मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री उदयप्रताप सिंह ने अपने एक निगम की महिला वित्त अधिकारी को गंभीर शिकायतों के आधार पर मूल विभाग में भेज दिया था लेकिन महिला अधिकारी उनसे ज्यादा ताकतवर निकली। महिला अधिकारी ने अपने राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अपने मंत्री के निर्देश पर मूल विभाग भेजने के आदेशों को पलटवा लिया और शुक्रवार को उसी निगम में वापसी दर्ज कर दी है। पढ़िये कौन है यह महिला अधिकारी, किस निगम में उनकी पदस्थापना है और ऐसा क्या है उस निगम में जिसकी वजह से उन्होंने मूल विभाग में काम करने के बजाय वहां काम करने के लिए अपने तमाम प्रभाव को इस्तेमाल कर मंत्री के आदेश को पलटवा दिया।
मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग के पाठ्य पुस्तक निगम में सरकारी स्कूलों की किताबों की प्रिटिंग का काम होता है जिसके कागज की खरीद से लेकर डिपो में उनके भंडारण, वितरण और उससे जुड़े कुछ अन्य काम होते हैं। इस निगम द्वारा प्रायवेट प्रिटिंग ऑपरेटर्स से किताबों को छपवाया जाता है जिनमें कई जाने-माने समाचार पत्र समूह भी शामिल हैं। किताबों की प्रिटिंग में एक-एक इंच की साइज की हेर-फेर से करोड़ों रुपए का गणित कारोबारी करते हैं जिसमें निगम के अधिकारी भी शामिल होते हैं। यही नहीं किताबों की प्रिटिंग और वितरण के बीच संख्या की हेर-फेर भी इसी तरह करोड़ों रुपए की गड़बड़ी की जा सकती है। मगर इस गोरखधंधे का खुलासा कोई नहीं करता है क्योंकि कोई शिकायत करने वाला अब तक सामने नहीं आया है। इसी खेल में निगम के अधिकारी हींग लगे न फिटकरी और रंग चोखा हो, वाली कहावत पर काम करते रहते हैं और एकबार यहां आने के बाद जाने का नाम नहीं लेते हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के मंत्री उदयप्रताप सिंह के पास पहली बार पाठ्य पुस्तक निगम संबंधी शिकायत पहुंची थी और देखिये अधिकारियों ने उन्हें कैसी पटखनी दी।
23 सिंतबर को कार्यमुक्त आठ नवंबर को वापसी
मध्य प्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम की महाप्रबंधक वित्त अंजू सिंह के खिलाफ स्कूल शिक्षा मंत्री उदयप्रताप सिंह को शिकायत मिली तो उन्होंने नोटशीट पर इसका हवाला देते हुए 23 सितंबर को लिखा था कि गंभीर शिकायतों की वजह से उन्हें मूल विभाग वापस भेजा जाए। उनका प्रभार लोक शिक्षण संचालनालय के वित्तीय सलाहकार को देने के निर्देश किए थे। मंत्री की इस नोटशीट पर पाठ्य पुस्तक निगम के प्रबंध संचालक विनय निगम ने मूल विभाग में वापसी व कार्यमुक्त करने के आदेश जारी किए। मगर अंजू सिंह की मूल विभाग में वापसी व कार्यमुक्त होने के आदेश के बाद आठ नवंबर को स्कूल शिक्षा विभाग के उप सचिव के आदेश से निरस्त कर दिए गए हैं। वे वापस पाठ्य पुस्तक निगम में महाप्रबंधक वित्त के रूप में अपनी सेवाएं देने पहुंच गई हैं।
46 दिन में मंत्री का आदेश पलटने के पर्दे के पीछे कौन…
मंत्री के आदेश को 46 दिन में कैसे पलटवाया गया, यह रहस्य अभी बरकरार है। बताया जाता है कि वित्त सेवा की अधिकारी अंजू सिंह की राजनीतिक और प्रशासनिक पकड़ अच्छी है। मोहन सरकार के एक उप मुख्यमंत्री तक उनकी पहुंच है तो महिला आईएएस अधिकारी से उनके काफी निकट संबंध हैं। उप मुख्यमंत्री के कार्यालय में भी अंजू सिंह की अच्छे संबंध हैं और महिला आईएएस अधिकारी से उनके तब के संबंध में जब वे स्कूल शिक्षा विभाग की कमान संभालती थीं।
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