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IT-लोकायुक्त के छापों में MP के भ्रष्टाचार के सूत्रों को खोला, राजेश शर्मा-सौरभ व चेतन गौर अरबों के खिलाड़ी

भोपाल में दो दिनों के भीतर आयकर, लोकायुक्त के छापों के बाद अचानक कोई व्यक्ति अकूत संपत्ति में से करोड़ों का सोना-नकद राशि रातीबड़ के पास जंगल में लावारिस कार में छोड़ गया। किसी ने पुलिस और आयकर को सूचना दे दी और रात के अंधेर में इन सरकारी महकमों की गाड़ियां वहां पहुंची तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गईं। जिस कार में यह मिला वह ग्वालियर की थी और जिस व्यक्ति चेतन गौर के नाम यह कार थी, वह लोकायुक्त पुलिस के रडार पर एक दिन पहले ही पूर्व परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा की वजह से आया था और सौरभ के यहां लोकायुक्त को अकूत संपत्ति और चल-अचल संपत्ति के दस्तावेजों का जखीरा मिला था।
रातीबड़ के जंगल में मिली कार चेतन गौर की थी मगर वह लावारिस वहां कैसे और क्यों पहुंची, इसका खुलासा नहीं हो सका है। 52 किलो सोना और 10 करोड़ नकद राशि मिलने पर पुलिस ने मामले में कार्रवाई करने के बजाय आयकर को ही कार्रवाई करने दी। लोकायुक्त विशेष पुलिस इस मामले से दूर ही रही। जो अधिकारी रात को लावारिस कार की सूचना पर पहुंचे थे, सभी ने कल्पना भी नहीं की थी कि उन्हें 52 किलोग्राम सोना एकसाथ देखने को मिलेगा और करीब 10 करोड़ रुपए की नकद राशि वहां मिलेगी। लावारिस कार में बैगों के भीतर यह सब पड़ा था और जब उन बैगों को निकाला गया तो उन्हें गिनने के लिए सरकारी अधिकारियों की सांस फूल गई।
यहां अब आयकर-लोकायुक्त पुलिस के छापों में घेरे में आए पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और पूर्व मंत्री रामपाल सिंह के नजदीकी राजेश शर्मा, लोकायुक्त छापे में करोड़ों के संपत्ति के कर्ताधर्ता निकले परिवहन के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा तथा लावारिस कार मालिक चेतन गौर के बीच कनेक्शन की कहानी अब तक किसी के समझ नहीं आई है। राजेश शर्मा के यहां आयकर छापे में मिली संपत्ति व दस्तावेजों में ग्वालियर के राजकुमार सिकरवार, रामवीर सिकरवार, सौरभ शर्मा का नाम भी सामने आया था तो लोकायुक्त पुलिस के सौरभ शर्मा के छापे में ग्वालियर के चेतन गौर के अलावा शरद जायसवाल का नाम भी सामने आया। तीनों राजेश शर्मा, सौरभ शर्मा, चेतन गौर के आपस में रिश्तों की कहानी इन छापों से सामने आई है जिसे अब आयकर व लोकायुक्त पुलिस को भी सुलझाना है।
राजेश शर्मा के यहां आयकर छापे में जहां कई अरब रुपयों की चल-अचल संपत्ति का खुलासा हुआ था तो सौरभ शर्मा भी बड़ा खिलाड़ी निकला। सौरभ परिवहन विभाग में मामूली सिपाही था और उसके पिता ग्वालियर में सरकारी डॉक्टर थे। मगर जब उसने नौकरी छोड़ी तो वह परिवहन का बड़ा असरदार खिलाड़ी हो गया था। उसकी परिवहन विभाग में खासी पैठ हो चुकी थी और नौकरी छोड़ने के बाद भी वह दमखम के साथ परिवहन के काम का जिम्मा लेता था। लोकायुक्त छापे में जब लोकायुक्त पुलिस की टीम ने कार्रवाई की तो उसे नोट गिनने के लिए एक दो नहीं कई मशीनों को बुलाना पड़ा। 550 ग्राम सोना तो मिला लेकिन चांदी सिल्लियों की सिल्लियां मिली जो 234 किलोग्राम की बताई जा रही हैं।
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