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कमलनाथ, जानें कांग्रेस के लिए अहम क्यों! भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत के नारे की ओर कदमताल

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को विधानसभा चुनाव में हार के बाद हटाए जाने तथा राज्यसभा चुनाव में जाने के इरादों पर पानी फिर जाने से आहत नाथ के भाजपा में जाने की अटकलबाजी और कांग्रेस नेताओं के चेहरे पर चिंता की लकीरें आसानी से पड़ी जा सकती हैं। हम आपको बता रहे हैं कि कमलनाथ क्यों कांग्रेस के लिए अहम हैं।
कांग्रेस में कमलनाथ केवल एक नेता नहीं बल्कि कुछ साल पहले तक पार्टी के अस्तित्व को बनाए रखने वाले गांधी परिवार का अभिन्न हिस्सा रहा है। चार दशक पहले कमलनाथ को इंदिरा गांधी ने चुनावी राजनीति में छिंदवाड़ा में लांच किया था जहां उन्हें अपना तीसरा बेटा बताया था। इसके पहले तक कमलनाथ गांधी परिवार के सदस्य थे तो मगर सार्वजनिक रूप से इंदिरा गांधी ने मंच से जब परिचय कराया तो उनके पंख ऐसे लगे कि वे दिन-दूनी और रात चौगुनी तरक्की करते हुए पार्टी व सरकार चलाने वाले अहम किरदारों में से एक बन गए।
18 साल कांग्रेस महासचिव तो 15 साल केंद्रीय मंत्री रहे
कमलनाथ की कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार में पैठ का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में लगातार 18 साल तक महासचिव रहे। कई प्रदेशों के प्रभारी रहकर पार्टी के लिए अहम फैसले करने में मुख्य भूमिकाएं निभाईं। वहीं, कांग्रेस की केंद्र सरकारों में भी उतनी ही पैठ रही और वे 15 साल केंद्रीय मंत्री के रूप में काम करने वाले अनुभवी नेता रहे। उद्योग-वाणिज्य मंत्रालय से लेकर पर्यावरण-वन, शहरी विकास मंत्रालय व सड़क परिवहन व राजमार्ग, संसदीय कार्य जैसे मंत्रालय में काम करने वाले वरिष्ठतम मंत्री भी रहे।
नौ बार एमपी से सांसद बनने के बाद प्रदेश की राजनीति में उतरे
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ लोकसभा क्षेत्र से नौ बार जीतने वाले कमलनाथ भाजपा को प्रदेश में हराने के लिए राज्य की राजनीति में भेजा गया जिसमें राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह का अहम योगदान बताया जाता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश की राजनीति से दूर ऱखने के लिए मध्य प्रदेश में लगातार तीन विधानसभा चुनाव हार रही कांग्रेस के सामने मौजूद आर्थिक संकट को आधार बनाकर कमलनाथ की राज्य की राजनीति में एंट्री हुई। कांग्रेस ने 2018 में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से हटाए गए अरुण यादव और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह द्वारा तैयार की गई पिच पर कमलनाथ ने बैटिंग करते हुए सरकार बना ली जिसमें दिग्विजय सिंह ने पर्दे के सामने कमलनाथ को आगे करके सरकार पर नियंत्रण रखा। कैबिनेट गठन के पहले दिन से ही यह साफ दिखाई देने लगा मगर कमलनाथ को फरवरी 2020 में समझ में आया और तब तक भाजपा के तैयार चक्रव्यूह में कांग्रेस फंस चुकी थी। सवा साल में ही कमलनाथ की सरकार गिर गई और इसके बाद उपचुनाव और विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस पिछड़ती गई। इस बीच कमलनाथ से गांधी परिवार को दूर करने की राजनीति के समीकरण बनाए जाते रहे और राहुल गांधी की कमलनाथ से नाराजगी भी बढ़ती गई। आज कमलनाथ और राहुल गांधी में यदाकद ही बात हो पाती है और सोनिया गांधी से भी उनकी बातचीत पहले जैसी आसान नहीं रही।
कमलनाथ के संजय-राजीव से संबंधों को भी जाने
दून स्कूल में कमलनाथ की शिक्षा हुई। वहीं, गांधी परिवार के दो बच्चे राजीव-संजय गांधी भी पढ़ते थे। संजय गांधी से कमलनाथ की दोस्ती काफी अच्छी थी और यह दोस्ती स्कूल के बाद भी बनी रही। सत्तर के दशक में इंदिरा गांधी सरकार के गिरने के बाद संजय गांधी की गिरफ्तारी के दौरान कमलनाथ ने उनके साथ जेल जाने के लिए एक जज से बदसलूकी की और वे भी जेल भेज दिए गए। जेल में इन दोस्तों के संबंधों में और प्रगाढ़ता आई जिससे इंदिरा गांधी का कमलनाथ के प्रति प्रेम और बढ़ गया। उन्होंने राजनीति में कमलनाथ को उतार दिया। राजीव गांधी ने इंदिरा गांधी के निधन के बाद कमलनाथ को साथ रखा तो राजीव गांधी के निधन के बाद उन्होंने गांधी परिवार को काफी सहारा दिया। सोनिया गांधी को राजनीतिक में मजबूती प्रदान की और बड़े-बड़े नेताओं के साथ छोड़ने या डगमगाने के बाद भी कमलनाथ उनके साथ खड़े रहे। मगर गांधी परिवार से कमलनाथ के संबंध सोनिया गांधी तक ही दिखाई दिए क्योंकि राहुल गांधी से उनकी दूरियां सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी नजर आई। आज की परिस्थितियों के लिए वही दूरियां कारण बताई जा रही हैं।
अटकलों के बीच कमलनाथ-कांग्रेस नेताओं के बयान
आज जो परिस्थितियां बनीं हैं, उनमें कमलनाथ से सामने आने पर मीडिया बस एक ही सवाल कर रहा है तो कांग्रेस नेता भी मीडिया को कमलनाथ के भाजपा में जाने की बातों का विरोध तो कर रहा है लेकिन भीतर ही भीतर उनमें चिंता भी दिखाई देती है। कमलनाथ छिंदवाड़ा से दिल्ली पहुंच गए तो वहां मीडिया ने फिर वही सवाल किया तो उन्होंने सीधे इनकार नहीं किया बल्कि कहा कि जो भी होगा उसकी सबसे पहले वे ही उन्हें खबर देंगे। वहीं, दिग्विजय सिंह व पीसीसी चीफ जीतू पटवारी कमलनाथ से शुक्रवार रात को बात होने का कहते हुए दावा करते हैं कि कमलनाथजी भाजपा में कभी नहीं जाएंगे।
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