टीकमगढ़ जिले की बैदपुर स्थित डायस्पोर खदान पर पेड़ों की कथित रूप से कटाई को लेकर शनिवार को धरजई मंदिर के महंत सीताराम ने जंगल बचाने का अभियान शुरू किया जिसे चिपको आंदोलन कहकर लोगों का समर्थन लिया। खदान के मालिक कांग्रेस के एक पूर्व विधायक अपने बिजनेस पार्टनर के साथ महंत के पास समर्थकों के साथ धरजई मंदिर पहुंचे तो वहां सीताराम महंत भीड़ के साथ मंदिर में घुसे माननीय को देखकर गुस्से से तमातमाए। वे गुस्से में कभी ताल ठोंकते तो कभी लाठी लेकर यहां वहां चलते। माननीय ने बगल में बैठकर चर्चा करने को कहा तो गुस्से से लाल-पीले महंत ने कहा कि तुम करोड़पति होगे मगर हमारे बगल में नहीं बैठ सकते। पढ़िये पूरे घटनाक्रम की स्टोरी और विवाद की वजह।
मामला टीकमगढ़ जिले की जतारा स्थित बैदपुर डायस्पोर पत्थर खदान का है जहां जंगल का कुछ क्षेत्र भी और वहां कई पेड़ लगे हैं। टीकमगढ़ के धरजई मंदिर के महंत सीताराम को खदान से पत्थर निकालने के लिए इन पेड़ों को काटे जाने की सूचना मिली थी तो वे पेड़ों को बचाने के लिए वहां विरोध करने पहुंचे थे। पेड़ों से चिपककर महंत सीताराम ने विरोध दर्ज कराया और वापस मंदिर आ गए। इसकी सूचना मिलने के बाद पड़ोसी जिले छतरपुर के कांग्रेस के पूर्व विधायक आलोक चतुर्वेदी और अपने बिजनेस पार्टनर, समर्थकों के साथ कई गाड़ियों में मंहत सीताराम के धरजई मंदिर पहुंच गए।
मंदिर में तलाशी से आक्रोशित हुए महंत
पूर्व विधायक आलोक चतुर्वेदी और उनके साथियों ने मंदिर में महंत सीताराम को तलाशने के लिए यहां वहां पहुंचकर देखा तो मंदिर परिसर में मौजूद महंत के साथियों व अनुयायियों में हड़कंप मच गया। महंत सीताराम भी बाहर आ गए और अपने आसन पर बैठ गए। सामने आलोक चतुर्वेदी कुर्सी पर बैठ गए। चर्चा के बीच में बंदूक की बात हुई तो सीताराम महंत ने कहा कि उनके बाद भी रायफल है।
महंत को जब माननीय ने कहा जोर से बोलना हमें भी आता है तो उन्होंने ताल ठोंकी
चर्चा के बीच बंदूक-रायफल की बात होने पर चतुर्वेदी ने महंत सीताराम से कहा कि आपको खदान से क्या तकलीफ है तो वे बोले कि पेड़ नहीं कटने देंगे। महंत ने कहा कि जल-जंगल-जमीन और सनातन धर्म की रक्षा करना उनका उत्तरदायित्व है। तेज आवाज में बातचीत होने पर चतुर्वेदी ने जब कहा कि जोर से बोलना उन्हें आता है तो उनके समर्थकों ने शोर मचाया और इसके बाद महंत ने ताल ठोंककर सभी को चुनौती। मारना चाहते हो तो चतुर्वेदी समर्थकों ने धीमी आवाज में बात करने को कहा तो महंत और तेज आवाज में चुनौती देने लगे। महंत व चतुर्वेदी के साथ आए लोगों के बीच हाथापाई शुरू हो गई। इस बीच एक अनुयायी ने उन्हें लाठी लाकर दे दी।
मंदिर परिसर में चतुर्वेदी-महंत में गर्मागर्मी
सीताराम महंत के गुस्से को देखकर आलोक चतुर्वेदी सहमे सहमे से नजर आए और उन्होंने स्थिति भांपकर अपने समर्थकों को वहां से चलने को कहा। मगर महंत का गुस्सा और भड़क गया। उन्होंने लाठी हाथ में लेकर सबको जाने को कहा। मंदिर के मुख्य द्वार के पास फिर सीताराम महंत और चतुर्वेदी के समर्थकों के बीच कहा सुनी हुई तो चतुर्वेदी सीताराम महंत के पास बात करने पहुंचे जहां उन्हें धक्का देकर उन्होंने पीछे कर दिया। गुस्से से लाल पीले सीताराम महंत ने बाहर जा रहे आलोक चतुर्वेदी की पीठ पर लाठी टिकाकर उन्हें धक्का दिया जिससे वे गिरते गिरते बच गए। इस पूरे घटनाक्रम के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं जिसमें दोनों पक्षों की ओर से एकदूसरे को धमकाये जाने तथा मारपीट के दृश्य कैद हुए हैं। बाद में त्रिवेद मंदिर धरजई के राजेंद्र शुक्ला ने आलोक चतुर्वेदी, अनीस खान और अन्य के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज कराया है।
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