सपा से गठबंधन में खजुराहो सीट जाने से टीकमगढ़ में कांग्रेस मजबूत, किरण अहिरवार को मिल सकता है फिर मौका

इंडिया गठबंधन के तहत मध्य प्रदेश में खजुराहो सीट के समाजवादी पार्टी को दे दिए जाने के बाद कांग्रेस के लिए बुंदेलखंड की टीकमगढ़ सीट मजबूत स्थिति में आ गई है। यहां पिछली बार लोकसभा और इस बार जिले की जतारा विधानसभा से पार्टी प्रत्याशी रहीं किरण अहिरवार को एक और मौका मिल सकता है क्योंकि उनके प्रति क्षेत्र में सहानुभूति वोट की चर्चा है। इसका लाभ लेने के लिए पार्टी उन्हें मैदान में उतार सकती है। पढ़िये लोकसभा क्षेत्रों में राजनीतिक दलों की स्थिति और संभावित प्रत्याशियों से जुड़ी पहली रिपोर्ट।।

लोकसभा चुनाव के लिए अगले महीने आचार संहिता लगने वाली है और प्रत्याशी की दौड़ में शामिल दावेदारों में टिकट हासिल करने की जोरआजमाइश तेज हो गई है। इस बार कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव का कड़वा अनुभव चखने के बाद समाजवादी पार्टी से प्रदेश में सीट शेयरिंग में देरी नहीं की। समाजवादी पार्टी ने भी कांग्रेस को यूपी में पर्याप्त सीटें देकर बड़ा दिल दिखाया तो कांग्रेस ने खजुराहो सीट को सपा को सौंपकर भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। आसान समझी जाने वाली खजुराहो सीट अब भाजपा प्रत्याशी के लिए कड़े मुकाबला चुनाव बन सकती है।

खजुराहो सीट सपा को मिलने की वजह से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का अब कांग्रेस को मध्य प्रदेश में पूरा साथ मिलेगा जिसका विशेष लाभ यूपी से लगी दो लोकसभा सीटों टीकमगढ़ व दमोह में होगा। टीकमगढ़ और दमोह में यादव समाज काफी बड़ी संख्या में है और अखिलेश यादव के खजुराहो के साथ टीकमगढ़-दमोह में भी फोकस करने से कांग्रेस प्रत्याशी को लाभ मिलेगा।

टीकमगढ़ लोकसभा सीट पर अहिरवार समाज के वोटर बड़ी संख्या में हैं जिसका लाभ कांग्रेस नेता को मिलेगा। पिछली बार 2019 में किरण अहिरवार को मोदी लहर में भी 29.54 फीसदी वोट मिले थे और यही वजह रही कि उन्हें जिले की जतारा विधानसभा सीट पर 2023 चुनाव में 64727 वोट मिले। मगर यहां पार्टी से ही टिकट मांग रहे आरआर बंसल ने 2018 की तरह इस बार फिर चुनाव में उतरकर भाजपा को लाभ पहुंचाया। किरण अहिरवार को उनकी वजह से हार मिली अन्यथा करीब पांच हजार मतों से उनकी जीत निश्चित थी। जानकारी के मुताबिक विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से सीट शेयरिंग की चर्चा के बीच जतारा सीट दिए जाने की चर्चा के बीच उन्हें सपा प्रत्याशी जैसा ऑफर दिया गया था लेकिन इस प्रलोभन को छोड़कर उन्होंने कांग्रेस के साथ खड़े रहने का फैसला नेताओं को सुनाया था। क्षेत्र में अब उनके प्रति सहानुभूति के वोट की खबरें हैं और कहा जा रहा है कि अगर पार्टी ने उन्हें टिकट दिया तो कांग्रेस को यहां से जीत मिलने की सभावना है।

टीकमगढ़ लोकसभा के लिए एक मीडिया सर्वे भी सामने आया है जिसमें किरण अहिरवार के अलावा कमलेश वर्मा, संजय कसगर के नाम भी सामने आए हैं। कमलेश वर्मा 2014 में एकबार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं जिसमें उन्हें केवल 27.94 फीसदी वोट मिले थे तो कसगर का नाम लोकसभा चुनाव 2019 में भी चर्चा में आया था। एक नाम पंकज अहिरवार का बताया जा रहा है जो पंचायत चुनाव भी हार चुके हैं। वैसे टीकमगढ़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस को विधानसभा चुनाव 2023 में आठ विधानसभा सीटों पर पांच लाख 29380 वोट मिले थे जो लोकसभा चुनाव 2019 की तुलना में करीब दो लाख पांच हजार ज्यादा हैं।

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