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यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा ग्रीन कॉरीडोर से रवाना, इंदौर में बयानबाजी से विरोध

भोपाल गैस कांड में 40 साल पहले जिस मिथाइल आइसोसाइनेट से हजारों लोगों की मौत हो गई थी और हजारों आज तक प्रभावित हैं, उसका जहरीला कचरा अब जाकर नष्ट किया जा रहा है और अदालत द्वारा निष्पादन की रिपोर्ट पेश करने की तारीख के कुछ घंटे पहले पीथमपुर में उसे नष्ट करने के लिए बड़े-बड़े कंटेनरों में रवाना किया गया। पीथमपुर में इन कंटेनरों में भरे जहरीले कचरे को सभी प्रोटोकॉल के साथ नष्ट किया जाएगा पढ़िये रिपोर्ट।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की रात को विश्व की भीषणतम गैस त्रासदी हुई थी जिसके दुष्परिणाम आज तक भोपाल के प्रभावित लोग भुगत रहे हैं। यूनियन कार्बाइड उसी समय से बंद है और उसका मालिकान हक भी कुछ सालों पहले डाउ केमिकल के पास जा चुका है लेकिन अब तक उस जहरीली गैस के जमीन पड़े कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू ही नहीं हो सकी थी। कभी कचरे को गुजरात में नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी मगर गुजरात के लोगों ने विरोध कर दिया तो उस समय यह टल गया। इसके बाद भी गैसकांड की बरसी पर हर बार एनजीओ और गैस कांड के बाद से प्रभावितों के लिए काम कर रहे संगठन इसको लेकर चिंता जताते रहे मगर हल नहीं निकला। अदालत में भी इसको लेकर संगठन गए मगर लंबे समय तक सरकार इसको टालमटोल करती रही। मगर अब अदालत ने जहरीले कचरे को नष्ट करने के लिए समय सीमा तय किए जाने के कुछ घंटे बुधवार की रात को कंटेनरों में भरकर पुलिस जवानों की फौज की सुरक्षा के बीच भोपाल से पीथमपुर के लिए रवाना कर दिया गया। अब इस कचरे को इंदौर के पास औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में रामकी इनवायरो के इंसीनेटर में जलाया जाएगा.
ग्रीन कॉरीडोर बनाकर ले जाए गए कंटेनर
भोपाल के यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में जहरीला कचरा भरकर बुधवार देर रात ग्रीन कारिडोर बनाकर भोपाल से पीथमपुर भेजा गया। जिन कंटेनरों में जहरीला कचरा रवाना हुआ वे 12 थे और इनमें पांच प्रकार का जहरीला कचरा है। यूका फैक्ट्री में करीब 337 मीट्रिक टन कचरा थैलियों में काफी समय से रखा था।
परिसर में बिखरे पड़े कचरे को इकट्ठा किया गया
कहा जाता है कि जहरीले कचरे में फैक्ट्री में रिएक्टर से निकले अवशेष, सीवन अवशेष, नेफ्थाल अवशेष और कीटनाशक बनाने की प्रक्रिया के दौरान प्रोसेस करने से बचा हुआ केमिकल शामिल है। साथ ही यूनियन कार्बाइड परिसर में बिखरे हुए कचरे को इकट्ठा करने के साथ उस समय परिसर की मिट्टी को भी इकट्ठा किया गया। ‘
ले जाते कचरा कहीं गिरा तो उस स्थान की मिट्टी भी ले जाई जाएगी
मध्य प्रदेश शासन के गैस राहत विभाग का दावा है कि यूनियन कार्बाइड परिसर के तीन स्थानों पर वायु गुणवत्ता की मॉनिटरिंग के लिए उपकरण लगाए हैं। इनसे पीएम 10 व पीएम 2.5 के साथ नाइट्रोजन आक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड आदि की जांच की जा रही है। वहीं कचरा जिस स्थान पर रखा है, उस इलाके की धूल भी कचरे के साथ जाएगी। ले जाते समय कहीं कचरा गिरा है, तो उस जगह की मिट्टी को भी पीथमपुर ले जाया जाएगा। इस मिट्टी और धूल की भी टेस्टिंग होगी। बता दें कि यूका की 87 एकड़ जमीन में से 30 एकड़ पर लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है। 57 एकड़ में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री बनी हुई है।
2015 में हो चुका ट्रायल
“यूनियन कार्बाइड परिसर में 347 मीट्रिक टन विषाक्त कचरा था, जिसमें से 2016 में दस मीट्रिक टन कचरे को ट्रायल के रूप मे जलाया गया था। उस दौरान या बाद में उत्सर्जन मानक, निर्धारित राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप मिले थे। यूका के जहरीले कचरे का निष्पादन टू लेयर कम्पोजिट लाइनर सिस्टम से किया जाएगा। कचरे निगरानी के लिए 30-30 मिनट की शिफ्ट लगती थी और करीब 100 मजदूरों से ज्यादा का इसके लिए चयन किया गया था। यह ध्यान रखा गया कि एक मजदूर अधिकतम आधा घंटे ही कचरे के संपर्क में रहे।
इंदौर में महापौर से विरोध की शुरुआत
इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को पीथमपुर में नष्ट किए जाने का पीथमपुर में जहां कांग्रेस ने विरोध किया था, वहीं भाजपा शासित इंदौर नगर निगम के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने जहरीले को पीथमपुर में नष्ट करने का विरोध करने वालों समर्थन किया था। भार्गव ने इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की भी मांग की है। इंदौर महापौर के बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी इसका विरोध किया है। विजयवर्गीय ने चेतावनी दी कि जब तक जनप्रतिनिधि इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाते कि कचरे से नागरिकों के स्वास्थ्य को कोई हानि नहीं है, तब तक इसे पीथमपुर नहीं आने देंगे. इस बारे में विजयवर्गीय ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से भी चर्चा करने की बात कही है। उधर इंदौर के अधिवक्ता अभिनव धनोतकर ने हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई है. उनका आरोप है कि जिन ट्रकों के जरिए कचरा शिफ्ट किया जाना है, सरकार ने उनके नंबर हाई कोर्ट में दिए थे, लेकिन जहरीला कचरा दूसरे ट्रकों में भर दिया गया। अब जबकि कंटेनर इंदौर के रास्ते पीथमपुर पहुंचने वाले हैं तो माना जा रहा है कि नेताओं ने बयान देकर अपने मतदाताओं के बीच विरोध जताने का केवल नाटक ही किया।
126 करोड़ के खर्च से नष्ट होगा जहरीला कचरा
भोपाल से पीथमपुर तक यूका परिसर के जहरीले कचरे को कड़ी सुरक्षा के बीच लोडिंग किया गया। इसे कंटनेरों में रखने और इकट्ठा करने में जहां 100 मजदूर लगे हैं, वहीं कई थानों की पुलिस भी इसकी सुरक्षा में लगी हैं। जिला प्रशासन, नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत अन्य विभागों के 400 अधिकारी कर्मचारी मौजूद हैं। पीथमपुर पहुंचने के बाद कचरे को नौ महीने के अंदर जलाने की चुनौती भी राज्य शासन को होगी। इस प्रक्रिया में सरकार के 126 करोड़ रुपए खर्च होना है।
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