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कमलनाथ वापस दिल्ली की राजनीति में, पटवारी-यादव नहीं नाथ जाएंगे राज्यसभा

दिल्ली की राजनीति में चार दशक रहने के बाद मध्य प्रदेश में अध्यक्ष बनकर आए कमलनाथ अब फिर दिल्ली की तरफ रुख कर रहे हैं। अब लोकसभा नहीं बल्कि राज्यसभा के रास्ते वे दिल्ली में कांग्रेस की सियासत में सक्रिय होंगे। राज्यसभा जाने के लिए अपने मतदाता विधायकों को उन्होंने मंगलवार को डिनर पर आमंत्रित कर यह संकेत दे दिए हैं। पढ़िये रिपोर्ट।
विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार के बाद कमलनाथ को जिस तरह हाईकमान ने हटाया और युवा नेतृत्व को कमान सौंपी, उसके बाद कमलनाथ को झटका लगा। चार दशक से गांधी परिवार से रिश्तों पर आंच भी आई और कई नेताओं ने इस मौके को भुनाने का प्रयास किया। कमलनाथ मध्य प्रदेश में करीब छह साल पीसीसी चीफ रहने के साथ सवा साल मुख्यमंत्री भी रहे लेकिन यहां उनके प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं और दूसरी लाइन के नेताओं से रिश्तों में खट्टा-मीठापन आता रहा। विधानसभा चुनाव में हार के बाद उनके कुछ अपनों ने पाला भी बदला जिनमें से कुछ भाजपा में ही चले गए। इन हालातों में कुछ दिनों से कमलनाथ के भाजपा में जाने की चर्चाएं तेज हुईं जिनको लेकर राजनीतिक जानकारों ने यह भी कहा कि कांग्रेस में नेताओं की प्रेशर पॉलीटिक्स का यह हिस्सा हमेशा से रहा है।
प्रेशर पॉलीटिक्स में कमलनाथ को मिला ठिकाना
कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं द्वारा हाईकमान के सामने प्रेशर पॉलीटिक्स हमेशा से की जा रही है जिसके बारे में हाईकमान भी बखूबी जानता भी है। भाजपा में जाने की कमलनाथ की चर्चाओं के पीछे घटनाक्रमों का घटित होना भी रहा। कमलनाथ के जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समय लेने की खबरें चलीं तो फिर राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के शुभारंभ कार्यक्रम में उनका नहीं शामिल होना और कुछ दिनों के भीतर भाजपा नेताओं से कमलनाथ की लगातार मुलाकातों की खबरों से उनके पार्टी छोड़ने की चर्चाओं को बल मिला। इस सप्ताह स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के लिए वे दिल्ली गए तो हाईकमान के साथ उनकी मुलाकात हो गई जिसमें उनकी दिल्ली की राजनीति में वापसी का रास्ता खुला। वे राज्यसभा चुनाव में मध्यप्रदेश से पार्टी द्वारा भेजे जाने पर सहमत बताए गए हैं। हालांकि इस सीट को लेकर प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव की दावेदारी भी है। मगर कमलनाथ के नाम आने के बाद दोनों की दावेदारी कमजोर पड़ गई है क्योंकि कमलनाथ ने सभी विधायकों को अपने यहां 13 फरवरी को डिनर पर बुलाया है जिसमें वे उनसे वोट मांगेंगे।
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