कांग्रेस में पहली बार यह सुनने को मिल रहा है कि मध्य प्रदेश में अध्यक्ष जीतू पटवारी की कार्यकारिणी में पदाधिकारियों की नियुक्ति में किसी भी नेता की सिफारिश नहीं सुनी जाएगी। लोकसभा प्रत्याशियों की भोपाल के प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में हुई बैठक में यह गाइड लाइन बनी है जो मुंगेरीलाल के हसीन सपने जैसी साबित होने वाली रणनीति की तरह अभी से शंकाओं के घेरे में बताई जाने लगी है। पढ़िये रिपोर्ट बैठक में और किस तरह की गाइड लाइन बनी जिसे प्रदेश प्रभारी महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह ने हरी झंडी दी।
लोकसभा चुनाव के लिए मध्य प्रदेश में चार चरणों में मतदान हो चुका है और चार जून को मतगणना होना है। इस बीच भोपाल में लोकसभा प्रत्याशियों को प्रदेश प्रभारी महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने प्रदेश के कुछ प्रमुख नेताओं के साथ बैठकर चुनाव कैसा लड़ा गया, इस बारे में अपनी बात रखने का मौका दिया। सोमवार को भोपाल में कुछ लोकसभा प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, छिंदवाड़ा प्रत्याशी नकुल नाथ सहित अरुण यादव, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार जैसे नेताओं को छोड़कर अधिकांश प्रत्याशी जमा हुए थे। नकुल नाथ की अनुपस्थिति में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ इसमें पहुंचे तो पूर्व नेता प्रतिपक्षद्वय डॉ. गोविंद सिंह व अजय सिंह भी बैठक में मौजूद रहे। इसमें लोकसभा प्रत्याशियों ने अपने क्षेत्र के चुनाव के बारे में बताया और जीत के दावे किए मगर दो लोकसभा प्रत्याशियों ने हार को स्वीकार करते हुए कहा कि पिछली बार से कम मतों की हार होगी। अधिकांश लोकसभा प्रत्याशियों ने जीत होने की उम्मीद बताई।
ऐसी गाइड लाइन बनी
पीसीसी में हुई इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की कार्यकारिणी गठन को लेकर भी कुछ नेताओं ने सुझाव दिए तथा पूर्व की कार्यकारिणी पर तंज भी कसे। नेताओं ने कहा कि पिछली कार्यकारिणी की तरह अनगिनत पदाधिकारियों की नियुक्ति नहीं होना चाहिए बल्कि कांग्रेस के नियमों में जितने पद हैं, उतने पदाधिकारियों की कार्यकारिणी होना चाहिए। पिछली कार्यकारिणियों की तरह किसी को भीअसीमित अधिकार नहीं होना चाहिए कार्यकारिणी की सहमति के बिना ही फैसले ले लिए जाएं और टिकट वितरण से लेकर नियुक्तियां-कार्यक्रम में एक ही व्यक्ति फैसले लेकर कांग्रेस को चलाए। नेताओं की सिफारिशों के आधार पर कार्यकारिणी में पदों की बंदरबाट नहीं होना चाहिए और वरिष्ठता-काम का मूल्यांकन करके पदों पर नियुक्तियां होना चाहिए।
हसीन सपनों में चुनावी मोड भी
कांग्रेस में जिस तरह चुनाव को लेकर पार्टी चार या छह महीने पहले चुनावी मोड में आती है, उस परंपरा को तोड़ते यह गाइड लाइन भी बनाई गई कि लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2028 के लिए वरिष्ठ नेताओं के दौरे, जिलों, ब्लाक पदाधिकारियों के साथ बैठकों का सिलसिला शुरू कर दिया जाए। हालांकि यह भी मुंगेरीलाल के हसीन सपने जैसा बताया जा रहा है क्योंकि बैठक में 15 जून से 15 अगस्त तक लोकसभा क्षेत्रों में नेताओं के दौरों की बात पर फैसला लिया गया और हर बड़े नेता को एक लोकसभा क्षेत्र सौंपने की बात कही गई। 15 अगस्त के बाद लोकसभा क्षेत्रों में जाने वाले वरिष्ठ नेताओं की रिपोर्ट पर तत्काल तीन दिन किसी स्थान पर लगातार मंथन बैठक रखने का फैसला भी हुआ। इस तरह लोकसभा प्रत्याशियों की सोमवार को भोपाल में हुई बैठक में जीतू पटवारी की कार्यकारिणी के गठन और विधानसभा चुनाव 2028 की तैयारियों के लिए चार साल पहले पार्टी को चुनावी मोड में लाने के देखे हसीन सपनों की जुबानी गाइड लाइन तो बन गई है और देखना यह है कि यह किस रूप में जमीन हकीकत में तब्दील होती है।
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