मध्य प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में रिक्त पदों के विरुद्ध सेवा कर रहे अतिथि विद्वानों के चल रही स्थांतरण की प्रक्रिया ने अब एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। मार्च 2023 में बहुतायत की संख्या में पद रिक्त थे और पोर्टल में शो भी हो रहे थे लेकिन एक वर्ष बाद औऱ रिक्त पदों की संख्या बढ़नी चाहिए जो नहीं दिख रही है और इससे अतिथि विद्वानों को इसका लाभ नहीं मिल पाएगा। महिला अतिथि विद्वानों को काफी दिक़्क़तों से जूझना पड़ रहा है जो अपने शहर में रिक्त पद होने के बावजूद 800 से हज़ार किलोमीटर सेवा दे रहीं हैं। इस स्थल परिवर्तन की घोषणा मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव एवं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी।
बिना तैयारी के विभाग ने अतिथि विद्वानो के ट्रांसफर एवं नई भर्ती का कैलेंडर तो जारी कर दिया लेकिन अभी तक रिक्त पदों का डेटा ही विभाग नहीं सामने ला रहा है। प्राचार्यों के द्वारा बोला जा रहा है कि हमने अपडेट कर दिया विभाग उच्च शिक्षा जारी नही कर रहा तो वही उच्च शिक्षा विभाग बोल रहा है प्राचार्यों के द्वारा किया नही गया तो इसमें दिक्कत अतिथि विद्वानों को हो रही है।प्राध्यापकों के ट्रान्सफर से फिर अंदर बाहर का खेल चलेगा।
अतिथि विद्वान महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. देवराज सिंह का कहनाहै कि बिना पूर्व तैयारी के विभाग ने ट्रांसफर की प्रोसेस शुरू कर दी। रिक्त पदों की सही जानकारी के बिना प्रोसेस शुरू कर दिया गया। इसके पीछे मंशा क्या है ये समझ से परे है। महासंघ की मांग है कि प्रक्रिया में पूरे रिक्त पदों को शो किया जॉए, तारीख़ को आगे बढ़ाया जाए जिससे मुख्यमंत्री के घोषणा के अनुसार अतिथि विद्वानों को लाभ मिल सके।
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