40 साल बाद यूका का जहरीला कचरा फैक्ट्री परिसर से हटना शुरू, ग्रीन कॉरीडोर बनाकर पीथमपुर जा रहा

40 साल पहले जिस यूनियन कार्बाइड की जहरीली गैस मिक ने हजारों लोगों की जान ली थी और उसके प्रभाव का असर आज तक शहर के पीड़ित झेल रहे हैं, उस फैक्ट्री की जमीन में दबे रासायनिक कचरे को आखिरकार पीथमपुर औद्योगिक नगर में लेकर निष्पादित किया जा रहा है। 250 किलोमीटर का ग्रीन कॉरीडोर बनाकर ट्रकों व डंपर में भरकर पीथमपुर ले जाने की शुरुआत रविवार की रात से शुरू की गई। पढ़िये रिपोर्ट।

2 औऱ 3 दिसंबर 1984 की वह रात भोपाल के लोग कभी नहीं भूलेंगे। जहरीली मिथाइल आइसोसाइनाइड यानी मिक गैस ठंड के मौसम की उस रात को भोपाल के पुराने शहर के कैंची छोला क्षेत्र के पास स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से ऐसी लीक हुई कि लोग सोते ही रह गए और जो बाहर निकल कर जान बचाने दौड़े भी तो वे भी कुछ देर में बदहवास होकर सड़क, गलियों में लुढ़कते चले गए। सुबह जब हुई तो भोपाल का मेडिकल कॉलेज का हमीदिया अस्पताल का मैदान पोस्टमार्टम मैदान बन गया था। डॉक्टर मृतकों की लाशों को केवल टैग लगवाकर गिनतियां कराते नजर आ रहे थे क्योंकि लाशें पुराने शहर के अधिकांश इलाकों से पहुंचती ही जा रही थीं। तब मेडिको लीगल इंस्टीट्यूट के हैड हुआ करते थे डॉ. हरीशचंद्रा और उनके असिस्टेंट थे डॉ. डीके सत्पथी, जिन्होंने यह नजारा खुद आंखों से देखा था।

आज 40 साल बाद उसी फैक्ट्री में लोहे का ढांचा खड़ा और उस परिसर के भीतर जो जहरीला कचरा दफन था, उसे ठिकाने लगाने के लिए मालवा के धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र भेजने की प्रक्रिया शुरू हुई। 40 साल पहले जिस मिथाइल आइसोसाइनाइड ने हजारों जानें ली थीं, उसके फैक्ट्री परिसर की जमीन में पड़े रासायनिक कचरे को 19 साल पहले खुदाई के बाहर निकाला गया था। तब से कचरा वहीं पड़ा था क्योंकि उसके निष्पादन के लिए की जाने वाली कोशिशों का जहां संबंधित स्थान के लोगों द्वारा विरोध कर प्रक्रिया की भ्रूण हत्या कर दी जाती थी। मगर इस बार हाईकोर्ट ने रासायनिक जहरीले के कचरो को लेकर दायर याचिका में समय सीमा देते हुए पालन प्रतिवेदन जैसा मांगा है।

हाईकोर्ट की चेतावनी पर प्रशासन सक्रिय
हाईकोर्ट में इस मामले की छह जनवरी को पेशी है जबकि हाईकोर्ट ने तीन दिसंबर को सुनवाई में चार सप्ताह का समय देते हुए राज्य सरकार से उसके निष्पादन के आदेश दे रखे हैं। ऐसे में तीन जनवरी के पहले राज्य सरकार मोबाइल वाहनों से पूरे घटनाक्रम पर मुस्तैदी से काम कर रही है। मामले को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने अब तेजी से इस पर काम शुरू कर दिया है। अदालत ने 3 दिसंबर को नए-पुराने शहर की यातायात को लेकर सरकार को एक महीेन में यातायात में बाधाएं डालने श्वान दलों को बुलाया था। हाईकोर्ट के आदेश के पालन प्रतिवेदन में पुलिस व फॉरेस्ट के लोगो से अपने अपने लॉगिन देखकर बधाइयां देने का मौका नहीं दिया जा सका।

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