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तीन जिंदगियां बचाने थम गई राजधानी, भोपाल में बने दो ग्रीन कॉरीडोर

भोपाल से सटे सीहोर जिले के बुदनी के एक वरिष्ठ समाजसेवी, अधिवक्ता और कांग्रेस नेता गिरीश यादव के ब्रेन डेड हो जाने पर उनके परिजनों ने उनके शरीर के अंगों को दान कर एक नहीं तीन जिंदगियों को नया जीवन देने का फैसला किया। गिरीश यादव के निधन पर उन्हें पुलिस बैंड के साथ ससम्मान अंतिम विदाई देते हुए लोगों ने पुष्प वर्षा की और प्रशासन ने अंगदान के लिए बसंल अस्पताल से एम्स और बंसल से इंदौर जाने के लिए ग्रीन कॉरीडोर बनाया। पढ़िये रिपोर्ट।
राजधानी भोपाल में शुक्रवार को दो ग्रीन कॉरीडोर बनाए गए। दोनों ही कॉरीडोर बंसल अस्पताल से बने। इसमें एक कॉरीडोर बंसल से एम्स अस्पताल तक बना और दूसरा कॉरीडोर बंसल से इंदौर जाने के लिए बना। ग्रीन कॉरीडोर के लिए राजधानी की कुछ प्रमुख सडक़ें थोड़ी देर के लिए थम गईं। ट्रेफिक पुलिस ने प्रशासन से चर्चा के बाद भोपाल में शुक्रवार को यह दोनों ग्रीन कॉरीडोर बनाए। इन ग्रीन कॉरीडोरों से शहर में किसी भी तरह से सड़कों पर यातायात नहीं रुका और न ही किसी तरह का रूट डायवर्ट नहीं किया गया। जिन रास्तों से एंबुलेंस को गुजरना था वहां सिर्फ कुछ देर के लिए ट्रेफिक को रोककर एंबुलेंस को रास्ता दिया गया। एम्स तक पहुंचने में एंबुलेंस को कुछ मिनट का समय लगा जबकि इंदौर का सफर करीब तीन घंटे में पूरा किया।
ब्रेन स्ट्रोक के कारण हुई मौत
अस्पताल सूत्रों के अनुसार बुधनी निवासी गिरीष यादव उम्र 73 वर्ष को कुछ दिन पहले ब्रेन स्ट्रोक हुआ था जिस वजह से उनके परिजनों ने उन्हें बंसल अस्पताल में भर्ती कराया। वहां गुरुवार को चिकित्सकों ने गिरीश को ब्रेनडेड घोषित कर दिया तो उनके परिजनों ने चिकित्सकों के परामर्श पर यादव की देह से अंगदान करने का निर्णय लिया।
किडनी एम्स और लिवर इंदौर भेजा
बताया जाता है कि चिकित्सकों की टीम ने तमाम तरह की जांचें करने के बाद गिरीश यादव को ब्रेनडेड घोषित किया तो फिर परिजनों ने गुरुवार को अंगदान की सहमति दी। इसके बाद शुक्रवार को अंगदान की प्रक्रिया शुरू हुई। किडनियों में से एक किडनी भोपाल के एम्स में 21 साल की एक युवती को दी गई तो दूसरी किडनी बंसल अस्पताल में ही एक मरीज को दी गई। गिरीश यादव का लीवर इंदौर में एक मरीज को दिया जिसे इंदौर पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरीडोर बना।
हार्ट का नहीं हो सका इस्तेमाल
ब्रेनडेड हुए मरीज की उम्र 73 वर्ष थी। जिस कारण उनके हार्ट का डोनेशन नहीं हो सका। बताया जाता है कि ब्रेन स्ट्रोक के कारण मरीज के बाकी अंग तो ठीक , लेकिन हार्ट पर्याप्त रूप से काम नहीं कर रहा था। यही कारण रहा कि हार्ट किसी के काम नहीं आ सका। आंखे गांधी मेडिकल कॉलेज में दान की गईं।
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