शंकराचार्य श्री सदानंद सरस्वती ने इंदौर में बयान दिया है कि अगर किसी जगह मस्जिद तोड़कर मंदिर बनाया गया हो तो प्रमाण उपलब्ध करा दें, हम उस मंदिर को देने को तैयार हैं। इसलिए धर्मस्थलों का प्रमाण के आधार पर निर्धारण होना चाहिए। शंकराचार्य ने मीडिया के सामने और भी बहुत कहा, पढ़िये रिपोर्ट।
श्री द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री सदानंद सरस्वती इंदौर प्रवास पर थे। वहां उन्होंने स्पष्ट किया कि मंदिरों की खोज के लिए किसी प्रकार की जबरदस्ती नहीं है। यह खोज प्रमाण और ऐतिहासिक तथ्यं के आधार पर की जा रही है। कई प्राचीन धार्मिक स्थलों को नष्ट किया गया था और वे हमारी सांस्कृतिक धरोहर थीं। उन स्थानों को वापस पाने की प्रक्रिया विवादित नहीं है।
जिन्हें प्रमाण स्वीकार नहीं वे पुरातत्व विभाग का सहारा लें
शंकराचार्य सदानंदजी ने कहा कि आज हमारे पास धार्मिक और ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध हैं। जो लोग प्रमाणों को नहीं कर रहे हैं, उनके लिए पुरातत्व विभाग का सहारा लिया जा सकता है।
मुगल समाप्त नहीं कर पाए जातिप्रथा
शंकराचायर् श्री सदानंद आचार्य ने कहा जाति वाद को मुगल नहीं खत्म कर पाए तो आज के दौर में तो यह संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि जाति व्यवस्था को समाप्त करना संभव नहीं है, क्योंकि सरकारें स्वयं जाति के आधार पर अपने उम्मीदवार तय करती हैं। जातिवाद समाप्त करने को शंकराचार्य ने राजनीति का मु
मुद्दा उठाय था।
नेता नकली आचार्यों में बढ़ा रहे
शंकराचार्य श्री सदानंदजी ने कहा कि कुछ संगठन और शासन में बैठे लोग अपने स्वार्थ के लिए नकली आचार्यों का निर्माण कर रहे हैं, जो धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है। ऐसे व्यक्तियों से सतर्क रहने और मीडिया से इन्हें प्रचारित न करने की अपील की। अंत में उन्होंने सनातन धर्मावलंबियों से कुंभ मेले में गंगा स्नान करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गंगा में स्नान से पहले ही पाप का ह्रास होने लगता है, और यह स्नान सभी के लिए अनिवार्य है।
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