मप्र में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के प्रवेश के पहले कांग्रेस में आएगा भूचाल, पुरानी तस्वीर बनेगी किसी कल की सुर्खियां

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद नेतृत्व परिवर्तन फिर राज्यसभा चुनाव में अप्रत्याशित फैसले की वजह से मध्य प्रदेश में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के पहले भूचाल आने के संकेत नजर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कांग्रेस के एक नेता के परिवार की दोस्ताना तस्वीर आने वाले कुछ दिनों की सुर्खियां बनने के आसार नजर आ रहे हैं। हालांकि नेताजी बार-बार घुमा-फिरा करते न नुकुर कर रहे हैं, सीधे जवाब नहीं दे रहे हैं। पढ़िये रिपोर्ट।

राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से पीसीसी के कोषाध्यक्ष अशोक सिंह का नाम फाइनल होने के बाद कांग्रेस में शांति का माहौल हो गया लेकिन नामांकन पर्चा भरे जाने की तारीख बीतने के दूसरे दिन शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके सांसद पुत्र नकुलनाथ की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दोस्ताना अंदाज की तस्वीर से भूचाल की स्थिति बन गई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी मीडिया से चर्चा में कमलनाथ के भाजपा में आने के लिए हमेशा दरवाजे खुले होने का बयान दिया है तो पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से अचानक ही दिल्ली बुला लिया गया है। इन तमाम घटनाक्रम के बीच कमलनाथ अपने गृह नगर में प्रवास पर हैं जिनके बारे में यह कहा जा रहा है कि संभवतः वे पांच दिन के वहां के प्रवास को बीच में ही खत्म कर भोपाल या दिल्ली जाएंगे।
राहुल की न्याय यात्रा का मप्र में आने का इंतजार
जब जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा जिन राज्यों की तरफ बढ़ी, वहां उसके प्रवेश के पहले कांग्रेस विरोधी राजनीतिक गतिविधियां बढ़ीं। मध्य प्रदेश में भी राहुल की न्याय यात्रा आने वाली है जिसके पहले कोई बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम करने के लिए अंदर ही अंदर भाजपा की रणनीति तैयार हो रही है। कमलनाथ-नकुलनाथ को लेकर लंबे समय से चली आ रही अटकलों को तब विराम दिए जाने की परिस्थितियां निर्मित की जा रही हैं।
राज्यसभा चुनाव में नजरअंदाज किए जाने से नाराजगी
मध्य प्रदेश की राजनीति के बजाय दिल्ली की राजनीति में जाने के लिए कमलनाथ राज्यसभा चुनाव का रास्ता अपनाना चाह रहे थे और यह कहा जा रहा है कि इसके लिए उन्होंने अपने यहां राज्यसभा चुनाव के नामांकन पर्चा दाखिल करने की अंतिम तारीख के दो दिन पहले विधायकों की डिनर पार्टी भी आयोजित की थी। इस पार्टी में राज्यसभा चुनाव में विधायकों के अलावा प्रत्याशी बनाए गए संगठन कोषाध्यक्ष अशोक सिंह व तीन अन्य नेताओं को आमंत्रित किया गया था। तब तक अशोक सिंह ने भी अपने प्रत्याशी बनाए जाने का आभास पार्टी में होने नहीं दिया था।
राज्यसभा चुनाव प्रत्याशी की राजनीति में दिग्विजय की भूमिका
कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव में मिली हार की वजह से राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन में काफी मंथन करना पड़ा। आर्थिक संकट से जूझ रही पार्टी के सामने यह पहलु भी सामने था और ऐसे व्यक्ति की तलाश में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की भूमिका अहम बताई जा रही है। अशोक सिंह उनके विश्वस्त नेता माने जाते हैं और आर्थिक रूप से समृद्ध भी है। इनके अलावा आर्थिक रूप से समृद्ध नेताओं में कमलनाथ भी थे। माना जा रहा है कि अशोक सिंह के यादव समाज से आने और ओबीसी चेहरा होने का लाभ यूपी-बिहार व मप्र के सीमावर्ती क्षेत्रों की लोकसभा सीटों पर लेने के लिए उनका नाम हाईकमान को सबसे अच्छा लगा।

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