एक तरफ लोकसभा चुनाव जोरों से चल रहा है तो वहीं मध्य प्रदेश में कमजोर कांग्रेस संगठन के कारण अनुशासन तार-तार हो रहा है। कमजोर संगठन की वजह से पार्टी में सालों पुराने नेता दलबदल कर रहे हैं तो उस पर चिंतन करने की बजाय पार्टी के जिम्मेदार नेता सार्वजनिक रूप से उपहास कर रहे हैं। जिन नेताओं के जाने की चर्चा है, उसको लेकर भी पार्टी नेतृत्व चिंतित नजर नहीं आ रहा है। पढिये रिपोर्ट।
देश में लोकसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल अपने अपने स्तर पर जुटे हैं और ज्यादा से ज्यादा सीटों को जीतने का टारगेट रखे हैं। कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व भी देशभर में पूरी ताकत से जुटा है लेकिन मध्य प्रदेश जैसे राज्य में संगठन कमजोर दिखाई दे रहा है। यहां चुनाव के समय पार्टी के नेताओं को मान-मनोव्वल तो दूर नेताओं को जिम्मेदारियां देने भी मनमानी जैसी चल रही है। पिछले दिनों मीडिया विभाग में बड़ा बदलाव किया गया था जिसको लेकर असंतोष था और कुछ असंतुष्टों ने सोशल मीडिया पर इसके जिम्मेदार लोगों के खिलाफ खुलकर अपने विचारों की पोस्ट शेयर की थीं। प्रदेश प्रवक्ता रह चुके नेताओं को आज संभाग के को-ऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी देने पर एकबार फिर वह असंतोष सामने आया और इंदौर के नीलाभ शुक्ला ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। मगर यह मामला इंदौर का था तो प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सीधे हस्तक्षेप किया और नीलाभ शुक्ला को प्रदेश प्रवक्ता बनाने के निर्देश दिए तो इस्तीफे के कुछ घंटे बाद शाम को इस संबंधी आदेश जारी भी हो गए।
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