलदांजी को आयुक्त ने रोका नहीं जिससे लोकायुक्त-ईडी-आयकर की एजेंसियों की कार्रवाइयों ने परिवहन आयुक्त को कटघरे में खड़ा कर दिया था। परिवहन की चौकिंयो बंद कर देने के बाद भी बेरियरों पर वसूली का रैकेट चल रहा था और इसकी जानकारी परिवहन आयुक्त कार्यालय के पास भी शिकायत केे रूप में पहुंची थी। ऐसी ही शिकायत लोकायुक्त पुलिस में डीपी गुप्ता के भ्रष्टाचार को लेकर हुई थी जिसमें लोकायुक्त ने प्रमुख सचिव रिपोर्ट तलब की है तो मुख्यमंत्री तक शिकायत पहुंची। एक वजह लोकायुक्त पुलिस में उनकी यह शिकायत मानी जा रही है तो दूसरा कारण, सौरभ शर्मा के यहां छापे भी हो सकते हैं क्योंकि उसके द्वारा सरकार के टोल खत्म कर दिए जाने के बाद भी सौरभ शर्मा द्वारा बेरियर पर अपने आदमियों व खुद भी वसूली करता रहा। ये आरोप छापे के दौरान मीडिया हाउसों की रिपोर्टों में भी सामने आया है।
पहले भी परिवहन आयुक्तों पर लगते रहे हैं आरोप
ऐसा नहीं है कि डीपी गुप्ता पहले परिवहन आयुक्त हैं जो आरोपों के चलते पद से हटाए गए हैं। इसके पूर्व मधुकुमार बाबू भी इसी तरह हटाए गए थे। उन पर कांग्रेस नेताओं को चुनाव के दौरान आर्थिक मदद पहुंचाने का आरोप लगा था। मधुकुमार बाबू का एक ऐसा वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें एक लिफाफा लेते हुए दिखाया जा रहा था। हालांकि लिफाफे में क्या था, यह खुलासा नहीं हुआ था। मगर मधुकुमार बाबू को हटा दिया गया था। इसी तरह मुकेश जैन पर उनके ही पीए ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे जिसमें उन्होंने 50 करोड़ रुपए की टोल नाकों से अवैध वसूली के आरोप लगाए थे। हालांकि पीए और ड्राइवर को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था मगर कुछ समय बाद जैन की भी परिवहन विभाग से छुट्टी हो गई थी।

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